कर्नाटक विधानसभा के चुनाव-2023 :
बदलाव का भ्रम


इजारेदार पूंजीपति अपने धनबल का और मीडिया पर अपने नियंत्रण का इस्तेमाल करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी पसंदीदा पार्टी ही चुनाव जीते। मेहनतकश जनता के बीच व्यापक असंतोष और कर्नाटक में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के ख़िलाफ़ बढ़ते गुस्से को देखते हुए, इजारेदार पूंजीपतियों ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने और इन चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित करने का फै़सला किया।

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हमारे पाठकों से
1857 से कुछ सबक

संपादक महोदय,

मजदूर एकता लहर द्वारा प्रकाशित “हम हैं इसके मालिक हिन्दोस्तान हमारा!   1857 के महान ग़दर की यह पुकार अभी तक साकार नहीं हुई है” लेख आज के नज़रिए से प्रासंगिक है। यह लेख हिंदोस्तानी मज़दूर वर्ग के लगभग 300 वर्षों का कालखंड दिखाता है जिसमें 1857 के पूर्व और पश्चात के दृश्य समाहित किए गए हैं। लेख में उल्लेखित कुछ विषयों पर बात करना जरूरी समझती हूँ।

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महाराष्ट्र में पेट्रोलियम रिफाइनरी परियोजना के विरोध में प्रदर्शन

महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के लोग, बरसू सलगांव रिफाइनरी की प्रस्तावित परियोजना का विरोध कर रहे हैं, जिसकी वजह से बहुत ज्यादा गुस्से में हैं। सभी गांवों के लोग इस परियोजना का विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कि यह परियोजना हजारों स्थानीय लोगों की आजीविका पर, सीधे-सीधे और तुरंत, बहुत ही क्रूर प्रभाव डालेगी। इससे उनकी ज़मीन और रोज़ी-रोटी छिन जाएंगे। इस परियोजना से कोंकण क्षेत्र के पर्यावरण के लिए भी एक गंभीर ख़तरा पैदा हो जायेगा।

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महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न को नजरंदाज़ करने के लिए हिन्दास्तानी राज्य की निंदा करें

इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन (ग्रेट-ब्रिटेन) का बयान, 15 मई, 2023

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यू.एफ.आई.) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह, जो कि उत्तर प्रदेश से भाजपा के सांसद भी हैं। महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने की उनके ख़िलाफ़ की गई शिकायतों को हिन्दोस्तानी राज्य नज़रंदाज़ कर रहा है। डब्ल्यू.एफ.आई. के अध्यक्ष को उनके पद से हटाने और उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की मांग को लेकर, ये पहलवान 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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ESIC Contrect Worker


ई.एस.आई.सी. के ठेका मज़दूर संघर्ष के रास्ते पर

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता द्वारा
जब 28 अप्रैल, 2023 को लेबर कोर्ट की ओर से नोटिस आया तब ठेकेदार ने 1 मई को 55 मज़दूरों को दूर-दराज़ के इलाकों के लिये ट्रांस्फर लेटर दे दिये। हालांकि मज़दूरों ने ठेकेदार से एक सप्ताह का समय मांगा था, लेकिन ठेकेदार कंपनी ने घोषित कर दिया कि जो मज़दूर 3 मई से नई जगह पर काम पर नहीं जायेगा उसे नौकरी से निकाल दिया जायेगा।

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हिन्दोस्तान में मई दिवस की रैलियां :
देशभर में लाखों मज़दूरों ने अपने अधिकारों पर हो रहे हमलों का विरोध किया

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

1 मई, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर देशभर के मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित कीं। उन्होंने मज़दूरों द्वारा 1886 में शिकागो में किये गये संघर्ष को सलाम किया। शिकागो के मज़दूरों ने 8 घंटे के काम के दिन के अधिकार की लड़ाई लड़ी थी। देशभर के मज़दूरों ने मज़दूर वर्ग पर हो रहे हमलों का विरोध किया जैसे कि निजीकरण, ठेकाकरण व मज़दूर-विरोधी क़ानून और नीतियां, आदि। उन्होंने काम करने की बेहतर स्थिति के अपने अधिकार की मांग की।

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हम हैं इसके मालिक, हिन्दोस्तान हमारा!
1857 के महान ग़दर की यह पुकार अभी तक साकार नहीं हुई है

 


10 मई को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के ख़िलाफ़ हुये महान ग़दर की वर्षगांठ को हिन्दोस्तान के लोग बड़े गर्व के साथ मनाते हैं। 1857 में इसी दिन सेना की मेरठ छावनी के सैनिकों ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बग़ावत का झंडा बुलंद किया था। उन्होंने दिल्ली की ओर कूच किया था और मुगल शासक बहादुर शाह ज़फर के समर्थन से अंग्रेजों को हिन्दोस्तान से निकाल फेंकने के अपने इरादे का ऐलान किया था। उन्होंने देश के कोने-कोने से सभी समुदायों के लोगों से अपने साथ जुड़ने का आह्वान किया था। उनका बहुत ही प्रेरणादायक नारा था – हम हैं इसके मालिक, हिन्दोस्तान हमारा!

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Wrestlers’ protest at Jantar Mantar wins overwhelming support


जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरने को मिला जबरदस्त समर्थन

ओलंपिक पदक विजेता और राष्ट्रमंडल चैंपियन जैसे देश के जाने-माने पहलवान, 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यू.एफ.आई.) के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि डब्ल्यू.एफ.आई. प्रमुख को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए, उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए और उनके खि़लाफ़ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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मणिपुर में हुई हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है?


3 मई से 5 मई, 2023 के बीच तीन दिन और तीन रात तक मणिपुर में अराजकता और हिंसा की हालतें बनी रहीं। राजधानी इंफाल, चुरचंदपुर, बिष्णुपुर सहित राज्य के कई अन्य शहरों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हथियार बंद गिरोहों ने उत्पात मचाया। उन्होंने लूटपाट की तथा मौत और तबाही फैलाई। लोगों के घरों और उनकी संपत्ति को बर्बाद किया।

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May Day


दुनियाभर में अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे मज़दूरों को लाल सलाम!

मई दिवस के अवसर पर दुनियाभर के मज़दूरों ने रैलियों और जुलूसों का आयोजन किया

पूंजीपतियों और सरकारों द्वारा मज़दूरों के अधिकारों पर किये जा रहे हमलों के खि़लाफ़ दुनियाभर के मज़दूरों ने विशाल रैलियां आयोजित कीं। इस साल मई दिवस पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में दुनिया के कई देशों में लाखों मज़दूरों ने भागीदारी की। कई देशों में रैलियों को रोकने और मज़दूरों को घरों में रोके रखने के प्रयास किये गये। लेकिन मज़दूरों को रोकने के लिये की गई तमाम कोशिशों के बावजूद, मज़दूर सड़कों पर उतरे और विरोध करने के अपने अधिकार की रक्षा की।

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