विश्व आर्थिक संकट पर चर्चा गोष्ठी

21 दिसंबर 2008 को पंजाब में लुधियाना शहर के निकट, मुल्लापुर गांव में 'विश्व आर्थिक संकट' विषय पर लोक कला मंच ने एक चर्चा गोष्ठी आयोजित की गई।

21 दिसंबर 2008 को पंजाब में लुधियाना शहर के निकट, मुल्लापुर गांव में 'विश्व आर्थिक संकट' विषय पर लोक कला मंच ने एक चर्चा गोष्ठी आयोजित की गई।

कंवलजीत खन्ना ने लोक कला मंच के काम और उद्देश्यों को समझाया। पंजाब यूनिवरसिटी (लुधियाना) से प्रोफेसर सुचा सिंह ने आर्थिक संकट पर विस्तारपूर्वक बात रखी और समझाया कि दुनिया के पूंजीपति संकट के बोझ को मेहनतकशों पर लादने की कोशिश कर रहे हैं। संकट पूंजीवादी व्यवस्था की निहित विशेषता है। यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि यह संकट कितनी देर तक चलेगा या कितना गहरा होगा, परंतु अभी से यह माना जा रहा है कि 1920 के दशक के ग्रेट डिप्रेशन (महान मंदी) के बाद यह सबसे भयानक संकट है। उन्होंने मजदूर वर्ग के संगठनों से आह्वान किया कि सरकार से हमें यह मांग करनी चाहिए कि मजदूरों और किसानों के हित के लिये धन लगाया जाये।

चर्चा में योगदान करते हुए, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के प्रवक्ता, श्री प्रकाश राव ने बताया कि दुनिया की सारी दौलत मजदूरों और किसानों के श्रम की ऊपज है। सरकारें दौलत नहीं पैदा करती हैं। पूंजी खुद भी बीते समय में किये गए श्रम की उपज है। अत: जब सरकार समाज के इस या उस तबके के सामने कुछ टुकड़े फेंकती है, तो वह मजदूरों और किसानों को वही चीज वापस दे रही है जो पहले से ही उनका था। उन्होंने समझाया कि ग्रेट डिप्रेशन के समय से लेकर 70 के दशक तक दुनिया की पूंजीवादी सरकारें अर्थव्यवस्था के कीन्सीयन नमूने पर चल रही थी, जिसका असली मकसद था पूंजीवादी व्यवस्था को बार-बार संकट में फंसने से बचाना और पूंजीपतियों के मुनाफों को सुनिश्चित करना। उसका मकसद मजदूरों की रोजी-रोटी सुनिश्चित करना नहीं था। जब पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में खूब संवर्धन होता है तब पूंजीपति कहते हैं कि ''राज्य को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए'', परंतु अब जब पूंजीवाद संकट में है, तब पूंजीपति यह मांग कर रहे हैं कि पूंजीवादी राज्य उन्हें बचाये। मजदूर वर्ग को पूंजीपतियों को बचाने के सभी कदमों का डटकर विरोध करना चाहिए। मजदूर वर्ग को कभी भी इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि हिन्दोस्तान की पूंजीवादी सरकार मजदूरों और किसानों के पक्ष में तथा उनकी रोजी-रोटी सुनिश्चित करने के लिये धन लगायेगी। मजदूरों और किसानों को पूंजीवाद का तख्ता पलटने और उसकी जगह पर समाजवादी व्यवस्था स्थापित करने के लिये संघर्ष करना होगा, ताकि मजदूरों और किसानों के श्रम से उत्पन्न अतिरिक्त मूल्य को अर्थव्यवस्था के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिये और वर्तमान व भावी पीढ़ियों की खुशहाली के लिये इस्तेमाल किया जायेगा। प्रकाश राव ने समझाया कि प्रतिक्रियावादी पूंजीपति फासीवाद और जंग की तैयारी करके संकट से निकलने की कोशिश कर रहे हैं। अत: यह बेहद जरूरी है कि मजदूर वर्ग और किसान इसका विरोध करें।

गोष्ठी में अन्य वक्ता थे – जसपाल सिंह सिध्दू (यू.एन.आई.), डा. सुखपाल सिंह (पंजाब कृषि विश्वविद्यालय), प्रो. बाबा सिंह और गुरमीत सिंह।

अंत में, एक जोशीला सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ।

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