ईरानी आतंकवादियों का अमरीकी साम्राज्यवादी प्रशिक्षण

अमरीकी साम्राज्यवाद का विरोध करने वाले देशों और सरकारों के लिये मुसीबतें पैदा करने के लिये अमरीकी साम्राज्यवाद ने एक हथियार का इस्तेमाल करने में निपुणता हासिल की है। वह है, उन देशों के अंदर विध्वंसकारी गुटों को तैयार करना और उन्हें सहायता देना। ऐसे गुटों को तोड़-फोड़ करने, हत्यायें करने और दूसरी अपराधी हरकतें करने के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे उन देशों में अस्थिरता ला सकें।

अमरीकी साम्राज्यवाद का विरोध करने वाले देशों और सरकारों के लिये मुसीबतें पैदा करने के लिये अमरीकी साम्राज्यवाद ने एक हथियार का इस्तेमाल करने में निपुणता हासिल की है। वह है, उन देशों के अंदर विध्वंसकारी गुटों को तैयार करना और उन्हें सहायता देना। ऐसे गुटों को तोड़-फोड़ करने, हत्यायें करने और दूसरी अपराधी हरकतें करने के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे उन देशों में अस्थिरता ला सकें।

हाल में द न्यू योर्कर पत्रिका में लिखने वाले जाने-माने पत्रकार सेमोर हेर्ष ने एक प्रामाणिक तहक़ीक़ात के आधार पर लेख लिखा, जिसमें अमरीकी प्रशासन द्वारा कम से कम 2004-05 से जारी, अमरीका के नेवाडा प्रांत के गुप्त मरूस्थल इलाके में एक ईरानी आतंकवादी गुट के प्रशिक्षण का विवरण दिया गया। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, यह एम.इ.के. नामक गुट, ईरानी सरकार के खिलाफ़ हर तरीके की अपराधी हरकतें की हैं, जिनमें कई ईरानी वैज्ञानिकों की हत्यायें भी शामिल हैं।

कैसे एम.इ.के. के अधिकारी अमरीकी संयुक्त विशेष कमान के द्वारा सीधे गुप्त छावनी में हवाई जहाज से लाये जाते थे, यह जांच पड़ताल से उजागर हुआ है। यहां उन्हें विभिन्न कुशलताओें के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है जैसे कि संचार, कूट लेखन (क्रिप्टोग्राफी), तथा ''छोटी इकाई के दांवपेंच'', जिसका सरल मतलब है, युध्द। हेर्ष के अनुसार, इस बात में कोई अनिश्चितता नहीं है कि प्रशिक्षण के दायरे में अलग-अलग तरीकों से यातनायें देना और हत्यायें करना भी शामिल हैं। उदाहरण के लिये, इस वर्ष जनवरी में जिस तरह के बम से एक नौजवान ईरानी वैज्ञानिक को मारा गया था वह निश्चयात्मक तौर से इस हरकत का संबंध अमरीकी समुद्री कमांडो (सील्स) से जोड़ता है।

अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा प्रशिक्षित तोड़-फोड़ करने वालों को नियमित तौर पर अफग़ानिस्तान की सीमा से चोरी-छिपे ईरान के अंदर तोड़-फोड़ करने के लिये पहुंचाया जाता है। इन अपराधी तत्वों के समर्थन की कार्यवाहियों में इस्राइली राज्य व उसकी खुफिया एजेंसियां, अमरीका के साथ नज़दीकी से काम कर रही हैं।

विडंबना तो यह है कि 1997 से ईरानी एम.इ.के. गुट को खुद अमरीकी अधिकारियों ने आतंकवादी गुट करार किया है। इसके बावजूद, इसको न केवल अमरीकी प्रशिक्षण, खुफिया जानकारी और सामग्री मिली है, बल्कि, जांच पड़ताल से पता चला है, कि अमरीका की रिपब्लिकन व डेमोक्रेटिक, दोनों प्रमुख पार्टियों की जानी-मानी राजनीतिक हस्तियों को इस गुट के समर्थन में बोलने के लिये पैसे दिये जाते हैं।

इससे साफ होता है कि अमरीकी साम्राज्यवाद का यह प्रचार कितना ढोंगी है, कि वह पश्चिम एशिया और अफ्रीका व दुनिया के दूसरे हिस्सों में लोकतंत्र व मानवाधिकारों का समर्थन करता है, कि वह ''आतंकवाद के खिलाफ़ जंग'' छेड़ रहा है। रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है, जो कि और भी खुल कर समझ में आता जा रहा था, कि आज दुनियाभर में अमरीकी साम्राज्यवाद खुद आतंकवाद का सबसे बड़ा स्रोत है। उन्हें हत्यारों, अपराधियों और उस तरह के लोगों के साथ काम करने में कोई संकोच नहीं है अगर इससे उस देश में उनका मकसद पूरा होता है। वे किसी देश के विरोधी गुटों को सिर्फ शांतिपूर्वक नैतिक समर्थन नहीं देते हैं, बल्कि कपटपूर्ण हिंसा के लिये शस्त्र देते हैं और खुली व छुपी हिंसा को उकसाने में सक्रियता से भाग लेते हैं। पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में अमरीका समर्थित विरोधी दलों की बढ़ती हिंसा से इसकी पुष्टि हुई है।

आज एशिया और उत्तरी अफ्रीका में अपना आधिपत्य जमाने की योजना में अमरीका को ईरान सबसे बड़ा रोड़ा नजर आता है। उन्होंने ईरानी सरकार व लोगों के खिलाफ़ एक अनुचित हमला किया है। इनमें शामिल हैं जबरदस्त आर्थिक प्रतिबंध, जंग की तैयारियां, ईरान को एक ''दुष्ट'' राष्ट्र घोषित करना और सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जोरदार राजनीतिक दबाव। इस रिपोर्ट से साफ तौर पर इस बात की भी पुष्टि होती है कि इन कार्यवाइयों में ईरान के अंदर पहले से पहचाने आतंकवादी गुटों के ज़रिये गुनाहकारी तोड़-फोड़ भी शामिल है।

जहां भी अमरीकी मौजूदगी है, वहां वे अपने एजेंटों व समर्थकों के नेटवर्क को व्यवस्थित ढंग से स्थापित करते हैं। जरूरत न पड़ने पर ये नेटवर्क छिपे रहते हैं मगर जब अमरीकी साम्राज्यवाद के हित में जरूरी होता है तब उनकी पूरी तैयारी रहती है और वे सक्रिय हो जाते हैं। पूरी दुनिया के सभी देशों की संप्रभुता की रक्षा और खास करके अपने इलाके की सुरक्षा के लिये, अमरीकी षडयंत्र व दखलंदाजी के खतरे को कम करके नहीं देखा जा सकता है।

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