संपादक महोदय,
पार्टी के सभी साथियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। पार्टी की स्थापना की 43वीं वर्षगांठ के भाषण को पढ़कर शरीर की ऊर्जा में और वृद्धि हो जाती है, इस बात की उम्मीद और बढ़ जाती है कि वह दिन अब दूर नहीं जब समाज में फै़सले लेने की ताक़त मज़दूर वर्ग और सभी मेहनतकष लोगों के हाथों में होगी। समाज में वस्तुओं के उत्पादन का उद्देश्य लोगों की ज़रूरतों को पूरा करना होगा न कि सिर्फ़ कुछ गिने-चुने मुट्ठीभर लोगों के मुनाफे़ को सुनिश्चित करना।
आज जब देश का मेहनतकश वर्ग पूंजीवादी व्यवस्था के असली चरित्र को और भी अच्छे से समझ रहा है कि पूंजीवादी विकास किस वर्ग के लिए विकास लाएगा, तब हुक्मरान वर्ग अमृत काल, विकसित भारत 2047 इत्यादि के नाम से प्रचार करके, यह विष्वास दिलाने की कोशिश कर रहा है कि हिन्दोस्तान एक विकसित देश बनने की ओर जा रहा है। यह हम 1947 से देखते आ रहे है, अगर हम इसका गौर से देखें तो असलियत सामने आ जाती है कि मज़दूर, मेहनतकश और किसान ग़रीब ही बने रहते हैं। पार्टी ने पिछले कई लेखों में आकड़ों से स्पष्ट दिखाया है कि 1990 में हिन्दोस्तान में शून्य खरबपति थे और अब हमारे देश में लगभग 150 खरबपति हैं।
पूरी कोषिष की जा रही है कि नौजवानों को यक़ीन हो जाये कि हिन्दोस्तान एक विकसित देष बन जायेगा। हम कम्यनिस्टों को इस सच्चाई को समाज के हर समुदाय तक लेकर जाना होगा कि पूंजीपति हिन्दोस्तान पर राज करता है। पार्टी द्वारा प्रकाषित ”हिन्दोस्तान पर कौन राज करता है?“ किताब हमारे सारे सवालों का जवाब देती है। इस किताब की छाया इस लेख से जाहिर होती है।
जबकि आम मेहनतकश मज़दूरों का देश के फ़ैसले लेने में कोई महत्व नहीं होता है उन्हें बताया जाता उनके मताधिकार के बदौलत ही सरकार का चयन होता है। इस तरह से प्रचार करके लोगों से यह छुपाया जाता है कि सरमायदार वर्ग ही चुनावों के नतीजों को निर्धारित करता है। अगर पार्टी बदलने से नीतियां बदल जाती तो बहुत बार पार्टियां बदली हैं पर नीतियां वही रहती हैं। मज़दूरों-किसानों ने अपने जीवन में कोई सुधार नहीं देखा है। हम अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आज भी एक बड़ा संघर्ष कर रहे हैं। साथियों, हमें गर्व है कि हम इस पार्टी के सदस्य हैं और पार्टी हमेशा हमारे विश्वाश में बढ़ोतरी करती है कि हिन्दोस्तान का नव-निर्माण देश के मेहनतकश के अनुसार होगा।
इंक़लाब ज़िन्दाबाद,
विशाल, पटना