पिछले कई महीनों से केरल के मछुआरे तिरुवनंतपुरम के विझिंजम में बन रहे बंदरगाह के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बंदरगाह को अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड द्वारा बनाया जा रहा है, गौतम अडानी इस कंपनी के प्रमुख हैं और वे हिन्दोस्तान के सबसे बड़े कारपोरेट घरानों में से एक हैं।
बंदरगाह का विरोध करने वाले मछुआरों कहना है कि लगभग 7,525 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह परियोजना समुद्र तटों के कटाव का कारण बन रही है और उनकी आजीविका को नष्ट कर रही है। तटों में हुये कटाव के कारण अनेक प्रदर्शनकारियों के घर नष्ट हो गए हैं। उन्हें अस्थायी आश्रयगृहों में बहुत ही ख़राब परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
मछुआरे मांग कर रहे हैं कि केरल सरकार इस परियोजना को रद्द करे। इस बंदरगाह को केरल सरकार और अडानी समूह के साथ संयुक्त रूप से निजी-सार्वजनिक साझेदारी के तहत बनाया जा रहा है, और इसका प्रचार “अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट के लिए हिन्दोस्तान का प्रवेश द्वार” के रूप में किया जा रहा है।
प्रदर्शनकारी मछुआरे बंदरगाह की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर 16 अगस्त से धरने पर बैठे हैं, जिसकी वजह से निर्माण कार्य को रोक दिया गया है।
कंपनी ने विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए केरल उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है, ताकि अदालत के हस्तक्षेप से इसे रोक जा सके। केरल उच्च न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों को सड़क खाली करने का आदेश दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने केरल उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए, 26 नवंबर को कंपनी की गाड़ियों को निर्माण स्थल में प्रवेश करने से रोक दिया। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को विभिन्न आरोप लगाकर गिरफ़्तार किया है।
सैकड़ों प्रदर्शनकारी अपने साथियों की रिहाई की मांग को लेकर 27 नवंबर को स्थानीय पुलिस स्टेशन गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बर्बरतापूर्ण हमला किया। पुलिस द्वारा किये गये लाठीचार्ज की वजह से 30 से अधिक मछुआरे घायल हो गए। ख़बरों के मुताबिक, पुलिस ने लगभग 3,000 लोगों के ख़िलाफ़ एफ.आई.आर. दर्ज की है।
अपनी आजीविका की रक्षा के लिए विझिंजम के मछुआरों का संघर्ष पूरी तरह से जायज़ है।