भाग 3 : द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले प्रमुख साम्राज्यवादी शक्तियों तथा सोवियत संघ की रणनीति
दुनियाभर के बाज़ारों और प्रभाव क्षेत्रों के पुनः बंटवारे के लिए नए साम्राज्यवादी युद्ध की शुरुआत 1930 में हो गयी थी। ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी को सोवियत संघ के ख़िलाफ़, जापान को चीन और सोवियत संघ के ख़िलाफ़ भड़काने की सोची-समझी नीति चलायी, ताकि ये सभी देश आपसी टकराव के चलते कमजोर हो जाएं। ऐसा करते हुए ब्रिटेन और फ्रांस जंग में कुछ देर बाद शामिल होने और विजेता बनकर उभरने की योजना बना रहे थे। अमरीका की रणनीति हालातों पर निगाह रखने और बाद में जंग में उतरने की थी ताकि अन्य साम्राज्यवादी ताक़तों के थक जाने के बाद वह स्पष्ट रूप से सबसे शक्तिशाली देश की तरह उभर कर आये।
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