23 जुलाई को आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश-2021 (ई.डी.एस.ओ.) के विरोध में, पूरे देश में ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों ने प्रदर्शन आयोजित किये।
आयुध निर्माण बोर्ड (ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड) का निगमीकरण करने की सरकार की योजनाओं के ख़िलाफ़ रक्षा क्षेत्र के मज़दूरों द्वारा की जाने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल के नोटिस के मद्देनज़र, 30 जून को इस अध्यादेश (ई.डी.एस.ओ.-2021) को लागू किया गया था। यह अध्यादेश केंद्र सरकार को रक्षा उपकरणों के उत्पादन, सेवाओं, रखरखाव और रक्षा प्रतिष्ठानों के संचालन में शामिल मज़दूरों द्वारा की जाने वाली हड़तालों को प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है। यह अध्यादेश “आवश्यक रक्षा सेवाओं के कामकाज, सुरक्षा या रखरखाव” को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल के इस्तेमाल की अनुमति देता है। यह प्रबंधन को बिना किसी जांच के हड़ताल में भाग लेने वाले मज़दूरों को बर्खास्त करने का अधिकार देता है। अध्यादेश को एक कानून में बदलने के लिए 22 जुलाई को संसद में एक विधेयक पेश किया गया।
सभी आयुध कारखानों और अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों के मज़दूरों ने अपने-अपने कार्यस्थलों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु सहित और कई अन्य राज्यों में सरकारी कर्मचारी और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के मज़दूर भी रक्षा कर्मचारियों के समर्थन में और हड़ताल के अधिकार पर हमले के विरोध में सामने आए।
नई दिल्ली में, ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों ने संसद के पास जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया – यह जगह उस स्थान से कुछ ही दूरी पर है, जहां पर किसान-विरोधी कानूनों के खि़लाफ़ प्रदर्शनकारी किसान “किसान संसद” आयोजित कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन, सभी ट्रेड यूनियनों – एटक, सीटू, एच.एम.एस., ए.आई.यू.टी.यू.सी., ए.आई.सी.सी.टी.यू., यू.टी.यू.सी., सेवा, एल.पी.एफ., मज़दूर एकता कमेटी (एम.ई.सी.), आई.सी.टी.यू., इंटक और टी.यू.सी.सी. के बैनर तले संयुक्त रूप से किया गया था। “सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को बंद करो!”, “हड़ताल के अधिकार पर हमले की निंदा करो!”, “असहमति के अधिकार पर हमलों का विरोध करो!”, “श्रम संहिताओं को रद्द करो!” प्रदर्शनकारी ऐसे ही नारे लगा रहे थे और साथ ही प्रदर्शनकारियों के हाथों में इन्हीं नारों के प्लेकार्ड और बैनर भी थे। उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।
प्रदर्शन के दौरान, वक्ताओं ने ई.डी.एस.ओ.-2021 और मज़दूरों के हड़ताल के अधिकार पर प्रत्यक्ष हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने रेलवे, रक्षा, बैंकों, दूरसंचार, बीमा और सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य प्रमुख उद्यमों के निजीकरण की दिशा में उठाये जा रहे क़दमों की कड़ी निंदा की, उन्होंने इसे बड़े इजारेदार पूंजीपतियों के हितों में और हम लोगों के हितों के ख़िलाफ़, एक क़दम बताया। सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में मज़दूरों को निजीकरण के ख़तरे का सामना करना पड़ रहा है और सभी मज़दूरों को अपनी आजीविका और अपने मूलभूत अधिकारों पर बढ़ते हमलों का सामना करना पड़ रहा है, उन्होंने हाल ही में पारित चार श्रम संहिताओं का उदाहरण देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि ये मज़दूर-विरोधी क़दम, मज़दूरों को उनके उन अधिकारों से वंचित करना चाहते हैं, जिन अधिकारों को मज़दूरों ने इतने कठिन संघर्षों और कुर्बानियों के द्वारा हासिल किया है। उन्होंने निजीकरण का विरोध करने के लिये तथा आजीविका और अधिकारों पर बढ़ते हमलों का मुक़ाबला करने के लिए, प्रत्येक उद्योग के मज़दूरों और देश के सभी हिस्सों के कामगारों को एकजुट होकर इस सांझे संघर्ष में जुड़ने का आह्वान किया।