गाज़ा में जनसंहार – मानवता के ख़िलाफ़ एक गंभीर अपराध!

अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों के समर्थन के साथ, इज़राइल द्वारा गाज़ा में लगातार जारी अपराधी हमलों की वजह से, वहां पर लोग तबाही, अकाल और मौत से जूझने के लिये मजबूर हैं।

Displaced_Palestinians_in_Rafahसंयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, गाज़ा पर इज़रायल के जनसंहारक युद्ध के लगभग छह महीने होने के चलते, इज़रायल के क़ब्जे़ में यह फ़िलिस्तीनी क्षेत्र, दुनिया का “सबसे बड़ा खुला-क़ब्रिस्तान” बन गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने गाज़ा में जबरन कैदी बनाये गये 23 लाख लोगों के लिये “आने वाले अकाल” के संकट की चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र संघ के कई सदस्य देशों द्वारा युद्ध विराम लागू करने के बार-बार किए गए प्रयास असफल रहे हैं, क्योंकि अमरीका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के पूर्ण समर्थन के साथ और विश्व-जनमत को पूरी तरह ठुकराते हुए, इज़राइल ने अपना जनसंहारक युद्ध जारी रखा है।

एक मानवीय संकट

7 अक्तूबर से गाज़ा पर हुये इज़रायली हमलों में कम से कम 32,226 फ़िलिस्तीनियों के मारे जाने और 74,518 लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। मरने वालों में 13,000 से अधिक बच्चे शामिल हैं।

इज़रायल द्वारा लगातार जारी युद्ध ने पहले ही गाज़ा के अधिकांश हिस्से को तबाह कर दिया है और रिहायशी इलाकों की अधिकांश आबादी को दक्षिण में मिस्र की सीमा पर स्थित रफ़ा शहर में इकट्ठा होने के लिये मजबूर कर दिया है।

पिछले 6 महीनों में संयुक्त राष्ट्र संघ के 100 से अधिक कर्मचारियों की गाज़ा में काम करते हुए, मौत हो गई है। फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए राहत और सेवाएं देने वाले, संयुक्त राष्ट्र संघ के राहत और कार्य एजेंसी (यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए.), जो गाज़ा में स्कूल, अस्पताल और अन्य सेवाएं प्रदान करने का काम करती है, उसको भी निशाना बनाया गया है और उसे फंडिंग के स्रोत से वंचित कर दिया गया है।

जानबूझकर अस्पतालों को निशाना बनाया गया है, उन पर छापे मारे गए हैं और बमबारी की गई है

इज़रायल गाज़ा पर अपने युद्ध के चलते, सुनियोजित तरीके़ से अस्पतालों को निशाना बना रहा है।

इज़रायली सेना ने दक्षिणी गाज़ा में, अल-अमल और नासिर अस्पतालों को घेर लिया है, जबकि उत्तर में इज़रायल ने अलशिफ़ा मेडिकल कॉम्प्लेक्स पर लगभग रोज़ बमबारी और सशस्त्र छापे जारी रखे हैं। अस्पतालों में मरीजों को उनके बिस्तरों से खींच निकाल कर प्रताड़ित किया जा रहा है।

यूरो-मेड ह्यूमन राइट्स मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल डिफेन्स फोर्सेज (आई.डी.एफ.) द्वारा 18 मार्च से उत्तरी गाज़ा के अलशिफ़ा अस्पताल पर एक सप्ताह की गई छापेमारी के दौरान, वहां आम लोगों की सामूहिक हत्या की गई। छापे में कम से कम 100 लोग मारे गए, जिनमें से कई को गिरफ़्तार करने के बाद मार डाला गया। दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया, पीटा गया और उन पर अत्याचार किया गया।

इन जघन्य अपराधों के चश्मदीद गवाह का कहना है कि डॉक्टरों, नर्सों, अस्पताल के कर्मचारियों के साथ-साथ, अस्पताल में शरण लेने वाले हजारों विस्थापित लोगों को इज़रायल रक्षा बलडिफेन्स फोर्सेज के क्रूर अत्याचारों का शिकार बनाया गया है। महिला मरीजों को बलात्कार, भुखमरी और यातनाओं का शिकार बनाया गया है और अंत में उन्हें मार डाला गया है।

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा का गंभीर संकट

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया है कि गाज़ा में लोगों को पर्याप्त और सही ढंग से काम करने वाले अस्पताल, डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी, दवाएं, साफ़ पानी और यहां तक कि घायलों के इलाज के लिए आवश्यक बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं भी नसीब नहीं हैं। नाकेबंदी की वजह से, चिकित्सा आपूर्ति के सामान गाज़ा तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। आपातकालीन हालातों में मरीजों को चिकित्सा के लिए वहाँ से बाहर ले जाने के सारे रास्ते बंद हैं।

