जंग के खिलाफ़ कोलकाता में रैली

बांग्लादेश-भारत-पाकिस्तान पीपल्स फोरम ने मुंबई तथा दूसरे स्थानों के लोगों पर आतंकवादी हमलों, जंग फरोशी और साम्राज्यवाद के दुष्ट इरादों के विरोध में, मेट्रो चैनल, धर्मतला, कोलकाता में 19 दिसम्बर को एक रैली आयोजित की।

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डाक कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल!

17 दिसंबर, 2008 से अखिल भारतीय डाक सेवा, जिसे ग्रामीण डाक सेवा भी कहा जाता है, के 2.75 लाख पार्ट-टाईम कर्मचारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गये। सरकार द्वारा उनके कार्य के नियमों और उनको नियमित किये जाने संबंधी मसलों पर बनाई गई समिति की प्रतिगामी सिफारिशों को रद्द करने की वे मांग कर रहे हैं। ग्रामीण डाक सेवा के इन कर्मचारियों को हर रोज 4-5 घंटे के लिए खास तौर से ग्रामीण इलाकों में काम पर रखा

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एशिया में अमरीकी जंग को आगे बढ़ने से रोकना होगा

संपादक महोदय, मुम्बई पर हुये आतंकवादी हमलों की पार्श्वभूमि में जो भू-राजनीतिक घटनायें हुई हैं इस संर्दभ में केंद्रीय समिति के 12 दिसंबर, 2008 के बयान से उन लोगों की आंखें खुल जानी चाहिये जिन्हें अभी भी अमरीकी साम्राज्यवादियों और एशिया में उनको साथ देने वालों के मकसद के बारे में कोई भ्रम है।

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सामाजिक परिवर्तन के लिये नौजवानों का रंगारंग मेला

अपने देश के स्कूल व कॉलेज के छात्र-छात्रायें सामाजिक परिवर्तन के लिये एक बड़ी ताकत हैं। वे अपनी समस्याओं के साथ-साथ समाज की समस्याओं के स्थायी समाधान के लिये आतुर रहते हैं। पढ़े-लिखे मज़दूर वर्ग नौजवानों के इस सामर्थ्य से पूंजीपतियों को डर लगता है। पूंजीपतियों की पूरी कोशिश रहती है कि समाज की समस्याओं की जड़ों के बारे में, अलग-अलग तरह से, नौजवानों को संभ्रमित व दिशाहीन रखें। सभी समस्याओं के लिये

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मुंबई के मजदूरों ने जन जागृति अभियान छेड़ा: धर्म, क्षेत्र और जाति के नाम पर मजदूरों का बंटवारा नहीं चलेगा!

पिछले कुछ महिनों से मुबई सुर्खियों में इस वजह से है कि यहां पर शासक वर्ग की तमाम पार्टियों ने मजदूर मेहनतकश लोगों को क्षेत्र और मजहब के नाम पर बांटने के लिए शोंवीवादी प्रचार और अभियान चला रखा है। उसके बाद नवम्बर में आतकंवादी हमले हुये और उसके साथ में देश के हुक्मरान वर्गों ने मुसलमान लोगों के खिलाफ़ सांप्रदायिक प्रचार और पाकिस्तान के खिलाफ जंग का माहौल पैदा किया, जिसकी वजह से मुंबई सुर्खियोंम

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मजदूरों और किसानों की हुकूमत और स्वेच्छा पर आधारित हिन्दोस्तानी संघ की ओर

तीसरे महाअधिवेशन के दस्तावेज़ 27-30 जनवरी, 2005

कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन के दस्तावेज़प्रथम प्रकाशन अप्रैल 2005

मजदूरों और किसानों की हुकूमत और स्वेच्छा पर आधारित हिन्दोस्तानी संघ की ओर शीर्षक से यह ग्रंथ हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन के फैसले के अनुसार प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें शामिल हैं-तीसरे महाअधिवेशन की कार्यवाहियों का सारांश और हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के महासचिव, कामरेड लाल सिंह द्वारा पेश की गई केन्द्रीय समिति की रिपोर्ट, जिस पर जनवरी 2005 में हुये पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन में चर्चा हुई थी तथा उसे अपनाया गया था।

इस प्रकाशन में दो संक्षिप्त विवरण भी शामिल हैं, जिनके शीर्षक हैं हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी का परिचय और हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की उत्पत्ति। इसके अलावा, इसमें हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी का संविधान भी शामिल है। इन सभी को तीसरे महाअधिवेशन में अपनाया गया था।

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कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन के दस्तावेज़

कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन के दस्तावेज़

 कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन के दस्तावेज़मजदूरों और किसानों की हुकूमत और स्वेच्छा पर आधारित हिन्दोस्तानी संघ की ओर

यह ग्रंथ हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन के फैसले के अनुसार प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें शामिल हैं-तीसरे महाअधिवेशन की कार्यवाहियों का सारांश और हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के महासचिव कामरेड लाल सिंह द्वारा पेश की गई केन्द्रीय समिति की रिपोर्ट जिस पर जनवरी 2005में हुये पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन में चर्चा हुई थी तथा उसे अपनाया गया था।.

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पूंजीवाद का संकट और हिन्दोस्तानी राज्य का खतरनाक रास्ता

पूंजीवाद का संकट और हिन्दोस्तानी राज्य का खतरनाक रास्ता

पूंजीवाद का संकट और हिन्दोस्तानी राज्य का खतरनाक रास्तापूंजीवाद का संकट और हिन्दोस्तानी राज्य का खतरनाक रास्ता यह दिखाता है कि कम्युनिस्टों द्वारा इंकलाब के लिये तैयारी करना बेहद जरूरी है!

”हिन्दोस्तानी राज्य और क्रांति“ पर, नवंबर 2002 में हुई कानफरेंस में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के महासचिव कामरेड लाल सिंह द्वारा दिया गया मुख्य भाषण

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क्रांति कहती सीना तान! (कविता)

हिन्दोस्तानी मजदूरों, महिलाओं और किसानों,
बेकारी से दबे हुए, नौजवानों कहना मानों

आज तुम्हारे सामने सबसे पवित्र काम,
देश में अपने मजदूर क्रांति को देना अंजाम।

पर कुछ मजदूरों का भ्रम है कि मालिकों की पूंजी उनकी है,
काफी है रोजी देते हैं, ए भी उनकी मरजी है।

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