कार्ल मार्क्स एक महानतम क्रांतिकारी विचारक व मज़दूर वर्ग के महान नेता थे। उनका जन्म 5 मई, 1818 को हुआ था। उनके जीवन का लक्ष्य था पूंजीवाद को उखाड़ फेंकने और मज़दूर वर्ग तथा पूरे समाज को सभी प्रकार के शोषण से मुक्त कराने में अपना योगदान देना।
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कार्ल मार्क्स की 206वीं सालगिरह पर :
सोवियत संघ के विघटन के 30 साल बाद:
समाजवाद ही पूंजीवाद का एकमात्र वास्तविक विकल्प है
रूस में हुई 1917 की अक्तूबर क्रांति के फलस्वरूप, सोवियत संघ के जन्म के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में एक गुणात्मक परिवर्तन आया। उस क्रांति ने जिस नए सोवियत राज्य और समाजवादी व्यवस्था की हिफ़ाज़त की वह पूरी दुनिया के लोगों के लिए एक तमन्ना और प्रेरणा का स्रोत बन गई। मज़दूर वर्ग का एजेंडा ही राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र-बिंदु बन गया। पूंजीपति वर्ग के प्रवक्ताओं को भी यह दिखावा करना पड़ा कि वे किसी न किसी प्रकार के समाजवाद के पक्षधर हैं।
आगे पढ़ेंकार्ल मार्क्स की 202वीं सालगिरह के अवसर पर :
पूंजीवाद की जगह पर समाजवाद स्थापित करना आज वक्त की मांग है
“हुक्मरान वर्गों को कम्युनिस्ट क्रांति के डर से कांपने दो। श्रमजीवियों के पास अपनी जंजीरों के सिवाय और कुछ खोने का नहीं है। उनके पास जीतने के लिए सारी दुनिया है। सभी देशों के मज़दूरों, एक हो!” कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र की यह जानी-मानी ललकार 5 मई, कार्ल मार्क्स के जन्म दिवस पर पूरी दुनिया में गूंज उठी।
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