डॉक्टरों के एक पैनल ने 20 मार्च को संयुक्त राष्ट्र संघ को गाज़ा में फ़िलिस्तीनियों द्वारा अनुभव की जाने वाली दहशत और पीड़ा के बारे में बताया, जैसा कि उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में पहले कभी भी और कहीं भी नहीं देखा था। डाक्टरों ने छोटे बच्चों पर गुज़रने वाली उन सबसे भयानक घटनाओं का जिक्र किया दृ ऐसे बच्चे जिन्होंने इज़रायली बमबारी में अपना पूरा परिवार खो दिया है, जो जलन और चोटों से गंभीर रूप से पीड़ित हैं, जिनमें से कई चिकित्सा व देखभाल की कमी के कारण रोज़ाना मर जाते हैं। उन्होंने सर्जरी करने या टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के दौरान, मॉर्फीन और दर्द निवारक दवाओं की कमी के कारण बच्चों के तड़प-तड़प कर मर जाने, अस्पतालों में बिस्तरों की कमी के कारण लोगों को फर्श पर मरने के लिए छोड़ देने की मजबूरी, आदि के बारे में बताया। डाक्टरों ने बताया कि उन्हें महत्वपूर्ण दवाओं की लगातार कमी के कारण, अनेस्थेसिया के बिना ही बच्चों और वयस्कों के गलों में नली डालना और उनके अंग काटना जैसी सर्जरी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि अगर बुनियादी चिकित्सा सेवाएं और दवाएं उपलब्ध होतीं तो ज्यादातर लोगों को बचाया जा सकता था। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गाज़ा में जो कुछ हो रहा है वह “जनसंहार की हर एक परिभाषा” को पूरा करता है!

लगभग बीस लाख लोग, गाज़ा के दक्षिणी भाग में संयुक्त राष्ट्र संघ प्रशासित स्कूलों में बने अस्थायी शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सैकड़ों लोगों को एक ही शौचालय और स्नान कक्ष का बारी-बारी से इस्तेमाल करना पड़ता है। स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई की इन बेहद ख़राब हालतों में, हेपेटाइटिस-ए, डायरिया और अन्य संक्रामक बीमारियां तेज़ी से फैल रही हैं।

लोगों को जानबूझकर भूखा मारना – जनसंहार का एक हथियार

फरवरी के अंत में, वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम (डब्ल्यू.एफ.पी.) के उप-कार्यकारी निदेशक ने संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद (यू.एन.एस.सी.) को बताया कि गाज़ा में 5,00,000 से अधिक या हर चार में से एक व्यक्ति अकाल के ख़तरे से जूझ रहा है। दो साल से कम उम्र के हर छः बच्चों में से एक गंभीर रूप से कुपोषित है।

गाज़ा भोजन आपूर्ति के लिए हमेशा बाहर से आने वाले खाद्य पदार्थों पर निर्भर रहा है। 7 अक्तूबर, 2023 के बाद, इज़रायल ने गाज़ा में खाद्य पदार्थों को लेकर जाने वाले ट्रकों का प्रवेश बंद कर दिया। गाज़ा में खाद्य सहायता के प्रवेश की अनुमति देने की अंतरराष्ट्रीय मांग के बावजूद, इज़रायल खाद्य सामाग्री ले जाने वाले केवल कुछ ही ट्रकों को प्रवेश की अनुमति दे रहा है, जो लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से अपर्याप्त है।

7 अक्तूबर, 2023 को वर्तमान इज़रायली जनसंहारक युद्ध के शुरू होने के बाद से, गाज़ा की बहुत छोटी अर्थव्यवस्था सुनियोजित तरीके़ से नष्ट की गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के फ़ूड एंड अग्रिकल्चरल आर्गेनाईजेशन (एफ.ए.ओ.) के अनुसार, युद्ध के दौरान उत्तरी गाज़ा में कृषि-फ़सलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। लगातार इज़रायली बमबारी से गाज़ा शहर का बंदरगाह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है, जिसके कारण मछली पकड़ना बंद हो गया है – जो लोगों के लिए भोजन और आमदनी का एक प्रमुख स्रोत हुआ करता था।

