”हिन्दोस्तान किस दिशा में?“ – इस विषय पर तमिल नाडू में सफल सभा

”गद्दार बड़े पूंजीपतियों के वर्ग ने, अर्थात उपनिवेषवादी शासकों के साथ सहयोग करके अमीर बननेवाले बड़े पूंजीपतियों तथा बड़े ज़मीनदारों ने, 1947 के सांप्रदायिक विभाजन के साथ समझौता और सहयोग किया था। अपने खुद के हाथों में सत्ता लेने के संकुचित उद्देष्य के लिए बड़े पूंजीपतियों के वर्ग ने ऐसा किया था। उस सत्ता के ज़रिये वह बहुत ही बड़ा बन चुका है। आज अपने संकुचित ध्येयों के लिए वह देष को फासीवाद

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दक्षिण अफ्रीका के प्लैटिनम खदान मज़दूरों की हत्या की कड़ी निंदा करें!

16 अगस्त, 2012 को, दक्षिण अफ्रीकी पुलिस बल द्वारा 34 खदान मज़दूरों की हत्या, तथा 78 मज़दूरों को घायल करने की, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी घोर निंदा करती है। इस नरसंहार के लिए जो जि़म्मेदार हैं, उन्हें सजा देने के लिए तथा अपनी उचित मांगों की पूर्ति के लिए संघर्ष में, हिन्दोस्तान के मज़दूर, दक्षिण अफ्रीका के मज़दूरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

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“यात्रियों की सुरक्षा के लिए, मोटरमैनों की मांगों का समर्थन करें!”

“यात्री-मोटरमैन एकता जि़ंदाबाद!”

“एक पर हमला सब पर हमला!”

10 सितंबर की शाम को जब उपरोक्त नारे मुंबई के चर्चगेट स्टेषन में गूंजने लगे, तब कई यात्री आष्चर्यचकित हो गये कि यह क्या हो रहा है?

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ठाणे में हजारों मजदूरों ने सरकार की दमन की नीति की निंदा की!

7 सितंबर के दिन ठाणे की मुख्य सड़कें “एक पर हमला सब पर हमला!”, “दमनकारी सरकार मुर्दाबाद!”, “मजदूर एकता जिंदाबाद!” आदि नारों से गूंज उठी। इस विरोध प्रदर्शन में हजारों मजदूर तथा जनतांत्रिक लोग शामिल हुए। धर्मराज्य कामगार-कर्मचारी महासंघ के हजारों सदस्यों के साथ सर्व श्रमिक संघ, कामगार एकता चलवल, सीटू, आदि संगठन भी शामिल हुए।

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गुड़गांव के मजदूरों ने अधिकारों के लिए महारैली की

21 सितम्बर, 2012 को संयुक्त ट्रेड यूनियन कमेटी की अगुवाई में, ईस्टर्न मेडिकेट कंपनी का ताला खुलवाने तथा मारुति-सुजुकी (मानेसर) के मजदूरों को काम पर वापस लेने की मांग को लेकर, पांच हजार से ज्यादा मजदूरों ने गुड़गांव स्थित लघु सचिवालय पर महारैली की।

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प्रतिवाद करने के अधिकार पर हमले की निंदा करें!

पूरे देश में, राज्य के सुरक्षा बल प्रतिवाद करने वालों पर जमकर हमला कर रहे हैं। प्रतिवाद करने के अधिकार को कुचलने के लिये संप्रग सरकार ने फासीवादी हमला छेड़ दिया है।

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नारोडा पाटिया पर फैसला:

इंसाफ के संघर्ष को जारी रखना होगा, चाहे कितनी ही मुश्किलें हों

31 अगस्त को अहमदाबाद के एक विशेष अदालत ने नरोडा पाटिया के भयानक हत्याकांड में उनकी भूमिका के लिये भाजपा विधायक और भूतपूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी तथा 30 अन्य लोगों को दोषी ठहराया। नरोडा पाटिया का हत्याकांड उन अनेक भीभत्स घटनाओं में से एक था, जो 2002 में गुज

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तेहरान में गुट-निरपेक्ष आंदोलन की बैठक:

ईरान को अलग करके सज़ा देने की कोशिश का सख्त विरोध

सितम्बर, 2012 के आरंभ में तेहरान में गुट-निरपेक्ष आंदोलन की 16वीं शिखर बैठक शांतिपूर्वक संपन्न हुई। इसमें 100 से अधिक सदस्य देशों ने भाग लिया और कई देशों की सरकारों के प्रधान वहां प्रतिनिधि बतौर उपस्थित थे। इस्राइली प्रधानमंत्री ने बड़ी कोशिश की थी कि संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य सचिव पर शिखर बैठक में उपस्थित न ह

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पूंजीपतियों और केंद्र सरकार द्वारा जनता के धन की लूट की निंदा करें!

2004-09 के बीच में कोयला ब्लाकों में चुनिंदा निजी कंपनियों को आवंटन के बारे में सी.ए.जी. की रिपोर्ट से एक और स्पष्ट उदाहरण मिलता है कि कैसे इजारेदार पूंजीपतियों ने, केंद्रीय मंत्रीमंडल और उसकी देख-रेख में काम करने वाले मंत्रालयों के सहयोग से, जनता के कुदरती संसाधनों को लूटा है। उन पांच वर्षों के दौरान, 150 अति मूल्यवान कोयला ब्लाक लगभग मुफ्त में कुछ कंपनियों को आवंटित किये गये। सी.ए.जी.

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