फ़िलिस्तीनी कैदियों की भूख हड़ताल विजयी

अप्रैल 2012 के मध्य में, इस्राइल की जेलों में बंदी बनाये 2000 से भी अधिक फिलिस्तीनी राजनीतिक कैदी, अपने देश के एक देशभक्त गुट द्वारा ढाई महीने पहले शुरू की गयी भूख हड़ताल में शामिल हुये। इस्राइली राज्य द्वारा फ़िलिस्तीनी कैदियों पर निर्दयी अत्याचार के विरोध में ये कैदी भूख हड़ताल कर रहे थे।

अप्रैल 2012 के मध्य में, इस्राइल की जेलों में बंदी बनाये 2000 से भी अधिक फिलिस्तीनी राजनीतिक कैदी, अपने देश के एक देशभक्त गुट द्वारा ढाई महीने पहले शुरू की गयी भूख हड़ताल में शामिल हुये। इस्राइली राज्य द्वारा फ़िलिस्तीनी कैदियों पर निर्दयी अत्याचार के विरोध में ये कैदी भूख हड़ताल कर रहे थे।

इन 2000 कैदियों द्वारा भूख हड़ताल पर उतरने के करीब एक महीने बाद, इस्राइली सरकार को बदलाव लाने पड़े हैं, जैसे कि गाज़ा के कैदियों के परिवारों को मुलाकात की अनुमति, एकांत कारावास की नीति का अंत और ''प्रशासनिक हिरासत'' को, यानि कि बिना मुकदमे के हिरासत में रखने को, सार्थकता से कम और सीमाबध्द करना।

दुनियाभर के न्याय और आज़ादी पसंद लोगों ने फ़िलिस्तीनी कैदियों के संघर्ष को समर्थन दिया है। इस्राइली राज्य के नस्लवाद, फासीवाद और उपनिवेशवाद का विरोध करने वाले यहूदियों के संगठन भी इनमें शामिल हैं। हड़ताल के समाप्त होने के कुछ ही घंटों पहले, यहूदी शांति संगठन तथा दखल समाप्त करने के लिये अमरीकी अभियान (यू.एस. कैम्पेन टु एंड द औक्यूपेशन) ने 8000 से भी अधिक हस्ताक्षर अमरीकी स्टेट विभाग को भेजे जिसमें मांग रखी गयी थी कि इस्राइली राज्य कैदियों की मांगों को मंजूरी दे। 17 मई, 2012 को दुनिया भर में हजारों लोगों ने कैदियों के समर्थन में 24घंटे की भूख हड़ताल करने का प्रण लिया था। इस्राइली सरकार द्वारा फ़िलिस्तीनी कैदियों की मांगों को स्वीकार करने पर इसे रद्द किया गया।

फ़िलिस्तीनी कैदियों की विजय नक्ब की 64वीं सालगिरह मनाने के साथ-साथ हुयी। नक्ब, 1948 से शुरू किया गया, जातीय सफ़ाया का एक नियमित अभियान था जिसके तहत अधिकांश फ़िलिस्तीनी लोगों को स्वदेश से उखाड़ फैंका गया था। कैदियों की जीत से फ़िलिस्तीन की आजादी, न्याय, आत्मनिर्धारण तथा शरणार्थियों की वापसी के बारे में आशा और संभावना बढ़ी है। मज़दूर एकता लहर इस्राइल के कारावासों में लड़ रहे फ़िलिस्तीनी लोगों की विजय को सलाम करता है और फ़िलिस्तीनी लोगों के अपने राष्ट्रीय अधिकारों के संघर्ष को हिन्दोस्तानी मज़दूर वर्ग और लोगों का समर्थन जताता है।

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