हाल के दिनों में, प्रवेश के भूमार्ग और समुद्री मार्ग बंद होने के कारण, कुछ देशों ने भोजन के पैकेट हवा से गिराने के प्रयास किये थे, लेकिन इस दौरान कई गंभीर दुर्घटनाएं हो गई हैं, जिनमें कम से कम 5 लोग मारे गए हैं। इन दुर्घटनों के बाद खाने के पैकेटों को हवाई मार्ग से गिराना बंद करना पड़ा। पिछले सप्ताह में ही, गाज़ा में खाद्य सहायता कर्मी इज़रायली हवाई हमलों में बड़ी संख्या में मारे गए हैं।

इंटरनेशनल फ़ूड सिक्यूरिटी क्लासिफिकेशन (आई.पी.सी.) की सबसे हाल की रिपोर्ट में बताया गया है कि गाज़ा अब दुनिया में कहीं भी होने वाली सबसे गंभीर भुखमरी का सामना कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार, सिर्फ उत्तरी गाज़ा में, हाल के हफ़्तों में कुपोषण, डीहाईड्रेशन (निर्जलीकरण) और बीमारी के संयुक्त प्रभाव से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं। बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। गाज़ा में 60,000 गर्भवती महिलाओं को कुपोषण का सामना करना पड़ रहा है। मार्च 2024 के बीच तक, गाज़ा की कम से कम 50 प्रतिशत आबादी अकालग्रस्त है। उत्तरी गाज़ा, जहां लगभग 3,00,000 लोग अभी भी रह रहे हैं, भोजन, दवाओं और अन्य सहायता आपूर्ति से कट गया है, क्योंकि इज़रायल ने एक चेक पॉइंट को छोड़कर उत्तरी सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया है। गाज़ा में प्रवेश करने वाली अधिकांश सहायता सामग्री को दक्षिण में दो चेक पॉइंट से होकर गुजरना पड़ता है।

जनसंहार का पर्दाफ़ाश करने वाली आवाज़ों को जानबूझकर दबाया जा रहा है

गाज़ा में जनसंहार के चलते, अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों द्वारा, दुनिया के लोगों के सामने सच्चाई को उजागर करने की कोशिश करने वालों की आवाज़ को दबाने  का लगातार प्रयास किया जा रहा है।

इज़रायल ने जनसंहार को कवर करने के लिए विदेशी पत्रकारों को गाज़ा में प्रवेश करने से इनकार कर दिया है। इज़रायली सेनाओं ने वहां के फ़िलिस्तीनी पत्रकारों पर सुनियोजित हमले शुरू कर दिए हैं, जो पत्रकार दुनिया को यह दिखाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं कि उनके लोगों के साथ क्या-क्या गुज़र रहा है। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सी.पी.जे.) की हाल की रिपोर्ट के अनुसार, गाज़ा में जनसंहार को कवर करने वाले 95 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की मौत की पुष्टि की गई है; 16 पत्रकारों के घायल होने की सूचना है; 4 पत्रकारों के लापता होने की सूचना है; 25 पत्रकारों को गिरफ़्तार किये जाने की ख़बर है। गाज़ा में युद्ध को कवर करने वाले पत्रकारों के परिवारों के सदस्यों पर कई हमले, धमकियां, साइबर हमले, सेंसरशिप और हत्याएं हुई हैं। इन पत्रकारों को विनाशकारी इज़रायली हवाई हमले, उनके संचार-साधनों पर पाबंदी, सामान की आपूर्ति की कमी और व्यापक बिजली कटौती जैसे ढेर सारे जोखि़मों का सामना करना पड़ रहा है।

दुनियाभर के कई मीडिया संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों को जनसंहार के बारे में सच बताने की हिम्मत करने के लिए सज़ा दी जा रही है। इस जनसंहार के दौरान, दुनियाभर के शिक्षक और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर जो फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में खड़े हैं, उन्हें भी चुप करा दिया गया है। इज़रायली सशस्त्र सेनाओं के अत्याचारों का पर्दाफ़ाश करने के लिए, इज़रायल में शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया, गिरफ़्तार किया गया और प्रताड़ित किया गया। अमरीका के कई विश्वविद्यालयों और स्कूलों में, शिक्षकों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं और इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के जनसंहार पर अपने छात्रों के साथ चर्चा आयोजित करने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया गया है। हिन्दोस्तान में इज़रायल के जनसंहारक युद्ध के खि़लाफ़ मज़दूरों, महिलाओं और नौजवानों के विरोध पर क्रूर हमला किया गया है।

अमरीका और इज़रायल में, गाज़ा पर इज़रायल के युद्ध का विरोध करने वाले नेताओं और सरकारी अधिकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है।

