दुनिया भर में महिला दिवस जोर-शोर से मनाया गया

अंतर्राष्ट्रीय मेहनतकश महिला दिवस की शताब्दी, महिलाओं व मेहनतकश लोगों ने दुनिया भर में, मोर्चा, प्रदर्शनों, गोष्ठियों, नाटकों और तरह-तरह के दूसरे तरीकों से बड़े जोर-शोर से मनाई। जिन मुद्दों को उठाया गया था वे सभी सिर्फ महिलाओं पर प्रभाव डालने वाले मुद्दों तक सीमित नहीं थे बल्कि कई मुद्दे, मानवों, मेहनतकश लोगों व राष्ट्रों के अधिकारों से जुड़े थे।

अंतर्राष्ट्रीय मेहनतकश महिला दिवस की शताब्दी, महिलाओं व मेहनतकश लोगों ने दुनिया भर में, मोर्चा, प्रदर्शनों, गोष्ठियों, नाटकों और तरह-तरह के दूसरे तरीकों से बड़े जोर-शोर से मनाई। जिन मुद्दों को उठाया गया था वे सभी सिर्फ महिलाओं पर प्रभाव डालने वाले मुद्दों तक सीमित नहीं थे बल्कि कई मुद्दे, मानवों, मेहनतकश लोगों व राष्ट्रों के अधिकारों से जुड़े थे।

ग़ाजा तथा वेस्ट बैंक में, फिलिस्तीनी महिलाओं ने इस्राईल का अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार आयोजित किया। बेरूत, लेबनान में बहुत सी महिलाओं ने 8मार्च, 2010 को रेडक्रास दफ्तरों के सामने प्रदर्शन किये। उनके नारों में लिखा था “महिला बंदियों के सभी मानव अधिकारों का हन्न हो रहा है।”, “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम हर जगह सभी संघर्षरत महिलाओं को सलाम करते हैं!”

बगदाद में बेबीलोन होटल के सामने सैकड़ों महिलाओं ने रैली में भाग लिया। जंग और प्रतिक्रियावादी हिंसा को खत्म करने, तथा पुरुषों से बराबरी का सामाजिक स्तर पाने की मांगों को लेकर उनके नारों में पढ़ने को मिला, “महिलाओं को नजरंदाज करना बन्द करो!”

कोरिया के सोल शहर में, सरकार द्वारा गर्भपात पर छापा मारने के विरोध में कई कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन आयोजित किये। उस देश में गर्भपात सरकारी तौर पर गैर कानूनी है अगर साबित नहीं किया जाता कि यह मां के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है या यह एक बलात्कार का मुद्दा है।

यूरोप के बहुत से देशों में भी, महिलाओं ने बच्चे पैदा करने पर खुद निर्णय लेने के अधिकार के समर्थन में और उनके गर्भपात के अधिकार को सीमित करने के विरोध में प्रदर्शन किये। इटली, फ्रांस व स्पेन में, महिलाओं ने नस्लवाद तथा प्रवासी मज़दूरों पर भेदभाव व हमलों के खिलाफ जुलूस निकाले।

यूनान में 8 मार्च, 2010 के दिन एथेन्स शहर के मध्य में हज़ारों महिलाओं व पुरुषों ने यूनानी सरकार के नये ‘कमर कसो’ कार्यक्रम के खिलाफ़ प्रदर्शन किये। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आर्थिक संकट का बोझ मेहनतकश लोगों पर डालना है। इसी विषय पर, 480 करोड़ यूरो के ‘कमर कसो’ पैकेज के खिलाफ़ यूनान की ट्रेड यूनियनों ने कुछ दिन बाद एक अहम प्रदर्शन किया।

चीन, इन्डोनेशिया, बंगलादेश के कई शहरों तथा एशिया के अन्य कई शहरों में महिला दिवस के प्रदर्शन हुये। 8मार्च को फिलिपींस के मनीला शहर में एक विशाल व रंगीला जुलूस वहां स्थित राष्ट्रपति राजभवन तक आयोजित किया गया जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं और कई पुरुषों ने भी भाग लिया। इन जुलूसों ने भेदभाव नीति, लैंगिक हिंसा व सामाजिक अन्यायों की खिलाफ़त के साथ-साथ आज़ादी, न्याय तथा बराबरी के लिये लड़ाई जारी रखने के अपने दृढ़ संकल्प की पुनर्पुष्टि की।

