जंग के खिलाफ़ कोलकाता में रैली

बांग्लादेश-भारत-पाकिस्तान पीपल्स फोरम ने मुंबई तथा दूसरे स्थानों के लोगों पर आतंकवादी हमलों, जंग फरोशी और साम्राज्यवाद के दुष्ट इरादों के विरोध में, मेट्रो चैनल, धर्मतला, कोलकाता में 19 दिसम्बर को एक रैली आयोजित की।

बांग्लादेश-भारत-पाकिस्तान पीपल्स फोरम ने मुंबई तथा दूसरे स्थानों के लोगों पर आतंकवादी हमलों, जंग फरोशी और साम्राज्यवाद के दुष्ट इरादों के विरोध में, मेट्रो चैनल, धर्मतला, कोलकाता में 19 दिसम्बर को एक रैली आयोजित की।

रैली में वक्ताओं ने काबुल में हिन्दोस्तान उच्च आयोग पर आतंकवादी हमलों, इस्लामाबाद के मेरियट होटल तथा 26 नवम्बर के मुंबई के आतंकवादी हमलों और हिन्दोस्तान के दूसरे शहरों में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की। उन्होंने समझाया कि ये सारे हमले प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राज्य द्वारा प्रेरित हैं। इन हमलों से लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। बल्कि इन हादसों से साम्राज्यवाद को बहुत लाभ होता है। साम्राज्यवाद अब हमें बचाने का नाटक करके आगे आ रहा है और पाकिस्तान व हिन्दोस्तान के मामलों में दखलअंदाजी कर रहा है। अमरीकी साम्राज्यवाद अपने भू-राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिये और अपने अस्त्र-उद्योग के बाजारों को बढ़ाने के लिये, हिन्दोस्तान और पाकिस्तान के बीच जंग करवाने की कोशिश कर रहा है। पूंजीवाद के वर्तमान विश्वव्यापी संकट के संदर्भ में, साम्राज्यवाद लोगों के गुस्से को ''आतंकवाद'' की दिशा में भटकाने की कोशिश कर रहा है, ताकि लोग मरणासन्न पूंजीवादी व्यवस्था, जो संकट का स्रोत है, को अपना निशाना न बनायें।

हिन्दोस्तान और पाकिस्तान के बीच की पूरी शांति प्रक्रिया इन आतंकवादी हमलों की वजह से रूक गयी है। हमारे दोनों देशों की सरकारें महंगाई, भुखमरी, बुनियादी जरूरतों की कमी, बेरोजगारी, इत्यादि जैसी ज्वलंत समस्याओं पर ध्यान दिये बिना, लोगों के ध्यान को ''आतंकवाद'' और हिन्दोस्तान व पाकिस्तान के बीच जंग की दिशा में घुमा रही हैं। हमारे दोनों देशों के शासक वर्ग के कुछ तबके उग्र राष्ट्रवाद, धार्मिक रूढ़िवाद और जंग फरोशी का माहौल फैला रहे हैं। हमारे दोनों देशों के बीच शांति कार्यकर्ताओं के लिये यात्रा करना पहले से ज्यादा कठिन हो चुका है।

इस अवसर का फायदा उठाकर हिन्दोस्तान के संसद में एक बहुत ही काला कानून पास किया गया है, जो ''आतंकवाद विरोध'' के नाम पर पास किया गया परंतु जो अवश्य ही जन आंदोलनों पर हमला करने के लिये इस्तेमाल किया जायेगा।

रैली में यह मांग रखी गयी कि हिन्दोस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश की सरकारें इकट्ठी होकर आपसी चर्चा के जरिये सभी दु-तरफा और त्रि-तरफा झगड़े हल करें, और इसमें किसी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप न हो। हिन्दोस्तान और पाकिस्तान के बीच सभी प्रकार के जंग तथा ''अनुपस्थिति के जंग'' का विरोध किया गया। रैली में दोनों देशों की मीडिया से अपील किया गया कि वे शांति कायम करने के लिये जिम्मेदारी से काम लें और तमाम प्रतिक्रियावादी ताकतों उग्र विचारों को न उछालें।

रैली में यह ऐलान किया गया कि हिन्दोस्तान और पाकिस्तान की जनता ''अंदर वालों'' या ''बाहर वालों'' द्वारा हमारे दोनों देशों के बीच जंग शुरू करवाने की कोशिशों का विरोध करने में एकजुट हैं। यह ऐलान किया गया कि हम, हिन्दोस्तान और पाकिस्तान की जनता, अमरीकी साम्राज्यवाद या किसी दूसरी साम्राज्यवादी ताकत के हस्तक्षेप को नहीं मानते हैं, बल्कि हम खुद आपस में अपने मामलों को हल करने के काबिल हैं। आतंकवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ़ डटकर लड़ने का संकल्प लिया गया।

रैली में दोनों देशों के लोगों के बीच एकता और मित्रता बढ़ाने में अनेक कार्यकर्ताओं के प्रयासों को बधाई दी गई और यह फैसला लिया गया कि आपसी शांति बनाने के लिये इन कोशिशों को और बढ़ाया जायेगा।   

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