1 जनवरी, 2010 को जब सरकार बड़ी धूम-धाम से प्रवासी भारतीय दिवस मना रही थी, तब प्रवासी मजदूर संगठनों ने संसद के सामने एक रैली आयोजित की। उन्होंने रोजी-रोटी के लिये विदेश जाने वाले हिन्दोस्तानी मजदूरों तथा रोजी-रोटी के लिये दूसरे देशों से हिन्दोस्तान आने वाले मजदूरों के अधिकारों के अभाव का विरोध किया। इन संगठनों ने देश के अंदर, एक राज्य से दूसरे राज्य में काम करने के लिये जाने वाले मजदूरों के अध
आगे पढ़ेंमछली कर्मियों ने अपनी समस्याओं को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन किया
राष्ट्रीय मछली कर्मी फोरम ने अपने सभी राज्य ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर 11 जनवरी, 2010 को नयी दिल्ली में संसद के सामने दिन-भर धरना दिया।
आगे पढ़ेंइस्पात मजदूरों की महत्वपूर्ण हड़ताल
30-31अक्तूबर, 2009को इस्पात मजदूर और इस्पात उद्योग के ठेका मजदूर, स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर, हड़ताल पर गये।
आगे पढ़ेंदेश भर में निर्माण मजदूरों की हड़ताल
7लाख से अधिक निर्माण मजदूरों ने 8दिसम्बर, 2009को देश भर में हड़ताल की। 19राज्यों के 175जिलों में तथा 50बड़ी निर्माण परियोजनाओं में यह हड़ताल की गई। कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (सी.डब्ल्यू.एफ.आई.) ने हड़ताल का आह्वान दिया था।
आगे पढ़ेंपेट्रोलियम मजदूरों की गोष्ठी
देश के तेल और गैस मजदूरों ने मुम्बई में 11-12 दिसम्बर, 2009 को अपने संगठन की गोष्ठी की।
गोष्ठी के नारे थे – ''आत्मनिर्भर राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिये तेल की सार्वजनिक क्षेत्र कंपनियों की रक्षा करो!'' और ''ट्रेड यूनियन बनाने और सामूहिक सौदे के अधिकार को सुरक्षित करने के लिये नियमित और ठेका मजदूरों के संघर्षों को एकजूट किया जाये!''
आगे पढ़ेंजूट मजदूरों की हड़ताल
पश्चिम बंगाल के 2.5 लाख जूट मजदूरों ने 14 दिसम्बर, 2009 को अनिश्चितकालीन हड़ताल की। उन्होंने मालिकों और सरकार के बीच हुये पूर्व त्रिपक्षीय समझौतों को लागू करने और बढ़ती महंगाई को देखते हुये महंगाई भत्ता दिये जाने की मांग की। मजदूरों ने हड़ताल के द्वारा सरकार और जनता को यह बताना चाहा कि मिल मालिक सभी समझौतों और श्रम कानूनों का हनन करते हैं। जूट मजदूरों के 21 टे्रड यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान दिय
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 29वीं सालगिरह के मौके पर भव्य समारोह
सिर्फ वही पार्टी कम्युनिस्ट हो सकती है जो श्रमजीवी वर्ग के अधिनायकत्व के लिये काम कर रही हो!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के जीवन के 30वें वर्ष की शुरुआत मनाने के लिये 25 दिसम्बर, 2009 को दिल्ली में एक भव्य राजनीतिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके पश्चात, वर्तमान हालातों और हिन्दोस्तानी मजदूर वर्ग व कम्युनिस्टों के सामने, खास तौर पर कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी जो मजदूर वर्ग को सत्ताा में लाने के अपने काम के 30वें वर्ष में प्रवेश कर रही है, के सामने चुनौतियों पर चर्चा के लिये दो दिवसीय सम्मेलन किया गया।
आगे पढ़ेंशोपियां मामले में सी.बी.आई. द्वारा लिपा-पोती
असलीयत पर पर्दा डाला और लोगों का उत्पीड़न किया कश्मीर में लोगों के खिलाफ़ आतंक की निन्दा करें!
आगे पढ़ेंनारायणपटना में राज्य द्वारा आदिवासियों के दमन की निंदा करें!
ओडिसा के कोरापुट जिले के नारायणपटना ब्लॉक में राज्य की पुलिस ने आदिवासियों के खिलाफ़ जबर्दस्त दमन का अभियान शुरु किया हुआ है।
आगे पढ़ेंकोपेनहेगन में जलवायु शिखर सम्मेलन बिना विश्वव्यापी समझौते के समाप्त
पूंजीवाद द्वारा थोपी गई शर्तो के अंतर्गत पर्यावरण संकट का समाधान संभव नहीं
दुनिया भर से 45,000 लोग दिसम्बर, 2009 में जलवायु परिवर्तन पर एक नये विश्वव्यापी समझौते की आशा से कोपेनहेगन पहुंचे। बहुत से लोग ऐसे देशों में से थे, जहां जलवायु परिवर्तन से लोगों की रोजी-रोटी और यहां तक कि जीवन को भी भयंकर खतरा है। परंतु 192 देशों की भागीदारी से हुए इस सम्मेलन का नतीजा सिर्फ इतना ही था कि अमरीका और पांच अन्य देशों ने एक सौदा किया!
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