खाद्य पदार्थों की मुद्रा स्फीति: कीमतें इतनी ज्यादा क्यों हैं और इस समस्या का समाधान क्या है?

पिछले करीब एक वर्ष में चावल,गेहूं, दाल, चीनी, अंडे, दूध, प्याज व आलू जैसे जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण मज़दूर वर्ग व मेहनतकशों के परिवारों का जीवन असहनीय हो गया है। एक वर्ष पहले जो तेजी से महंगाई बढ़नी शुरू हुई, वह आज भी जारी है और मुद्रा स्फीति की दर 20प्रतिशत से भी अधिक हो गयी है। इसका मतलब है कि जो परिवार मासिक वेतन पाते हैं या सेवानिवृति पर निश्चित आय पाते हैं, उनकी

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महिलाओं के दमन का स्रोत शोषण पर आधारित समाज है

8 मार्च, 2010 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की घोषणा की शताब्दी होगी। अपने अधिकारों और समाज में सम्मान पाने के लिये दुनिया की महिलाओं के संघर्ष के सौ साल से अधिक पूरे होने के इस अवसर पर मज़दूर एकता लहर समाज में महिलाओं के दमन के स्रोत को स्पष्ट करती है और इस तरह, इस दमन को खत्म करने की दिशा दिखाती है।

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दुनिया की पृष्ठभूमि में हिन्दोस्तानी पूंजीपतियों के सैनिकीकरण की झलक

जब हम हिन्दोस्तानी सैनिकीकरण पर नज़र ड़ालते हैं तब हमें याद रखना होगा कि हर तौर पर अमरीका सबसे बड़ी सैनिक शक्ति है। अमरीका के सैनिक दुनियां के कोने-कोने में तैनात हैं। अमरीका न केवल पारंपरिक व नाभिकीय, दोनों तरह के हथियारों में सबसे आगे है, उसका वार्षिक सैनिक खर्चा (51500 करोड़ अमरीकी डॉलर) उससे निचले स्तर के देशों (फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, रूस, इटली) से 9 से 12 गुना ज्यादा है। य

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लोक राज संगठन ने आगामी समय के लिये कार्य निर्धारित किये

चुनी गयी नई सर्व हिन्द परिषद की पहली सभा 17 जनवरी 2010 को दिल्ली में की गयी। यह एक अहम सभा थी क्योंकि कई महत्वपूर्ण विषयों पर यहां विचार विमर्श किया गया और अहम निर्णय लिये गये।

कड़ाके की ठंड के बावजूद अच्छी संख्या में सदस्य मौजूद थे और उन्होंने निम्नलिखित चर्चाओं में सक्रियता से भाग लिया:

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हिन्दोस्तान के सरमायदार बड़ी तेजी से सैन्य शक्ति बढ़ा रहे हैं

आज हिन्दोस्तान अपनी आर्थिक समृद्धि की दर और देश के अंदर और पूरे विश्व में आक्रामक आर्थिक निवेशों के लिये उतना ही चर्चा में है, जितना कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी बढ़ रही भूमिका के लिये चर्चा में है। यह अपने आक्रामक फौजीकरण के लिये भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

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क्रान्ति आ सकती है तथा अवश्य आयेगी!

संपादक महोदय,

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट गद़र पार्टी के महासचिव की ओर से पार्टी के सदस्यों को नव वर्ष की शुभकामनाओं के लिये मैं आभारी हूं। हिन्दोस्तान की धरती पर क्रान्ति आ सकती है तथा अवश्य आयेगी, इस विषय पर उनके जोश और आशावादिता से मैं प्रोत्साहित हूं।

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बैंगलोर एक अहम योगदान

संपादक महोदय,

10 जनवरी, 2010 को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति द्वारा जारी बयान ‘इस उपनिवेशवादी प्रकार के गणतंत्र को बहुत देर तक बर्दाश्त कर लिया है! मजदूर वर्ग को हिन्दोस्तानी संघ का पुनर्गठन करना होगा!’ – यह माक्र्सवाद-लेनिनवाद के दृष्टिकोण में एक अहम योगदान है।

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रेलवे मोटरमैन की जायज माँगों का समर्थन करें!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, मुंबई समिति तथा मज़दूर एकता चलवल द्वारा प्रकाशित, 22 जनवरी 2010

वर्षों से अपनी मांगों पर जोर देने के बाद मुंबई के मोटरमैनों के पास काम रोकने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा था। पहली बार पश्चिम रेलवे व मध्य रेलवे के मज़दूरों ने एक समन्वय समिति बना कर घोषित किया कि 26 जनवरी को वे काम रोकेंगे।

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ओडिसा के बंद खदानों के मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन किया

ओडिसा के केओन्झार जिले के बर्बील-जोडा-गंदमर्दन खदान क्षेत्र के 10,000 से अधिक खदान मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया है। और 10,000 खदान मज़दूरों के सर पर नौकरी से निकाल दिये जाने की तलवार इस वक्त लटक रही है।

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