1 दिसम्बर को देश के 200 विश्वविद्यालयों के हजारों कर्मचारी दिल्ली के रामलीला मैदान में जमा हुये और सरकार से शिक्षा क्षेत्र में धन राशि में बढ़ोतरी की मांग करने के लिये संसद तक प्रदर्शन किया। रैली का आयोजन ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी एम्प्लोईज़ कनफेडरेशन (ए.आई.यू.ई.सी.) ने किया था।
1 दिसम्बर को देश के 200 विश्वविद्यालयों के हजारों कर्मचारी दिल्ली के रामलीला मैदान में जमा हुये और सरकार से शिक्षा क्षेत्र में धन राशि में बढ़ोतरी की मांग करने के लिये संसद तक प्रदर्शन किया। रैली का आयोजन ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी एम्प्लोईज़ कनफेडरेशन (ए.आई.यू.ई.सी.) ने किया था।
कर्मचारियों ने जंतर-मंतर पर एक जनसभा की और आठ बिंदुओं के मांगपत्र पर जोर दिया। इन मांगों में शामिल हैं सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का छ: प्रतिशत आबंटन शिक्षा के लिये, और निजी और प्रत्यक्ष विदेशी पूंजीनिवेश को बढ़ावा देने के नाम पर शिक्षा का निजीकरण का विरोध।
ए.आई.यू.ई.सी. के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जी.डी.पी. का छ: प्रतिशत शिक्षा के लिये लगाने की प्रतिज्ञा की थी परन्तु ऐसा कुछ किया नहीं गया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने भी ऐसा वादा 2004 में अपने साझे न्यूनतम कार्यक्रम में किया था। परन्तु अभी भी 2.6 प्रतिशत धनराशि ही आबंटित है। कर्मचारियों ने विश्वविद्यालयों में निजी और प्रत्यक्ष विदेशी पूंजीनिवेश का विरोध किया क्योंकि उनको लगता है कि यह सरकार के निजीकरण कार्यक्रम का ही एक भाग है जिसके जरिये देश में बड़ी संख्या में लोगों को उच्च शिक्षा से वंचित रखा जायेगा।