मजदूर वर्ग को राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में लेनी होगी ताकि सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अर्थव्यवस्था को नयी दिशा दी जा सके!
मई दिवस 2013 पर कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का आह्वान
मजदूर साथियो!
आगे पढ़ेंमजदूर साथियो!
आगे पढ़ेंइस विषय पर लेखों की श्रृंखला में यह द्वितीय भाग है। यह हाल में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के अंदर और मजदूर वर्ग आंदोलन में चर्चा का एक अहम विषय रहा है।
आगे पढ़ेंकार्ल मार्क्स का जन्म 195 वर्ष पहले हुआ था और उनका देहांत 120 वर्ष पहले हुआ, परंतु दुनिया को उन्होंने जो विज्ञान प्रदान किया था वह आज तक बहुत ही सजीव रूप में हमें प्रेरित करता है। मार्क्सवाद जिंदा है क्योंकि वह एक ऐसा विज्ञान है जो तत्कालीन घटनाओं के विश्लेषण के आधार प
तृणमूल कांग्रेस द्वारा पश्चिम बंगाल में आतंक की मुहिम फैलायी गयी है। कुछ इलाकों में माकपा के कार्यालयों को आग लगाई गई है, माकपा के कुछ नेताओं पर हमला किया गया है। पुलिस मूक दर्शक रही है या फिर कहीं-कहीं इन हमलों में सक्रियता से भाग लेती रही है। इस हिंसा का हालिया दौर तब शुरू हुआ जब कोलकाता में पुलिस हिरासत में एक एस.एफ.आई.
आगे पढ़ें8 अप्रैल, 2013 को मार्ग्रेट थैचर का देहांत हुआ। 1979 से लेकर 1990 तक वे ब्रिटेन की प्रधान मंत्री थीं। प्रधान मंत्री बतौर, उन्होंने ब्रिटेन के सबसे बड़ी इजारेदार पूंजीपतियों की तरफ से, मज़दूर वर्ग व मेहनतकश लोगों के अधिकारों पर एक घमासान हमला किया जिससे ब्रिटेन में बेरोज़गारी, गरीबी व असमानतायें इतनी ज्यादा बढ़ीं, जितनी पिछले कई दशकों में नहीं देखी गयी थीं। अमरीकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन के साथ, उसे
आगे पढ़ेंहिमाचल प्रदेश की सरकार ने भूमिहीन व गरीब लोगों, जो जंगल की ज़मीन पर रहते हैं (आम तौर पर गांव की सामूहिक ज़मीन, जिसे वन विभाग को पेड़ लगाने के लिये दिया था), उनके घरों की तोड़-फोड़ का अभियान शुरू किया है। वन विभाग उपनिवेशवादी अतीत व दासता का एक साधन है। उसने लोगों की सांझी ज़मीन पर दावा किया है और बहुत ही तानाशाही व फासीवादी तरीके से उन बेगुनाह किसानों का दमन, शोषण और यहां तक कि बलात्कार करता है, जिनक
आगे पढ़ेंसंपादक महोदय,
मेरा पत्र आपके “पूंजीपति निगमों के लिये अधिकतम मुनाफा और मज़दूरों व किसानों के लिये कड़वा घूंट” शीर्षक के लेख के बारे में है जो मज़दूर एकता लहर के 1-15 अप्रैल 2013 अंक में छापा गया था।
आगे पढ़ेंमैं कहना चाहता हूं कि मजदूर वर्ग और पूंजीपतियों के बीच तीखा संघर्ष चल रहा है। इतिहास में मजदूर वर्ग ने अपने अधिकारों को पाने के लिये कई संघर्ष किये और अपने लिये दुनिया भर में कुछ अधिकारों को जीता, जिसमें महत्वपूर्ण जीत थी आठ घंटे का
आगे पढ़ेंपिछले 120 से भी ज्यादा वर्षों से, 1 मई को उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब दुनिया के मजदूर अपनी मांगों का दावा करते हैं। पूंजीवादी वेतन-गुलामी तथा सभी तरह के शोषण व दमन को खत्म करने के संघर्ष में यह दिन पारस्परिक भाईचारे का दिन है।
आगे पढ़ें7 अप्रैल, 2013 को नई दिल्ली में हुये हिन्द नौजवान एकता सभा के अधिवेशन का मुख्य नारा था – ‘संगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!’, इस नारे को संगठन ने अपनी स्थापना के समय अपनाया था और आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। जहां इस अधिवेशन का आयोजन किया गया था, उस स्थान को लाल-ला
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