संपादक महोदय, मुम्बई पर हुये आतंकवादी हमलों की पार्श्वभूमि में जो भू-राजनीतिक घटनायें हुई हैं इस संर्दभ में केंद्रीय समिति के 12 दिसंबर, 2008 के बयान से उन लोगों की आंखें खुल जानी चाहिये जिन्हें अभी भी अमरीकी साम्राज्यवादियों और एशिया में उनको साथ देने वालों के मकसद के बारे में कोई भ्रम है।
संपादक महोदय, मुम्बई पर हुये आतंकवादी हमलों की पार्श्वभूमि में जो भू-राजनीतिक घटनायें हुई हैं इस संर्दभ में केंद्रीय समिति के 12 दिसंबर, 2008 के बयान से उन लोगों की आंखें खुल जानी चाहिये जिन्हें अभी भी अमरीकी साम्राज्यवादियों और एशिया में उनको साथ देने वालों के मकसद के बारे में कोई भ्रम है।
मुम्बई पर आतंकवादी हमलों का सबसे ज्याद फायदा अमरीकी साम्राज्यवादियों और हिन्दोस्तानी सरमायदारों को होता है, और यह संभव है कि इन हमलों के पीछे यही ताकतें हैं। जिसे हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति के 29 नवम्बर, 2008 के बयान में साफ तौर से समझाया गया।
अमरीकी साम्राज्यवादियों और उसके साथियों के झूठों और फरेब को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह बड़े दुख बात है कि हमारे देश की संसद में बैठे कुछ कम्युनिस्ट हिन्दोस्तानी सरकार की लाईन का समर्थन कर रहे हैं और आतंकवादी हमलों के लिये पड़ोसी देशों को जिम्मेदार करार दे रहे हैं, जबकि यह सभी जानते हैं कि ऐसे हमलों के असली ''मास्टरमाइंड'' अमरीकी साम्राज्यवादी और उसकी एजेंसियां हैं। इस इलाके में अमरीकी घुसपैठ को रोकने और उसके खतरनाक इरादों को नाकामयाब करने के लिये कम्युनिस्टों को इस इलाके सभी लोगों को लामबंद करना चाहिये। आज अमरीका जिस नाजुक आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है उसके चलते काफी संभव है कि वह हिन्दोस्तान सरकार को पाकिस्तान पर जंग छेड़ने के लिये राजी कर ले, जिसकी तैयारी काफी ऊंचे स्तर पर की जा रही है। हिन्दोस्तान और पाकिस्तान के बीच जंग से केवल अमरीकी साम्राज्यवाद और हिन्दोस्तान और पाकिस्तान के हुक्मरानों का फायदा हो सकता है। जबकि यह इस इलाके के आम लोगों के हितों के खिलाफ़ होगा!
आपका
विवेक सिंह, चंद्रपुर महाराष्ट्र