शनिवार, 6 मार्च, 2010 को “लाखों महिलाओं उठो” जुलूस में, लंदन शहर में हजारों महिलाओं ने भाग लिया और महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा को खत्म करने की मांग की। इस जुलूस में बांटे गये पर्चे में ब्रिटेन में व अंतर्राष्ट्रीय तौर पर हो रही महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा की सच्चाई उजागर की गयी। इसमें ध्यान दिलाया गया कि हर वर्ष, 5से 15साल की 20लाख लड़कियों का अवैध देह व्यापार होता है। स्वास्थ्य सेवा का अभाव भी एक गंभीर समस्या है; साल के हर मिनट दुनिया में एक महिला गर्भावस्था में मर जाती है, जबकि इनमें अधिकांश मौतें इलाज से टाली जा सकती थीं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के तहत, 7 मार्च 2010 के दिन कनाडा के क्यूबेक प्रांत के 110स्थानों में संयोजित कार्यवाहियों के हिस्सा बतौर मोंट्रियाल शहर में एक सजीव कार्यवाही की गयी। ‘तीसरी दुनिया की महिलाओं के प्रदर्शन’ का यह क्यूबेक आरम्भ था। अलग-अलग व्यवसायों के 1000से भी अधिक लोगों तथा बहुत से महिला अधिकार संगठनों ने फिलिपींस चैक से शुरू करके मोन्ट्रीयाल की सड़कों पर जुलूस निकाले।

इस जुलूस में विभिन्न मांगें रखी गयीं जिनमें शामिल थीं:

  • बच्चे पैदा करने या न करने के महिलाओें के जन्मसिद्ध अधिकार की रक्षा;
  • महिलाओं के जिस्म को बिकाऊ वस्तु बनाने की, तथा उच्च विद्यालयों में यौन शिक्षा रोकने के कानून की खिलाफ़त का संघर्ष;
  • निजीकरण व फीस वृद्धि के जरिये जन सेवाओं के, खास तौर पर स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाओं के खात्में  का विरोध;
  • जीवन का बुनियादी स्तर बहाल कराने के लिये न्यूनतम वेतन (10.69 डॉलर प्रति घंटा) तथा वेलफेयर पर लोगों का सम्मान;
  • आदिवासी महिलाओं के अधिकारों के प्रति सम्मान से लिये केन्द्र सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की आदिवासी लोगों के अधिकारों पर घोषणा पर दस्तख़त;
  • पाठशालाओं से सैन्य भर्ती का अंत तथा अफगानिस्तान से फौज की वापसी।

इसी तरह एक जीवंत कार्यक्रम कनाडा के टोरान्टो शहर में 6 मार्च, 2010 को आयोजित किया गया। इसमें कई हजार लोगों ने भाग लिया। ‘बिल्डिंग स्ट्रोंगर फ्यूचर’, जो सामाजिक आवास के लिये संघर्ष करता है तथा 12वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये कार्यक्रम करता है, इस संस्था की महिलाओं व बच्चों ने इसमें पहलकदमी ली और फिर एस.ए.डब्ल्यू.आर.ओ. की टोली भी इसमें जुड़ गयी। सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाली महिलायें व उनके सहकर्मी भी इसमें बड़ी संख्या में शामिल थे।

मैक्सिको में महिलायें वहां के खदान मज़दूरों, जो अपने मूलभूत श्रम व मानव अधिकारों के लिये हड़ताल कर रहे थे, उनके समर्थन में सड़कों पर उतरीं। युरुगुवे में भी एक बहुत विशाल प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसका खास निशाना अमरीकी साम्राज्यवाद का जोरदार विरोध करना था।

अफ्रीका के बहुत से शहरों से भी कई कार्यक्रमों की ख़बरें मिली हैं।

दुनिया भर में महिलाओं का दिन मेहनतकश महिलाओं व पुरुषों द्वारा जोश के साथ मनाया गया। यह साम्राज्यवाद व शोषण की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़, एक ऐसे नये समाज के संघर्ष को मान्यता देता है, जिसमें महिलाओं के आत्मसम्मान की रक्षा होगी।

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