प्रिय संपादक महोदय,
महिला दिवस के अवसर पर लेख “नए समाज के संघर्ष में महिलाएं सबसे आगे!” को पढ़कर समझ में आया कि महिलाओं का असली दुश्मन पुरुष नहीं है बल्कि यह अर्थव्यवस्था है – जिसकी दिशा अमानवीय और पूंजी-केंद्रित है। यह व्यवस्था महिला समेत सभी मेहनतकश श्रमजीवियों का दुश्मन है क्योंकि इसका सार ही जन-विरोधी है।
इस लेख ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ऐसा बिलकुल नहीं है कि महिलाएं केवल अपने लिए ही संघर्ष करती हैं। हमारे देश का इतिहास भी गवाह है कि महिलाएं देश की आज़ादी के संघर्ष में भी आगे रही हैं। महिलाओं ने हमेशा से समाज के सभी दबे-कुचले वर्गों के संघर्ष में साथ दिया है और आज भी दे रही हैं, क्योंकि वे जानती हैं कि हम सब की लड़ाई एक ही है। वे जानती हैं कि इस अर्थव्यवस्था को उखाड़कर बदल देने से ही आज़ादी सुनिश्चित की जा सकती है। सभी को महिलाओं के साथ मिलकर लड़ना होगा।
प्रेरणा कुमारी,
उत्तर प्रदेश