-
मणिपुर में क्या समस्या है और इसे कौन पैदा कर रहा है?
मणिपुर की मौजूदा स्थिति के लिए हुक्मरान दोषी हैं, न कि जनता। तबाही और हिंसा के लिए न तो कुकी और न ही मैतेई लोग ज़िम्मेदार हैं। इसके विपरीत, वे इस हिंसा के शिकार हैं। मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा सत्ता में बैठे लोगों द्वारा सुरक्षा बलों, अदालतों और राज्य तंत्र के अन्य अंगों की सहायता से किया गया अपराध है। यह राजकीय आतंकवाद है। - अमरीकी साम्राज्यवाद की आप्रवासन नीति :
अमरीका-मैक्सिको सीमा पर प्रवासियों पर आपराधिक हमलेअब, बाइडन सरकार सीमा पर संभावित आप्रवासियों पर हमला करने के लिए और भी सख़्त क़ानून बना रही है।
-
विरोध कर रहे पहलवानों और उनके समर्थकों पर क्रूर हमलामज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
“जिस लोकतंत्र का हमारे शासक इतना ढिंढोरा पीटते हैं, जिसके प्रतीक – नया संसद भवन – का इस समय उद्घाटन किया जा रहा है, यह बड़े पूंजीपतियों के लिए लोकतंत्र है। संसद में बैठे लोग खुलेआम बड़े पूंजीपतियों के हितों की सेवा करते हैं, जबकि हमारी महिलाओं और सभी लोगों की न्याय के लिए आवाज़ को क्रूरता से कुचला जा रहा है …“, पुरोगामी महिला संगठन की एक कार्यकर्ता ने 28 मई को, पहलवानों के संघर्ष के समर्थन में कई संगठनों द्वारा किये गए एक बड़े विरोध प्रदर्शन में कहा।
- गिग मज़दूर :
तीव्र पूंजीवादी शोषण
ब्लिंकिट के डिलीवरी मज़दूरों ने इस साल के अप्रैल महीने में, प्रति डिलीवरी पर किये गए वेतन में कटौती को लेकर जो हड़ताल की थी, उससे गिग मज़दूरों की हालतों और समस्याओं का मुद्दा फिर से उभर कर आगे आया है। -
गिग मज़दूरों के लिए कोई क़ानूनी अधिकार नहींवेतन पर संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता और कार्य स्थल पर सुरक्षा व स्वास्थ्य पर संहिता में गिग मज़दूरों का कोई उल्लेख नहीं है। गिग मज़दूरों को इन संहिताओं से मिलने वाली महत्वपूर्ण सुविधाओं, फ़ायदों और सुरक्षा – जैसे कि न्यूनतम वेतन, कार्य स्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लाभ तथा ओवरटाइम वेतन – से वंचित रखा गया है।
-
गिग मज़दूरों के विरोध प्रदर्शनब्लिंकिट (जिसका मालिक ज़ोमैटो है) के डिलीवरी मज़दूरों ने इस साल 12 अप्रैल को, कंपनी द्वारा उनके डिलीवरी भत्ते के भुगतान में कटौती किये जाने के मुद्दे को लेकर हड़ताल की थी।
-
दिल्ली में महिला संगठनों ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के लिए न्याय की मांग कीमज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
19 मार्च को महिला संगठनों ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में संसद मार्ग से जंतर-मंतर तक एक संयुक्त जुलूस आयोजित किया। जिसका समापन विरोध स्थल पर पहुंचकर एक सभा के रूप में हुआ, जहां सैकड़ों नौजवानों सहित बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष, पहलवानों के साथ अपनी एकजुटता प्रकट करने के लिए इकट्ठा हुए। -
महिला पहलवानों के साथ खड़ी हैं पूरे भारत की महिलाएंPOCSO सहित यौन शोषण के कई मामलों में आरोपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह का बचाव बंद कर उचित कार्रवाई करें।
-
हिन्दोस्तान की महिला पहलवानों की जायज़ मांगों के समर्थन में इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन (ग्रेट-ब्रिटेन) द्वारा विरोध प्रदर्शन!इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन (ग्रेट-ब्रिटेन) के कार्यकर्ता 20 मई को शनिवार के दिन, दिल्ली में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रही महिला पहलवानों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए लंदन में भारतीय दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया। आई.डब्ल्यू.ए. के प्रतिनिधियों ने प्रदर्शन में शामिल लोगों को संबोधित किया। उन्होंने मांग की कि हिन्दोस्तान की सरकार दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करे।
-
इंडिया गेट पर कैंडल लाइट जुलूसमज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
23 मई की शाम को प्रदर्शनकारी पहलवानों के लिए न्याय की मांग को लेकर जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक कैंडल लाइट जुलूस निकला गया, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से शुरू हुए, पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के एक महीना होने को चिन्हित करने के लिए इस जुलूस का आयोजन किया गया।