कर्नाटक के हजारों सफाई कर्मचारी 1 जुलाई 2022 से अपनी नौकरियों की नियमितीकरण को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे। इन सफाई कर्मचारियों (जिन्हें पौरकर्मीका कहलाया जाता है) में मुख्य तौर पर महिला मज़दूर शामिल हैं। इस हड़ताल की वजह से सफाई के काम पर असर केवल बेंगलुरु के 198 वार्ड पर ही नहीं बल्कि कर्नाटक के सभी जिलों पर पड़ा।
कर्नाटक सफाई कर्मचारी कवल समिति, बी.बीएम.पी पौरकर्मीका संघ, कर्नाटक प्रगतिपाड़ा पौरकर्मीका संघ के साथ सफाई कर्मचारियों के अन्य यूनियन ने साथ मिलकर इस अनिश्चितकालीन हड़ताल का नेतृत्व किया। 4 जुलाई 2022 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उनकी सरकार उन सफाई कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी की नौकरी देगी जो अभी कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। सरकार के इस आश्वासन के बाद हड़ताल को वापस बुला लिया गया।
सफाई कर्मचारियों को बेहद अमानवीय स्थितियों में काम करने पर मजबूर किया जाता है। उन्हें बुनियादी सुविधाएं जैसे दस्ताने, पीने का पानी और शौचालय जाने की सुविधा भी नहीं दी जाती हैं। कॉन्ट्रैक्ट पर सफाई कर्मचारियों को प्रति माह 14000 रुपए दिए जाते हैं, जिससे वे अपनी दिन–प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं। किसी न किसी बहाने हर महीने उनके वेतन से 1000 से 2000 रुपए काट लिए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर, नियमित सफाई कर्मचारियों को प्रति माह 33,000 से 40,000 रुपए मिलता है।
सफाई कर्मचारी कई सालों से लड़ते आ रहे हैं। मार्च 2017 में, कर्नाटक की पिछली सरकार ने कुछ सफाई कर्मचारियों की नौकरियां नियमित की थी। हालांकि ज्यादा कर्मचारियों को तब भी कॉन्ट्रैक्ट पर ही रखा गया था। उनकी नौकरियों को नियमित करने और सामाजिक सुरक्षा के लिए उनका संघर्ष बिलकुल जायज है।