दुनिया के लोगों के सामने अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों का पूरा-पूरा पर्दाफ़ाश हो रहा है

गाज़ा में इजराइल द्वारा जनसंहारक युद्ध वर्तमान समय में मानवता के खि़लाफ़ किये जाने वाले सबसे गंभीर अपराधों में से एक है। यह जनसंहार अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों द्वारा इज़रायल को लगातार दिए जा रहे आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक समर्थन के बिना संभव नहीं हो सकता है।

अमरीका इज़रायली सशस्त्र बलों का सबसे बड़ा धनदाता है, जो इज़रायल को सालाना 3 अरब डॉलर की सहायता प्रदान करता है। जाना जाता है कि अमरीका गाज़ा पर इज़रायल के हमले का समर्थन करने के लिए 14 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता भेजने की योजना बना रहा है। 2013-2022 के दौरान, इज़रायल के हथियारों का लगभग 68 प्रतिषत आयात अमरीका से हुआ। ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया कुछ अन्य प्रमुख साम्राज्यवादी शक्तियां हैं जो इज़रायल को सैन्य सहायता प्रदान करती हैं।

इज़रायल का समर्थन करने वाली विभिन्न साम्राज्यवादी शक्तियों का मुखिया, अमरीकी साम्राज्यवाद ही मानवता के खि़लाफ़ इस जघन्य अपराध के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार है।

दुनियाभर के देशों ने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में गाज़ा पर इज़रायल के युद्ध को समाप्त करने के लिए, युद्धविराम के एक के बाद एक प्रस्ताव पेश किये हैं, लेकिन इज़रायल और अमरीका व उसके सहयोगियों ने उनमें से हर एक प्रस्ताव का विरोध किया है और उसे ख़ारिज कर दिया है।

इस स्थिति में, अमरीकी राष्ट्रपति का “युद्धविराम” का आह्वान बेहद ढोंगी और पाखंडी है। अमरीका ने हर दिन सौ से अधिक फ़िलिस्तीनियों का जनसंहार करने और गाज़ा की पूरी आबादी को भूखा मारने के लिए इज़रायली सरकार को धन और हथियार देना जारी रखा है। इसके पर्याप्त सबूत हैं कि नेतन्याहू सरकार द्वारा की गई हर बड़ी कार्रवाई, पिछले साल अक्तूबर में उत्तरी गाज़ा के लोगों के नस्लवादी परिष्करण से लेकर पिछले सप्ताह के अंत में अलशिफ़ा अस्पताल पर हमले तक, और रफ़ा पर इज़रायल के संभावित हमले को भी, अमरीका के साथ मिलीजुली सुनियोजित योजना के मुताबिक ही की जा रही है। पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद और इज़रायल में अमरीकी पूर्व राजदूत ने, सार्वजनिक रूप से, गाज़ा से फ़िलिस्तीनियों के निष्कासन और इज़रायल द्वारा वेस्ट बैंक के क़ब्जे़ की अपनी योजनाओं के बारे में बात की है।

अमरीकी प्रशासन “युद्धविराम” के इस पाखंडी आह्वान के ज़रिए खुद को “मानवाधिकारों के रक्षक” और “नियम पर आधारित व्यवस्था के रक्षक” के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है, जब कि इस समय वह अमरीकी लोगों और दुनिया के लोगों की नज़रों में पूरी तरह से बेनक़ाब हो गया है। इस हक़ीक़त को अब सभी जान गए हैं कि अमरीकी प्रशासन दुनिया के राष्ट्रों और लोगों के अधिकारों का सबसे बड़ा दुश्मन और शांति के लिए सबसे गंभीर खतरा है।

तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम तथा जनसंहारक युद्ध की समाप्ति

दुनियाभर के लोग एकजुट होकर फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ जनसंहारक युद्ध को तत्काल समाप्त करने के लिए, युद्धविराम की मांग कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकांश सदस्य देशों, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन और अरब लीग सहित, अनेक अन्य लोगों ने एकमत से युद्धविराम का आह्वान किया है। पूरे अमरीका और यूरोप, एशिया और लैटिन अमरीका के लगभग हर देश में, लोग जनसंहार को रोकने की मांग करते हुए, हजारों की संख्या में सड़कों पर उतर रहे हैं।

हिन्दोस्तानी लोग इस कठिन घड़ी में बहादुर फिलिस्तीनी लोगों के साथ खड़े हैं। अमरीका के पूर्ण समर्थन के साथ इज़रायल द्वारा फिलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ छेड़ा गया जनसंहारक युद्ध फ़ौरन बंद होना चाहिए।

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