निजी खिलाडि़यों को विमान उड़ान उद्योग में घुसने की इजाजत देना, पहले हिन्दोस्तान में और फिर अंतर्राष्ट्रीय रूटों पर।
सी.एम.डी.
निजी खिलाडि़यों को विमान उड़ान उद्योग में घुसने की इजाजत देना, पहले हिन्दोस्तान में और फिर अंतर्राष्ट्रीय रूटों पर।
सी.एम.डी. अरविन्द जाधव को नियुक्त करना और उसे सोचे-समझे कदमों के द्वारा इंडियन एयर लाइंस के अंतिम संस्कार की निगरानी करने का आदेश देना।
जानबूझकर संकट का वातावरण फैलाना ताकि मजदूरों की मनोभावना पर बुरा असर पड़े और एयर इंडिया के निजीकरण के पक्ष में जनमत तैयार किया जाए।
68 बोइंग 777 और 787 ड्रीमलाइनर का आर्डर देना, जबकि सिर्फ 24 की जरूरत थी। इसकी वजह से एयर इंडिया का कर्जा बहुत बढ़ गया। सरकार और कांग्रेस पार्टी के उच्चतम अधिकारियों की इस सौदे में सीधी रुचि थी। इससे बोइंग संकट से बच गया जबकि एयर इंडिया संकट में पड़ गया।
32 मुनाफेदार उड़ान मार्गों को रोक देना। इसकी वजह से निजी हिन्दोस्तानी और विदेशी प्रतिस्पर्धी कंपनियां एयर इंडिया के बाज़ार के हिस्से में घुस पायी हैं।
निजी एयर लाइंस को सबसे अच्छे उड़ान के समय देना।
राजकीय तेल कंपनियों को एयर इंडिया को ईधन देने से रोकना, यह कहकर कि पहले के पैसे नहीं चुकाये गये हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एयर इंडिया द्वारा लिये गये उधारों पर, दूसरे एयरलांइस के उधारों की तुलना में, बहुत ऊंचा ब्याज लगाना, यह कहकर कि एयर इंडिया की वित्तीय स्थिरता पर शक है।
जबकि माल्ल्या के किंगफिशर एयर लाइंस को भारतीय स्टेट बैंक तथा दूसरे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से उधार दिलाकर संकट से बचाया गया, एयर इंडिया को बचाने के लिये सरकार ने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया।
एयर इंडिया की बड़ी विमान संख्या और विशाल व कुशल श्रम शक्ति को तरह-तरह के बहाने देकर, जानबूझकर कम इस्तेमाल करना, ताकि प्रतिस्पर्धियों को मदद मिले और ऐसा महसूस हो कि एयर इंडिया की यह समस्या है कि उसके पास “ज्यादा मजदूर हैं”।
विदेशी विमान कंपनियों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय उड़ान मार्गों पर हिन्दोस्तान से व हिन्दोस्तान को उड़ान करने की इजाज़त देना और बदले में इन मार्गों पर अपनी उड़ान करने के अधिकारों को त्याग देना, इसके बावजूद कि एयर इंडिया के सारे विमानों और कुशल कर्मचारियों के काम का पूरा इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
विमान चालकों को वेतन न देना। मिसाल के तौर पर, आई.सी.पी.ए.को कुछ दिन पूर्व, प्रबंधन तथा मंत्रालय को पत्र लिखकर सूचित करना पड़ा, कि उन्हें जून के महीने के वेतन नहीं दिये गये हैं। उन्हें अप्रैल और मई के उड़ान एलावेंस (भत्ते) भी नहीं दिये गये हैं। पाठकों की जानकारी के लिये, विमान चालकों के उड़ान भत्ते उनकी आमदनी का लगभग 80प्रतिशत है।