मुंबई के मजदूरों ने जन जागृति अभियान छेड़ा: धर्म, क्षेत्र और जाति के नाम पर मजदूरों का बंटवारा नहीं चलेगा!

पिछले कुछ महिनों से मुबई सुर्खियों में इस वजह से है कि यहां पर शासक वर्ग की तमाम पार्टियों ने मजदूर मेहनतकश लोगों को क्षेत्र और मजहब के नाम पर बांटने के लिए शोंवीवादी प्रचार और अभियान चला रखा है। उसके बाद नवम्बर में आतकंवादी हमले हुये और उसके साथ में देश के हुक्मरान वर्गों ने मुसलमान लोगों के खिलाफ़ सांप्रदायिक प्रचार और पाकिस्तान के खिलाफ जंग का माहौल पैदा किया, जिसकी वजह से मुंबई सुर्खियोंम

पिछले कुछ महिनों से मुबई सुर्खियों में इस वजह से है कि यहां पर शासक वर्ग की तमाम पार्टियों ने मजदूर मेहनतकश लोगों को क्षेत्र और मजहब के नाम पर बांटने के लिए शोंवीवादी प्रचार और अभियान चला रखा है। उसके बाद नवम्बर में आतकंवादी हमले हुये और उसके साथ में देश के हुक्मरान वर्गों ने मुसलमान लोगों के खिलाफ़ सांप्रदायिक प्रचार और पाकिस्तान के खिलाफ जंग का माहौल पैदा किया, जिसकी वजह से मुंबई सुर्खियोंमेंरही।

इन सबके बीच, मजदूर वर्ग के संगठन बड़ी बहादुरी के साथ हमारे हुक्मरानों की बंटवारे की, साम्प्रदायिक और शोंवीवादी राजनीति का विरोध करते रहे हैं। जन जागृति अभियान के बैनर तले कार्यकर्ता शहर भर में घर-घर जाकर लोगों के बीच यह प्रचार कर रहे हैं कि वे हमारे हुक्मरानों की बंटवारे की राजनीति को ठुकरा दें और मजदूर वर्ग के आज़ाद कार्यक्रम के इर्द-गिर्द एकजुट हो जाएं।

21 दिसंम्बर, 2008 को उन्होंने अंधेरी की पोस्ट और टेलिकाम कॉलोनी में प्रचार चलाया। मजदूरों, औरतों और नौजवानों ने अभियान में हिस्सा लिया। बी.एस.एन.एल. एम्पलाईज यूनियन के मजदूरों द्वारा तैयार किया गया लाल बैनर जुलूस के आगे रखा गया। कार्यकर्ताओं ने सरमायदारों द्वारा मजदूर वर्ग को धर्म, क्षेत्र और जात के आधार पर बांटने के खिलाफ़ नारे लगाए। अमीरों की हुकूमत को ठुकरा कर मजदूरों को खुद अपना भविष्य बनाने के लिए एकजुट हो जाने की अपील की। हज़ारों की तादाद में पर्चे बांटे गये। कई लोग जुलूस में शामिल हुए।

''बेरोजगारी के लिए कौन जिम्मेदार? बेरोजगारी और भुखमरी को बढ़ावा देने वाली नीतियों के खिलाफ़ संघर्ष के लिए एकजुट हो!'' इस पर्चे के द्वारा कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार और यहां की बड़ी सरमायदारी पार्टियों के प्रचार का पर्दाफाश किया। इन पार्टियों के प्रचार के मुताबिक महाराष्ट्र मे मराठी लोगों की बेरोज़गारी के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार से आये मजदूर जिम्मेदार हैं। देशभर में मेहनतकश लोगों पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि इन हमलों के पीछे राज्य मशीनरी का पूरा समर्थन है।

पर्चे में इस बात को साफ किया गया है कि हमारे हुक्मरानों के उदारीकरण और निजीकरण के कार्यक्रम के चलते बडे पैमाने पर सभी क्षेत्रों में तालाबंदी चल रही है। लोगों को नौकरियों से निकाला जा रहा है। देशभर में कृषि क्षेत्र में बर्बादी की वजह से रोजी-रोटी की तलाश में लोगों को गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। मेहनतकश लोगों की बर्बादी के लिए हमारे देश के सरमायदार, उनकी सरकार और पूंजीवादी व्यवस्था जिम्मेदार है।

पर्चे में यह समझाया गया है कि महराष्ट्र राज्य का गठन होने के पचास साल बाद भी मराठी मजदूरोंऔर किसानों की हालत बेहतर नहीं हुई है। आज हर एक मजदूर के सिर पर बेरोजगारी की तलवार लटकती रहती है। किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है। मजदूरों और किसानों का शोषण करके यहां के सरमायदारी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं ने अपनी तिजोरियां भरी हैं। अब इन सरमायदारी पार्टियों और पूंजीपति वर्ग के प्रति लोगों के गुस्से को गुमराह करने के लिए यह पार्टियां मजदूरों को एक दूसरे के खिलाफ़ लड़वा रही हैं।

पर्चे में सभी मजदूरों को यह बुलावा दिया गया है कि सभी की रोजी-रोटी की गारंटी के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें। हमें यह मांग करनी होगी कि स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाए जाने चाहिए ताकि निरक्षरता और बीमारी दूर की जा सके। मजदूरों को आधुनिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए संघर्ष करना होगा जिसमें सभी मेहनतकश लोगों को अच्छे दर्जे का सामान किफायती दाम पर मिल सकेगा। काले पैसे को जब्त करने और बड़े औद्योगिक घरानों पर अधिक टैक्स लगाने के लिए लड़ना होगा।

जन जागृति अभियान ने इस अभियान को अन्य मजदूर बस्तियों में ले जाने का फैसला किया है, और 28 दिसंम्बर, 2008 को मुलुंड की पोस्ट और टेलिकॉम कॉलोनी में प्रचार किया जाएगा। निर्माण मजदूर यूनियन ने खार इलाके की रेलवे कालोनियों और अन्य मजदूर बस्तियों में अभियान चलाने का प्रस्ताव रखा।

जन जागृति अभियान मजदूरों के 15 संगठनों का सांझा मंच है जो उत्तर प्रदेश और बिहार से आये मजदूरों पर हमलों के खिलाफ़ इकट्ठे हुए थे। इसमें शामिल है – आल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन (मुंबई प्रभाग), ए.आई.यू.टी.यू.सी., ए.आई.एफ.टी.यू., भारतीय संचार निगम एम्पलाईज यूनियन, घर कामगार मोलकरीन संगठना, गिरणी कामगार संघर्ष समिति, कामगार एकता चलवल, लाल झंडा हॉकर्स यूनियन, लड़ाकू गार्मेंट कामगार यूनियन, लोक राज संगठन, लोक शाही हक संगठना, लोक शासन आंदोलन, नेशनल फेडरेशन ऑफ पोस्टल इम्पलाईज, प्रेरणा, पुरोगामी महिला संगठन, रिलायंस एनर्जी एम्पलाईज यूनियन, रिपब्लिकन पेंथर, सर्व श्रमिक संगठना (मुंबई)।

मजदूर एकता लहर मुंबई के मजदूर वर्ग कार्यकर्ताओं की इस महत्वपूर्ण पहल का समर्थन करती है।

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