13वां हिन्द-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के साथ 24 दिसम्बर, 2012 को एक शिखर सभा की। इन दोनों देशों के नेताओं के बीच यह 13वां वार्षिक शिखर सम्मेलन था। शीत युद्ध के दौर में, हिन्दोस्तान व सोवियत संघ के एक दूसरे के साथ रणनैतिक संबंध थे। परन्तु सोवियत संघ के पतन के बाद, करीब-करीब एक दशक के लिये रूस व हिन्दोस्तान के नेता अपनी-अपनी वैश्विक रणनीतियों को पुनः निर्धारित कर रहे थे। 19

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सीरिया के विपक्ष को अमरीका की “मान्यता”

अमरीकी साम्राज्यवादियों द्वारा सीरिया की संप्रभुता के जारी उल्लंघन की कड़ी निंदा करो

देशों व लोगों की स्वतंत्रता व संप्रभुता के सिद्धांत की पूरी तरह अवहेलना करते हुये, 12 दिसम्बर, 2012 को अमरीका ने “सीरियन क्रांतिकारी ताकतों के राष्ट्रीय गठबंधन”  (विपक्ष) को सीरियाई लोगों के न्यायोचित प्रतिनिधि बतौर मान्यता दी। अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि हाल में बनाई गयी “स

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खाद्य की सुरक्षा को लेकर जन सुनवाई

दिल्ली के अनेक महिला संगठनों ने मिलकर खाद्य सुरक्षा के विषय पर 18 दिसंबर को संसद मार्ग पर जन सुनवाई आयोजित की। इसमें सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।

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संसद पर मजदूर वर्ग की रैली व प्रदर्शन

देश के विभिन्न ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों ने संप्रग सरकार की पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ़ व अपनी मांगों को लेकर संसद पर 20 दिसम्बर को एकजुट रैली की और व्यापक प्रदर्शन किया। सरकार की आर्थिक नीतियों और मजदूर वर्ग पर हमलों के खिलाफ़ चल रहे आन्दोलन के सिलसिले में यह रैली एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम थी। इसमें देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों से आये दसों-हजारों से ज्यादा मजदूरों ने

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मज़दूर-विरोधी और किसान-विरोधी संप्रग सरकार मुर्दाबाद! संसद इजारेदार पूंजीपतियों का साधन है! मज़दूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित करने के लिये संघर्ष करो!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान 13 दिसम्बर, 2012

मज़दूर साथियो!

जब हम मनमोहन सिंह सरकार के आर्थिक हमले के खिलाफ़ अपने एकजुट विरोध की तैयारी कर रहे हैं, हमें संसद में हो रही गतिविधियों पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देने की और उससे उचित राजनीतिक सबक सीखने की जरूरत है।

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मानवाधिकार दिन के अवसर पर :

हमें अवश्य ही मानव अधिकारों की संवैधानिक गारंटी के लिये मांग और संघर्ष करना चाहिये!

1948 के संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार घोषणापत्र का हिन्दोस्तानी राज्य हस्ताक्षरकर्ता है। इस घोषणापत्र की प्रस्तावना में लिखा है:

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बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 20वीं बरसी के अवसर पर:

गुनहगारों को सज़ा होनी चाहिये!

 

राज्य का साम्प्रदायिक स्वभाव,इसके पुनर्गठन की जरूरत की तरफ इशारा करता है!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 4 दिसम्बर, 2012

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बाबरी मस्जिद के विध्वंस करने के 20 साल बाद गुनहगारों को सज़ा की मांग लेकर विरोध प्रदर्शन

करीब एक दर्जन संगठनों ने बाबरी मस्जिद विध्वंस करने की बीसवीं बरसी के अवसर पर 6 दिसम्बर, 2012 को दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। मंडी हाऊस चैक से एक जुलूस निकाला गया जो जंतर-मंतर में पहुंच कर एक जनसभा में परिवर्तित हो गया। जनसभा में नौजवनों ने एक नुक्कड़ नाटक पेश किया जिसमें अपने देश में राज्य द्वारा आयोजित साम्प्रदायिक हिंसा का पर्दाफाश किया गया। इसके बाद अलग-अलग पार्टियों व संगठनों न

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अयोध्या का विवाद हमेशा के लिए सुलझाने के लिए: लोगों के सभी तबकों को शामिल होना चाहिए

यह लेख बाबरी मस्जिद के विध्वंस के एक महीने पहले हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के 1 नवम्बर, 1992 के बुलेटिन में प्रकाशित किया गया था।

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आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन का 19वां द्विवार्षिक नॉर्दन जोन का अधिवेशन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ

आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन का 19वां द्विवार्षिक जोनल अधिवेशन गाजियाबाद में दिनांक 3 दिसम्बर, 2012 को जोशपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ। सभा में मुरादाबाद, गाजियाबाद, रोहतक, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, दिल्ली मण्डल सहित देश के अलग-अलग मंडलों के संगठन से सैकड़ों लोको पाइलटों ने हिस्सा लिया। इस अधिवेशन में लोक राज संगठन को भी आमंत्रित किया गया था।

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