पश्चिम बंगाल में चुनाव

पश्चिम बंगाल में व्यवस्था परिवर्तन की जरूरत है

माकपा नीत पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार मजदूरों और किसानों की सरकार नहीं है। वह एक पूंजीवादी सरकार है जो पश्चिम बंगाल की हालतों में पूंजीपतियों की संपूर्ण रणनीति को लागू करती आई है। माकपा के काम का इतिहास यह दिखाता है कि वह कम्युनिस्ट-विरोधी है। 60के दशक में उसने केन्द्र में बैठी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर, कम्युनिस्ट क्रान्तिकारियों की अगुवाई में चल रहे नक्सलबाड़ी किसान आन्दोलन को कुचला था।

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वी.आई. लेनिन की 141वीं सालगिरह के अवसर पर : श्रमजीवी क्रान्ति और श्रमजीवी वर्ग के अधिनायकत्व की जीत के लिये संघर्ष करें!

हमारे देश में कई पार्टियों ने कम्युनिज़्म को अपना लक्ष्य बताया है परन्तु वे मजदूरों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों को उन लक्ष्यों के लिये संगठित करते हैं जो श्रमजीवी वर्ग का अधिनायकत्व स्थापित करने के लक्ष्य से विपरीत हैं। हमारी पार्टी का यह मानना है कि इस निर्णायक असूल पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कम्युनिस्ट पार्टी की परिभाषा यह है कि वह श्रमजीवी वर्ग का अधिनायकत्व स्थापित करने का राजनीत

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चुनाव प्रक्रिया में मूलभूत परिवर्तन की ज़रूरत है

पांच राज्यों – असम, बंगाल, तमिलनाडु, पुदुचेरी और केरल – की विधानसभाओं के चुनाव इस वर्ष अप्रैल और मई में होंगे। ये चुनाव ऐसे समय पर हो रहे हैं जब खाद्य और दूसरी ज़रूरी चीजों की आसमान छूने वाली कीमतों की वजह से मेहनतकशों का जीवन और ज्यादा कठिन हो गया है तथा अधिक से अधिक बुनियादी ज़रूरत की चीजें लोगों की पहुंच से बाहर जा रही हैं। बड़े-बड़े नेताओं, अफसरों और विभिन्न इजारेदार पूंजीपतियों के तरह-त

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शिक्षा का अधिकार कानून की हक़ीक़त

एक अप्रैल 2010, को शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुआ था। उसके एक साल बाद इस कानून के पीछे हिन्दोस्तान की सरकार के असली इरादे स्पष्ट हो रहे हैं – समानता या इंसाफ की चिन्ता किये बिना, मुख्यतः पूंजीवादी बाजार की मांगें पूरी करना।

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पार्टी बदलने से नहीं चलेगा, पूरी व्यवस्था बदलनी होगी!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 20 मार्च, 2011

पूंजीवादी लोकतंत्र के इस गहरे संकट का इस्तेमाल इंकलाब और समाजवाद की ओर बढ़ने के लिए कम्युनिस्टों को करना चाहिए। इसके बजाय, माकपा और भाकपा इस व्यवस्था को बचाना चाहती हैं। हर एक चुनाव में ये पार्टियाँ कभी एक तो कभी दूसरी पूंजीवादी पार्टी की दुम बन जाती हैं। अपनी इस लाइन को वे यह तर्क देकर सही बताती हैं कि प्रान्तिक पूंजीपति मजदूर वर्ग और समाजवाद के आन्दोलन में सहयोगी हैं। पहले कई बार माकपा और भाकपा ने द्रमुक को धर्मनिरपेक्ष बताकर उसके साथ गठबंधन बनाया। आज ये पार्टियाँ अन्ना द्रमुक के साथ गठबंधन बना रही हैं, जिसे उन्होंने कभी पहले सांप्रदायिक, भ्रष्ट और गुनहगार पार्टी करार दिया था। मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था के साथ घुल-मिल जाने की लाइन के चलते, माकपा के अन्दर मौजूद भ्रष्टाचार का भी पर्दाफाश हुआ है, खास तौर से उन राज्यों में जहाँ यह सत्ता में रही है।

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लिबिया पर साम्राज्यवादी हमले के खिलाफ़ प्रदर्शन!

24 मार्च, 2011 को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, सोसलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और पीपुल्स फ्रंट (दिल्ली) ने संसद के सामने लिबिया पर अमरीकी, ब्रिटिश, फ्रांसीसी व अन्य नाटो ताकतों के वहशी साम्राज्यवादी हमले का विरोध करने के लिये एक संयुक्त प्रदर्शन आयोजित किया।

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लिबिया पर साम्राज्यवादी हमले की निंदा करें!

19 मार्च से अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन और कुछ अन्य साम्राज्यवादी देषों ने लिबिया में राजधानी त्रिपोली समेत कुछ गिने-चुने लक्ष्यों पर टोमाहोक मिसाइल बरसाये हैं और दूसरे घातक हथियारों से हमले किये हैं। हमलावरों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लिबिया पर'उड़ान निषेध क्षेत्र' थोपने वाले प्रस्ताव से समर्थन मिल रहा है। इसका यह मतलब है कि लिबिया का कोई भी विमान अपने देश के हवाई क्षेत्र म

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ग्रामीण चौकीदारों का संघर्ष

संपादक महोदय

मैं हरियाणा में ग्रामीण चौकीदार हूं। हमारे संगठन, हरियाणा ग्रामीण चौकीदार सभा, के सैकड़ों सदस्यों ने 23 फरवरी, 2011 को दिल्ली की रैली में हिस्सा लिया। उस रैली में आपका अखबार मजदूर एकता लहर मुझे मिला। मैंने अखबार को पढ़ा, मुझे बहुत अच्छा लगा।

हम हरियाणा के ग्रामीण चौकीदार अपनी कुछ मांगों को लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं।

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मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह

रविवार, 13 मार्च को मुंबई के वरली बी.डी.डी. चॉल में सैकड़ों महिलाओं और दूसरे निवासियों ने मिलकर बड़े जोश के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। दूर की बस्ती पडगांव समेत कई अन्य मजदूर वर्ग रिहायशी इलाकों से महिलाओं ने भी इसमें भाग लिया।

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