तेज़ी से बढ़ते हवाई यात्रा उद्योग से अधिकतम मुनाफे कमाने की संभावना से आकर्षित होकर, देशी और विदेशी बड़ी-बड़ी निजी इजारेदार कंपनियां इस क्षेत्र पर हावी होने के लिये आपस में लड़ रही हैं। एयर इंडिया को दिवालिया बनाकर उसका निजीकरण करना इस खेल का एक हिस्सा है।
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