किसानों के लिए आगे का रास्ता

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 14 दिसंबर, 2021

दिल्ली की सरहदों पर बीते एक साल से चल रहा किसान आन्दोलन अब समाप्त हो गया है। 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सरहदों को छोड़ने का फ़ैसला लिया। यह फ़ैसला केंद्र सरकार द्वारा तीनों किसान-विरोधी क़ानूनों के रद्द किए जाने और दूसरी मांगों पर केंद्र सरकार से लिखित आश्वासन हासिल करने के बाद लिया गया। सरकार ने एक कमेटी स्थापित की है जो यह सिफारिश करेगी कि सभी राज्यों में सभी फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य किस प्रकार से सुनिश्चित किया जाएगा। सरकार इस कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा चुने गए कुछ प्रतिनिधियों को शामिल करने का वादा कर रही है।

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करनाल में किसान प्रदर्शनकारियों पर हुए क्रूर हमले की निंदा

सरकार के किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर, 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल के पास बस्तर टोल प्लाजा पर, पुलिस द्वारा बेरहमी से हमला किया गया था।

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यह धर्म-युद्ध है मज़दूरों और किसानों का, अधर्मी राज्य के ख़िलाफ़!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 10 जनवरी, 2021

आज हमारे देश और पूरी दुनिया को हमारी सरकार और देश की बहुसंख्यक आबादी, किसानों और मजदूरों, के बीच में एक ऐसा विवाद नज़र आ रहा है, जिसका कोई हल नहीं दिखता है। 26 नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर ऐसा विशाल जन-विरोध चल रहा है, जिसका इससे पहले किसी को अनुमान न था। जन-विरोध की फौरी मांगों में मुख्य मांग यह है कि उन तीनों कानूनों को रद्द किया जाये, जिन्हें संसद में पारित किया गया था और जिनके लागू होने पर इजारेदार पूंजीवादी कॉर्पोरेट घराने कृषि क्षेत्र पर पूरी तरह हावी हो जायेंगे।

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किसान-विरोधी कानूनों को रद्द कराने के लिए किसानों ने पूरे देश में आंदोलन तेज़ किया

सिंघू, टिकरी, गाजीपुर, चिल्ला, धूना, औचंदी, पियू मनारी और सबोली सहित दिल्ली की सीमाओं के विभिन्न विरोध स्थलों पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन ने 30 दिसंबर को 35वें दिन में प्रवेश किया। शाहजहांपुर और राजस्थान के पास राजस्थान-हरियाणा सीमा पर और पलवल के पास उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा पर भी विरोध प्रदर्शन जारी है।

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