द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 75वीं वर्षगांठ पर

दुनिया में युद्ध और टकराव का स्रोत साम्राज्यवाद था और आज भी है

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    दुनिया में युद्ध और टकराव का स्रोत साम्राज्यवाद था और आज भी है

    हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी अपने पाठकों को द्वितीय विश्व युद्ध के कारणों के बारे में और लोगों को इससे क्या सबक लेना चाहिए इसके बारे में शिक्षित करने के लिए 6-भाग की एक श्रृंखला प्रकाशित कर रही है।

    भाग 1 – इतिहास से ...

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    भाग 2 : 20वीं सदी में दो विश्व युद्धों के लिए कौन और क्या ज़िम्मेदार था?

    20वीं सदी में दो महायुद्धों के लिए दुनिया के पुनर्विभाजन के ज़रिये अपने प्रभाव क्षेत्रों का विस्तार करने की कोशिशों में लगी साम्राज्यवादी ताक़तें ज़िम्मेदार थीं।

    20वीं शताब्दी की शुरुआत तक पूंजीवाद अपने आखिरी और अंतिम चरण के साम्राज्यवाद पर पहुंच ...

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    भाग 3 : द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले प्रमुख साम्राज्यवादी शक्तियों तथा सोवियत संघ की रणनीति

    दुनियाभर के बाज़ारों और प्रभाव क्षेत्रों के पुनः बंटवारे के लिए नए साम्राज्यवादी युद्ध की शुरुआत 1930 में हो गयी थी। ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी को सोवियत संघ के ख़िलाफ़, जापान को चीन और सोवियत संघ के ख़िलाफ़ भड़काने की ...

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    भाग 4 : द्वितीय विश्व युद्ध की प्रमुख लड़ाइयां

    द्वितीय विश्व युद्ध में स्तालिनग्राद की लड़ाई सबसे निर्णायक मोड़ थी। स्तालिनग्राद के लोगों ने हर गली, हर घर और अपने शहर की एक-एक इंच ज़मीन को बचाने के लिए जंग लड़ी। कई महीनों तक चली इस बेहद कठिन जंग में जर्मन सेना की हार हुई, जिसे ...

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    भाग 5: युद्ध का अंत और विभिन्न देशों और लोगों के उद्देश्य

    दूसरे विश्व युद्ध के अंत में, समाजवादी सोवियत संघ विजयी शक्तियों में से एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा। वह दुनियाभर के उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया जो अपने देश को उपनिवेशवादी गुलामी से मुक्त करने के ...

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    भाग 6 : द्वितीय विश्व युद्ध के सबक

    इस समय द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 75वीं वर्षगांठ पर हमें कौन से मुख्य सबक लेने चाहिएं?

    20वीं सदी के दोनों विश्व युद्ध दुनियाभर के बाज़ारों, संसाधनों और प्रभाव क्षेत्रों पर नियंत्रण के लिए साम्राज्यवादी ताक़तों के बीच तीव्र अंतर्विरोधों की वजह से हुए थे। साम्राज्यवादी ताक़तों ने ...

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