कड़ाके की गर्मी में, पूरे के पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में, लोगों को पानी की अत्याधिक कमी सहनी पड़ रही है। पानी की कमी इक्का-दुक्का जगह सीमित नहीं है बल्कि पूरे शहर में व्यापक है और ज्यादा गंभीर होती जा रही है। बहुत से अवासीय इलाकों में लोग मांग करने के लिये सड़कों पर उतर रहे हैं कि सरकार लोगों की इस मौलिक जरूरत को पूरा करे।
आगे पढ़ेंनर्सों का दृढ़ संघर्ष
चेन्नई में स्थित अपोलो अस्पताल, एम.एम.एम. अस्पताल तथा फोर्टिस मलार अस्पताल की 2000से भी अधिक नर्सें व पराचिकित्सकीय कर्मचारी एक बार फिर अपने मेहनती काम के लिये उचित वेतन की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे।
आगे पढ़ेंए.आई.एल.आर.एस.ए. की दिल्ली इकाई का गठन
आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) की दिल्ली इकाई का गठन तथा गाजियाबाद इकाई का पुनर्गठन, 17 जून, 2012 को गाजियाबाद स्थित संगठन के मुख्यालय पर संपन्न हुआ।
आगे पढ़ेंपायलटों की भूख हड़ताल
एयर इंडिया के पायलट इंडियन पायलट्स गिल्ड के तत्वधान में, अपने 101 साथियों को काम पर वापस लेने व यूनियन को मान्यता देने की मांग को लेकर, प्रबंधक के खिलाफ़ दिल्ली में जंतर-मंतर पर 24 जून तथा मुंबई के आजाद मैदान पर 25 जून से भूख हड़ताल पर हैं। अखबार प्रेस में जाने तक, 29 जून, 2012 को हड़ताल 6ठे दिन जारी है और पायलेट्स शाम को कैंडल लाईट्स प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
आगे पढ़ेंअमरीकी रक्षा सचिव की हिन्दोस्तान यात्रा : हिन्दोस्तान-अमरीका रणनैतिक गठबंधन का विरोध करें!
जून, 2012 में अमरीकी रक्षा सचिव लियोन पैनेटा की हिन्दोस्तान यात्रा की मजदूर एकता लहर निंदा करती है। इस यात्रा का उद्देश्य था कि चीन, ईरान, सीरिया, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान के प्रति अमरीका और हिन्दोस्तान के साम्राज्यवादी इरादों के बीच में समन्वय बनाना। इस यात्रा के दौरान कई अरबों डॉलरों के हथियारों की खरीदी पर सौदे भी किये गये।
आगे पढ़ेंमहाराष्ट्र सरकार के श्रमिक विरोधी काले कानून की भर्त्सना करें!
महाराष्ट्र की विधान परिषद ने अप्रैल 2012 को श्रमिक विरोधी फासीवादी महाराष्ट्र आवश्यक सेवा सुरक्षा कानून (मेस्मा) पारित कर दिया। अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों तथा ट्रेड यूनियनों एवं दूसरे श्रमिक संगठनों के विरोध के बावजूद यह कानून पारित किया गया। हड़ताल करने के श्रमिकों के अधिकार पर कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस सरकार के इस खूंखार हमले का मजदूर एकता लहआगे पढ़ें
शांघाई सहयोग संगठन की बैठक : ईरान और सीरिया पर अमरीकी योजनाओं का विरोध
शांघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) के सदस्य देशों – रूस, चीन और चार मध्य एशियाई राज्य, कज़ाकिस्तान, किरगिस्तान, तज़ाकिस्तान और उज़बेकिस्तान – ने 7 जून, 2012, को बेजिंग में हुई संगठन के राष्ट्र प्रधानों की बैठक के अंत में एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें उन्होंने ईरान और सीरिया में विदेशी दखलंदाजी का विरोध किया।
आगे पढ़ेंराष्ट्रीय जल नीति 2012 : राज्य ने अपनी जिम्मेदारी त्यागी
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने राष्ट्रीय जल नीति 2012 का मसौदा तैयार किया है। इस नीति का उद्देश्य इसकी प्रस्तावना में बताया गया है ''मौजूदा हालातों को ध्यान में रखने के लिये और कानून व संस्थानों की एक अतिमहत्वपूर्ण व्यवस्था बनाने के एक ढांचे का प्रस्ताव रखने के लिये तथा देश के स्तर पर समग्र कार्यों की एक योजना के लिये।'' इन बड़े-बड़े शब्दों के माध्यम से असली मंशा को छुपाने की
आगे पढ़ेंदिल्ली जल बोर्ड में निजीकरण पर कामरेड विरेन्द्र गौड़ से साक्षात्कार
म.ए.ल. : आप दिल्ली जल बोर्ड के निजीकरण का विरोध क्यों कर रहे हैं?
आगे पढ़ेंदिल्ली जल बोर्ड में निजीकरण : सरकार के तथाकथित सुधारों का मतलब सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण
दिल्ली में पानी के निजीकरण पर यहां के निवासियों के साथ-साथ, दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी भी अपना विरोध जाहिर कर रहे हैं। सरकार ने निजी कंपनियों के मुनाफों की भरपाई के लिए पानी पर हर साल 10 प्रतिशत शुल्क वसूलने की घोषणा की है। मजदूर एकता लहर के संवाददाता दिल्ली जल बोर्ड में कार्यरत यूनियन के कार्यकर्ताओं से पानी के निजीकरण के खिलाफ़, उनके विचारों से आपको अवगत करा रही है :
<
आगे पढ़ें