रेलचालक कर्मचारी अपने अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण कदम लेने की तैयारी में

मध्य रेलवे के ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) के मुंबई विभाग की अर्धवार्षिक सभा 16 जुलाई, 2011 को कल्याण के महावीर हॉल में की गयी। जबरदस्त बारिश के बावजूद सौ से भी अधिक प्रतिनिधि सभा में भाग लेने के लिये उपस्थित थे। ए.आई.एल.आर.एस.ए. रेलवे चालकों का लड़ाकू संगठन है, जिसके झंडे तले दसियों-हजारों रेलचालक अपने अधिकारों के लिये संगठित हो रहे हैं।

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निजीकरण की कोशिश के पीछे कौन है और क्यों?

एयर इंडिया के मजदूर अपनी कंपनी को दिवालिया बनाये जाने व उसका निजीकरण करने के प्रयासों के खिलाफ़ जोरदार संघर्ष कर रहे हैं।

एयर इंडिया के विभिन्न मजदूर – विमान चालक, कैबिन क्रू, जमीनी कर्मचारी और इंजिनियरिंग कर्मचारी – सभी ने लगातार यह पर्दाफाश किया है कि एयर इंडिया के वर्तमान सी.एम.डी. अरविन्द जाधव और संप्रग सरकार 1और 2के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयर इंडिया को सुनियोजित तरीके से नुकसान पहुंचाया है ताकि इस मुनाफेदार कंपनी को एक नुकसानजनक कंपनी में बदल दिया जाये। उन्होंने यह पर्दाफाश किया है कि कंपनी को क्रमशः दिवालिया बनाकर उसके एक-एक हिस्से का निजीकण किया जा रहा है ताकि अन्ततः उसका पूरा निजीकरण किया जा सके।

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अपने अधिकारों के लिये, बंगाल के चाय बाग़ान मज़दूर संघर्ष की राह पर

उत्तरी बंगाल और असम के चाय बागान मज़दूर संघर्ष की राह में उतरे हैं। वे अपने बेहिसाब शोषण के खिलाफ़ लड़ रहे हैं।

25 जुलाई, 2011 को प्रोग्रेसिव टी वर्कर्स यूनियन (पी.टी.डब्ल्यू.यू.) के तले संगठित चाय बागान मज़दूरों ने वेतन में वृद्धि की मांग लेकर चाय बागानों से चाय भेजना बंद कर दी।

पश्चिम बंगाल में भी 25तारिख को इसी मांग को लेकर सभी चाय बागानों में प्रदर्शन किये गये।

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कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन पर हमला

14 जुलाई 2011 को जम्मू और कश्मीर सरकार के हजारों कर्मचारियों ने संयुक्त कृति समिति (जे.सी.सी.) के बुलावे पर, छठे वेतन आयोग के बकाया वेतन चुकाने, दैनिक मज़दूरों को नियमित करने, सेवानिवृत्ति की उम्र को 58 से बढ़ा कर 60 करने और आंगनवाड़ी मज़दूरों के वेतन में वृद्धि की मांगों को लेकर श्रीनगर में प्रदर्शन किया।

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वोल्टास के मज़दूरों का संघर्ष तेज़ हुआ

वोल्टास के मज़दूरों के क्रमिक भूख हड़ताल के 22 जुलाई, 2011 को 100 दिन पूरे हुये। इस अवसर पर, मुंबई स्थित इस टाटा कंपनी के मुख्यालय पर एक गेट सभा की गयी, जिसमें सैकड़ों मज़दूरों ने हिस्सा लिया।

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मारूती-सुजुकी मजदूरों ने यूनियन के चुनाव का बहिष्कार किया

मानेसर स्थित मारूती-सुजुकी प्लांट के मजदूरों की इच्छा के खिलाफ़, प्रबंधक ने 16 जुलाई, 2011 को कंपनी द्वारा मान्यता प्राप्त यूनियन के पदाधिकारियों का चुनाव आयोजित किया।

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दिल्ली मेट्रो ठेका मजदूरों ने अपना अधिकार मांगा

16 जुलाई, 2011 को दिल्ली मेट्रो में काम करने वाले ठेका मजदूरों ने जन्तर-मन्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। ये मजदूर दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन (डी.एम.के.यू.) के अगुवाई में श्रम कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ़ एकत्रित हुये। इस यूनियन में टिकट विक्रेता, सफाई कर्मचारी और सिक्योरिटी गार्ड शामिल थे।

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गोवा बंदरगाह मजदूरों की हड़ताल

15 जुलाई, 2011 को मोर्मुगोवा पोर्ट ट्रस्ट (एम.पी.टी.) में काम करने वाले मजदूरों ने हड़ताल किया। इस हड़ताल का ऐलान एम.पी.टी. के 6मजदूर संगठनों ने किया। यह हड़ताल मैकेनिकल और हैन्डलिंग प्लांट (एम.ओ.एच.पी.) बर्थ नम्बर 11, तथा “मूरिंग डॉलफिन्स” के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ़ की गयी। एम.पी.टी. का मैनेजमेंट यह कह कर निजीकरण को सही ठहरा रहा है कि एम.ओ.एच.पी. में घाटा हो रहा है।

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मजदूर वर्ग की पहचान की हिफ़ाज़त में

 1 पूंजीवादी अर्थशास्त्री और पत्रकार प्रतिदिन मजदूर वर्ग के बारे में – उसकी संख्या, गठन और क्रांतिकारी गुणों के बारे में – झूठा प्रचार करते रहते हैं। इसमें सबसे मुख्य प्रचार यह है कि मजदूर वर्ग अल्पसंख्या में है जबकि समाज में “मध्यम वर्ग” बहुसंख्या में है।

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