26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा किये गये विरोध प्रदर्शन की तीसरी वर्षगांठ है। इस अवसर पर देश के विभिन्न मज़दूर और किसान संगठन अपनी सांझी मांगों को हासिल करने के लिये देशभर में तीन दिन का महापड़ाव आयोजित करेंगे। इसकी तैयारी के लिये अलग-अलग राज्यों में मज़दूरों और किसानों के संगठनों के राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित किये जा रहे हैं। इसी संदर्भ में 26 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली और एन.सी.आर. का अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े मज़दूर शामिल हुये और कई किसान संगठनों से जुड़े किसान और उनके नेता भी शामिल हुये।
इस अधिवेशन का आयोजन दिल्ली और एन.सी.आर. की ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से किया था। जिनमें शामिल थे – सीटू, एटक, एच.एम.एस., इंटक, एक्टू, मज़दूर एकता कमेटी, यू.टी.यू.सी., ए.आई.यू.टी.यू.सी., सेवा तथा आई.सी.टी.यू., संयुक्त किसान मोर्चा, ऑल इंडिया किसान महासभा, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)।
सभा को संबोधित करते हुये वक्ताओं ने कहा कि देशभर में निजीकरण को जोर-शोर से लागू किया जा रहा है। सरकारी संस्थान जो लोगों को स्थाई रोज़गार देते हैं, उन्हें कौड़ियों के दाम पर पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा है। दिल्ली के मज़दूरों को घोषित न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है, उन्हें 10-15 हजार रुपये में 12 घंटे की नौकरी करनी पड़ती है। महंगाई अपनी चरम सीमा पर है और उसके मुक़ाबले मज़दूरों के वेतन बहुत ही कम हैं। महंगाई के कारण लोगों का जीना बेहाल हो गया है। दिन ब दिन बेरोज़गारी बढ़ती ही जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने चार श्रम कोड को लागू करके मज़दूरों द्वारा लंबे संघर्ष से जीते गये अधिकारों को समाप्त कर दिया है। मांग की गई कि चारों कोडों को रद्द किया जाये। निश्चित अवधि के रोज़गार के क़ानून को वापस लिया जाये। काम पर समानता व सुरक्षा सुनिश्चित की जाये। ठेकाकरण बंद किया जाये।
वक्ताओं ने कहा कि सभी फ़सलों के लिये एम.एस.पी. लागू की जाये, किसानों को अपनी फ़सलों के लिये एम.एस.पी. की गारंटी मिले, स्वामीनाथन कमीशन की सिफ़ारिशों को लागू किया जाये और लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से रौदने वाले केन्द्रीय मंत्री के बेटे को तुरंत सज़ा दी जाये और अजय मिश्रा टेनी मंत्री पद से तुरंत इस्तीफ़ा दें।
वक्ताओं ने आह्वान किया कि हमें अपने अधिकारों को हासिल करने के लिये संघर्ष को तेज़ करना होगा।
सभा को संबोधित करने वाले वक्ताओं में शामिल थे – सीटू के तपन सेन, एटक के सुप्रभात दामले, एच.एम.एस. के हरभजन सिंह सिद्धू, मज़दूर एकता कमेटी के संतोष कुमार, इंटक के गंगाराम, संयुक्त किसान मोर्चा के कृष्णा प्रसाद, ए.आई.सी.सी.टी.यू. के संतोष राय, यू.टी.यू.सी. के शत्रुजीत, ऑल इंडिया किसान महासभा के प्रेम सिंह गहलावत, ए.आई.यू.टी.यू.सी. के भास्कर, सेवा की लता, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के दलजीत सिंह, आई.सी.टी.यू. के नरेन्द्र, अखिल भारतीय किसान सभा-नोएडा के रुपेश वर्मा।
मज़दूर एकता कमेटी के कामरेड संतोष कुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अपनी समस्याओं के लिये संघर्ष करने के साथ-साथ, मज़दूर वर्ग को राजसत्ता को अपने हाथों में लेने के लिये भी संघर्ष करना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक यह शोषणकारी पूंजीवादी व्यवस्था बरकरार रहेगी तब तक मज़दूरों, किसानों और मेहनतकशों के अधिकारों की सुनिश्चिति नहीं हो सकती। इसलिये हमें एक ऐसी व्यवस्था के लिये संघर्ष करना होगा जिसमें फै़सले लेने की ताक़त मज़दूरों और किसानों के हाथों में होगी।
24 अगस्त, 2023 को तालकटोरा स्टेडियम में सर्व हिन्द मज़दूर किसान अधिवेशन हुआ था। इसमें फ़ैसला किया गया था कि 26, 27 और 28 नवम्बर को देश के हर राज्य की राजधानी में मज़दूरों और किसानों के संयुक्त मोर्चे अपनी सांझी मांगों को हासिल करने के लिये महापड़ाव करेंगे। उसी कार्यक्रम के तहत दिल्ली में उपराज्यपाल के कार्यालय पर 26 और 27 नवंबर को महापड़ाव किया जायेगा और 28 नवंबर को जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन अयोजित किया जायेगा। दिल्ली के अधिवेशन में तय किया गया कि इस तीन दिवसीय महापड़ाव को सफल बनाने के लिये हम अभियान चलायेंगे।