मां बैदेही ऑयल रिफाइनरी वर्कर्स यूनियन के झंडे के तले, हजारों तेल रिफाइनरी मज़दूरों ने पारादीप, ओडिसा में 14 जनवरी, 2011 को अपनी मांगों के समर्थन में एक जन रैली कामयाब की।
सूरत के विद्युत करघा (पावर लूम) मज़दूरों ने 17 जनवरी, 2011 से वेतन वृध्दि की मांग को लेकर अपनी हड़ताल शुरू की है। उन्हें पुलिस के साथ बहादुरी से लड़ना पड़ा है जिसमें 15 मज़दूर जख्मी होने की रिपोर्ट मिली है।
ब्रह्मपुत्र क्रेकर एण्ड पॉलीमर लिमिटेड निर्माण श्रमिक यूनियन के झंडे के तले संगठित मज़दूरों ने 5 जनवरी, 2011 से डिब्रूगढ़ के समीप लेपेटकाटा परियोजना स्थल पर अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल की। मज़दूरों ने ध्यान दिलाया है कि ब्रह्मपुत्र क्रेकर एण्ड पॉलीमर लिमिटेड (बी.सी.पी.एल.), इं
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2010 के आखिरी 6 महीनों में अमरीका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के प्रधानों ने सरकारी तौर पर हिन्दोस्तान की यात्रा की। यह देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्य हैं, जिन्हें पी-5 के नाम से जाना जाता है। इन पी-5 प्रधानों का, एक के बाद एक, हिन्दोस्तान आना यह दिखाता है कि दुनिया की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी त
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कर्नाटक राज्य में एक गंभीर संकट उभरकर आया है, जिसकी वजह से बैंगलोर में व आसपास उच्च कोटि की भूमि के आवंटन में अपने परिजनों के साथ पक्षपात करने के आरोपी मुख्यमंत्री श्री बी.एस. येदयूरप्पा पर राज्यपाल श्री एस.आर.
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बांग्लादेश के दसों-हजारों वस्त्र मज़दूरों द्वारा वेतन में बढ़ोतरी के लिये दिसम्बर में हुये संघर्ष के बारे में हम मज़दूर एकता लहर में पहले भी लिख चुके हैं।
खाद्य पदार्थों की कीमतों में रिकॉर्ड वृध्दि हुई है। पिछले एक साल में ही उनमें 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके नतीजे, लोगों के रहन-सहन के स्तर में कमी की वजह से लोग सड़कों पर उतरे हैं और बहुत सी जगहों पर उन्हें सशस्त्र सैनिकों से जूझना पड़ा है। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें, टयू
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समाचार लिखे जाने तक, उत्तरी अफ्रीकी देश टयूनिशिया में मेहनतकश लोगों का जबरदस्त विद्रोह चल रहा है। पूर्व राष्ट्रपति, जिसने 1987 से अब तक राज किया, उसे साउदी अरब भागना पड़ा है।
आसमान छूती हुई महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी तथा रोजगार की असुरक्षा, मजदूरों के अधिकारों पर सबतरफा हमलों के खिलाफ़ पूरे देश के मजदूर-मेहनतकश संघर्ष कर रहे हैं और बड़ी संख्या में निकलकर अपने अधिकारों की हिफाज़त में आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।