8 दिसम्बर, 2010 को भारी वर्षा के बीच छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की अगुवाई में कई संगठनों ने मिलकर, राज्य में व्यापक लूट और राजकीय आतंक के खिलाफ राजधानी रायपुर में विधानसभा पर रैली किया। आदिवासी, गैर आदिवासी तथा समाज के दबे-कुचले लोगों के बीच काम कर रहे 35 जन संगठन इसमें शामिल हैं। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्ना इलाकों से आये हुए सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
8 दिसम्बर, 2010 को भारी वर्षा के बीच छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की अगुवाई में कई संगठनों ने मिलकर, राज्य में व्यापक लूट और राजकीय आतंक के खिलाफ राजधानी रायपुर में विधानसभा पर रैली किया। आदिवासी, गैर आदिवासी तथा समाज के दबे-कुचले लोगों के बीच काम कर रहे 35 जन संगठन इसमें शामिल हैं। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्ना इलाकों से आये हुए सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
रैली विधानसभा तक पहुंचते ही, एक सभा में तब्दील हो गई। वहां प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की जबरदस्त लूट के लिए पूंजीपतियों के लिए दरवाजा खोल दिया है। राज्य लोगों के आजीविका के संसाधनों को छीनकर, उन्हें विस्थापन कर रही है। लोगों के आजीविका के अधिकार की मांग को कुचलने के लिए छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार दमन कर रही है और लोगों को जेल में बंद कर रही है।
वक्ताओं ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 का पूरा उल्लंघन हो रहा है। राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में भारी अवैध खनन किये जा रहे हैं। भारी उद्योग द्वारा प्रदूषण फैलाये जा रहे हैं।
सभा के उपरांत एक लाख लोगों से हस्ताक्षरित ज्ञापन विधानसभा के सचिव को सौंपा गया।