आर्थिक सुधार कार्यक्रम पर मजदूर-मेहनतकशों के विचार

मजदूर वर्ग और मेहनतकशों की हिमायत करने वाले अखबार और संगठन बतौर, हम मेहनतकशों के नेताओं से यह सवाल कर रहे हैं कि 20 वर्ष पहले शुरू किये गये सुधारों के परिणामों के बारे में हिन्दोस्तान के मेहनतकशों का क्या विचार हैं। क्या उन सुधारों से मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को फायदा हुआ है या नुकसान?

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अशोक लेलैंड, चेन्नई के यूनियन नेता थिरू कण्णन का साक्षात्कार

म.ए.ल. : कृपया आप हमें अपनी यूनियन के बारे में बताएं।

कण्णन : अशोक लेलैंड की चेन्नई फैक्टरी में हमारे 4000 से अधिक मज़दूर हैं। कमर्शियल वाहनों का उत्पादन करने में हिन्दोस्तान में हमारा दूसरा नंबर है। 2010-2011 में हमारी कुल बिक्री 200 करोड़ अमरीकी डॉलर थी। मैं पिछले 30 सालों से ट्रेड यूनियनों का सक्रिय सदस्य रह चुका हूँ। अशोक लेलैंड के बुजुर्ग ट्रेड यूनियन नेता, थिरू आर. कुचेलार की आगुवाई के मज़दूर यूनियनों के सक्रिय नेताओं में से मैं एक हूँ।

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मजदूर वर्ग के अधिकारों की हिफ़ाज़त में सर्व हिन्द विरोध

8 नवम्बर को अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों से लाखों-लाखों मजदूरों ने रैलियों और जेल-भरो कार्यक्रमों के साथ, सर्व हिन्द विरोध दिवस मनाया। सभी राज्यों की राजधानियों और दूसरे शहरों में ये विरोध कार्यक्रम आयोजित किये गये। रेलवे, बैंक, बीमा, रक्षा, संचार तथा निजी क्षेत्र के बड़े-बड़े उद्योगों के मजदूरों ने सक्रियता से इन विरोध कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।

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गद्दाफ़ी की हत्या और लिबिया के पुनः उपनिवेशीकरण की निंदा करें!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 6 नवम्बर, 2011

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी लिबिया के नेता करनल मुअम्मर गद्दाफ़ी की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा करती है। अमरीका नीत नाटो बलों द्वारा, लिबिया पर अपने नाज़ायज़ व अपराधी कब्ज़े और उस देश के पुनः उपनिवेशीकरण के हिस्से बतौर, यह हत्या की गई थी।

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मणिपुर में नाकाबंदी : मणिपुर के वर्तमान संकट के लिए हिन्दोस्तानी राज्य की ‘बांटो और राज करो’ की राजनीति जिम्मेदार है

1 अगस्त से, बीते 3 महीनों से, मणिपुर के दो राष्ट्रीय महामार्ग, एन.एच. 39 और एन.एच. 53, पर नाकाबंदी लगी हुई है। एक तरफ, कूकी लोगों के संगठनों ने वर्तमान सेनापति जिले के अंदर, अलग सदर पर्वतीय जिले के निर्माण की मांग को लेकर नाकाबंदी शुरू किया, तो दूसरी तरफ मणिपुर में युनाइटेड नगा काउंसिल (यू.एन.सी.) ने इस मांग का विरोध करने के लिये, अपनी नाकाबंदी लागू कर दी। अब सिर्फ यू.एन.सी.

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आर्थिक सुधार कार्यक्रम पर मजदूर वर्ग के विचार

मजदूर वर्ग और मेहनतकशों की हिमायत करने वाले अखबार और संगठन बतौर, हम मेहनतकशों के नेताओं से यह सवाल कर रहे हैं कि 20 वर्ष पहले शुरू किये गये सुधारों के परिणामों के बारे में हिन्दोस्तान के मेहनतकशों का क्या विचार है। क्या उन सुधारों से मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को फायदा हुआ है या नुकसान?

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का. देवेन यादव, संयोजक, संयुक्त कृति समिति, पश्चिम तथा मध्य रेलवे मोटरमैन्स एसोसिएशन

नई आर्थिक नीति का लाभ पूंजीपतियों के साथ-साथ सरकार को भी हुआ है। इस नीति से सार्वजनिक तथा निजी उद्यमों में बड़े पैमाने पर उसने ठेका मज़दूरी लागू की है।

उदाहरण के तौर पर, रेलवे में साफ़-सफ़ाई ठेकेदार से करवाते हैं। तीसरी तथा चैथी श्रेणी के अनेक पदों को खत्म कर दिया गया है, लेकिन अफ़सरों के पद बढ़ाये गये हैं।

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का. चालके, महाराष्ट्र सर्कल सचिव, नैशनल फेडरेशन ऑफ पोस्टल एम्प्लॉयइज़

मनमोहन सिंह ने 1991 में जो नई आर्थिक नीतियां लागू की थीं, वे मज़दूर वर्ग के लिये विनाशकारी हैं। हमें सौ साल पहले के युग में धकेला गया है। मज़दूर वर्ग के लिये उनसे कुछ भी लाभ नहीं हुआ है। बल्कि बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। मिसाल के तौर पर, सरकार ने 2004 में घोषित कर दिया कि डाक विभाग के नये भर्ती कर्मियों को पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। विश्व बैंक की अपनी नौकरी छोड़ कर मनमोहन सिंह 1991 में वित्त म

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