रोज़गार की मात्रा और गुणवत्ता, दोनों में भारी गिरावट

हमारे देश की आबादी का एक बहुत बड़ा तबका अपनी रोजी-रोटी कमाने में असमर्थ है। लाखों परिवार दो वक़्त की रोटी के लिए भी मोहताज हैं। अपनी आमदनी में होने वाली कमी की वजह से, उन्हें जिससे भी उधार मिल सकता है उससे लेकर वे जीने के लिये लाचार हैं।

आगे पढ़ें

बेरोज़गारी – पूंजीवादी व्यवस्था का अनिवार्य हमसफ़र है!

मार्च 2018 को भारतीय रेल के 90,000 पदों के लिए 2.5 करोड़ लोगों ने आवेदन किया। फरवरी 2018 को तमिलनाडु में टाइपिस्ट, स्टेनोग्राफर और ग्राम प्रशासन अधिकारी के 9500 पदों के लिए 19 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया। इनमें 992 पी.एच.डी. और 23,000 स्नातकोत्तर (पोस्ट-ग्रेजुएट) थे। 2017 में कश्मीर में पुलिस सब-इंस्पेक्टर के 698 पदों के लिए 65,000 उम्मीदवारों ने

आगे पढ़ें