हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 8 जून, 2024
मज़दूरों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों का काम अपनी जुझारू एकता को मज़बूत करना और अपनी रोज़ी-रोटी व अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए सरमायदारों के हमलों के खि़लाफ़़ अपने संघर्ष को आगे बढ़ाना है। हमें अपनी हुकूमत स्थापित करने के रणनैतिक लक्ष्य के साथ यह संघर्ष करना होगा – यानी, पूंजीपति वर्ग की हुकूमत की जगह पर मज़दूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित करनी होगी।
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18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे :
मज़दूरों और किसानों के लिए आगे का रास्ता
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का आह्वान, 12 नवंबर, 2023
मज़दूरों और किसानों को देश का हुक्मरान बनना होगा और अर्थव्यवस्था को एक नयी दिशा दिलानी होगी ताकि सबके लिए सुरक्षित रोज़गार और खुशहाली सुनिश्चित की जा सके। हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि, बिना किसी अपवाद के, समाज के सभी सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकारों और मानव अधिकारों की सुरक्षा की जाये।
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पत्रकारों पर हमले की निंदा करें!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी का बयान, 6 अक्टूबर, 2023
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी इन छापों और गिरफ़्तारियों की निंदा करती है और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर ज़बरदस्त हमला मानती है। कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी कठोर यू.ए.पी.ए. के प्रयोग की निंदा करती है। यू.ए.पी.ए. क़ानून सिर्फ़ यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है कि गिरफ़्तार किए गए लोगों को जमानत की संभावना के बिना, अनिश्चित काल तक जेल में बंद रखा जा सके। पत्रकारों के ख़िलाफ़ छापेमारी, गिरफ़्तारी और यू.ए.पी.ए. के इस्तेमाल का उद्देश्य उन सभी की आवाज़ को दबाना है, जो सत्ता से असहमति जताने की हिम्मत करते हैं।
आगे पढ़ेंसी.ए.ए. का विरोध करने वालों की इतने लंबे समय तक जेलबंदी :
जनवादी अधिकारों का घोर हनन!
17 नौजवानों, जिनमें 4 महिलाएं भी शामिल थीं, उन्हें कठोर कानून यू.ए.पी.ए. के तहत गिरफ़्तार किया गया था। उन पर यह आरोप लगाया गया था कि फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को आयोजित करने में उन्होंने साजिश की थी। अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान उन्हें गिरफ़्तार किया गया था।
आगे पढ़ेंलोक राज संगठन द्वारा आयोजित यू.ए.पी.ए. पर बैठक :
यू.ए.पी.ए. – शोषण की वर्तमान व्यवस्था के ख़िलाफ़ किसी भी प्रकार के विरोध को कुचलने का एक यन्त्र
यू.ए.पी.ए. के तहत राजनीतिक कार्यकर्ताओं की क्रूर और लंबे समय तक कैद और जमानत से बार-बार इनकार करने के लिए एन.आई.ए. का इस्तेमाल – ये सभी कुछ ऐसे मुद्दे थे, जो 25 जुलाई को लोक राज संगठन द्वारा आयोजित यू.ए.पी.ए. पर एक बैठक में चर्चा के दौरान हावी रहे। यह सभा एक ऑनलाइन मीटिंग के रूप में आयोजित की गई थी। इस बैठक में बड़ी संख्या में युवा और छात्र, महिलाएं, मज़दूर, किसान, राजनीतिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हुए।
आगे पढ़ेंमानव अधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की निंदा करें!
6 जून को पुणे की पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और यू.ए.पी.ए. (गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम) की विभिन्न दफाओं के तहत, पांच मानव अधिकार कार्यकर्ताओं – प्रोफेसर शोमा सेन, रोना विल्सन, महेश राउत, सुधीर धावले और सुरेन्द्र गेडलिंग – को गिरफ्तार किया। इन पांचों को तथाकथित “गैरकानूनी गतिविधियों” में भाग लेने के आरोप पर गिरफ्तार किया गया है, परन्तु
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