देश और दुनिया में हाल ही में हुई घटनाओं से आधुनिक समाज में संप्रभुता किसके हाथों में होनी चाहिए यह सवाल तीव्रता से सबके सामने पेश आया है। 11 सितम्बर, 2011 को लोक राज संगठन ने इस महत्त्वपूर्ण विषय पर दिल्ली में एक जनसभा का आयोजन किया। लोगों के हाथों

देश और दुनिया में हाल ही में हुई घटनाओं से आधुनिक समाज में संप्रभुता किसके हाथों में होनी चाहिए यह सवाल तीव्रता से सबके सामने पेश आया है। 11 सितम्बर, 2011 को लोक राज संगठन ने इस महत्त्वपूर्ण विषय पर दिल्ली में एक जनसभा का आयोजन किया। लोगों के हाथों
जब भी पेट्रोल या डीज़ल की कीमतें बढ़ायी जाती हैं, तब सरकार दावा करती है कि यह “असहनीय सबसीडिज़” की वजह से करना पड़ा है। यह साफ़-साफ़ झूठ है, क्योंकि अपने देश में पेट्रोल के उत्पादों पर भारी कर है, न कि उनके लिए सबसीडिज़ दिया जाता है। पेट्रोल के उत्पादों से टैक्स के द्वारा जितना कुल टैक्स इकट्ठा किया जाता है, उसके मुकाबले केंद्र के बजट में “सबसीडी” केवल 10 प्रतिशत है। रुपयों में देखेंगे तो हिन्दोस्तान में प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत 70 रुपये है, जबकि चीन में 37, अमरीका में 40, पाकिस्तान में 39, श्री लंका में 47 और कनाडा में 53 रुपये हैं।
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26 सितम्बर, 2011 को वोल्टास लिमिटेड के मजदूरों ने आल इंडिया वोल्टास इंप्लाईज फेडरेशन की अगुवाई में अपनी मांगों को लेकर संसद पर धरना दिया। ये श्रमिक पिछले 15 वर्षों से स्थायी मजदूरों की भर्ती न करने, द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन करने के खिलाफ़ व ठेके
सुजुकी के जापानी मालिक ओसामा ने इस अघोषित तालाबंदी के दौरान बयान दिया कि उनकी कंपनी किसी भी प्रांत में नया प्लांट खोलेगी, जिस प्रांत की सरकार उनकी शर्तों को मानेगी। खबरों के मुताबिक तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच होड़ लगी है कि कौन सुजुकी को मजदूरों के शोषण का सबसे अनुकूल वातावरण दे सकता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने सुजुकी के जापानी मालिक से मिलकर आश्वासन दिया है कि वह जमीन तथा हर किस्म की सहुलियत प्रदान करेगा ताकि हरियाणा में वे और कारखाने खोल सकें।
आगे पढ़ेंदस साल पहले, 8 अक्टूबर को, अमरीकी साम्राज्यवादियों ने “आतंकवाद पर जंग” के नाम पर अफग़ानिस्तान पर खुल्लम-खुल्ला हमला किया। इन पिछले दस सालों में बहादुर अफग़ान लोगों की धरती को अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों के सैनिकों के जूतों तले रौंदा है। उनके गांवों, नगरों, सड़कों और यहां
आगे पढ़ेंशुक्रवार, 23 सितम्बर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र में आये सैकड़ों प्रतिनिधियों ने खड़े होकर फिलिस्तीनी नेता, महमूद अब्बास के भाषण की प्रशंसा की, जिसमें उन्होंने फिलिस्तीन की संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता की अर्जी की पृष्ठभूमि दी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव से आवेदन किया कि फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य राज्य बतौर मान्यता दी जाये। दूसरी तरफ, अमरीका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह सुरक्षा परिषद
आगे पढ़ेंइतिहास में सबसे बड़ी राजकोषीय आर्थिक सहायता के बावजूद, अमरीकी अर्थव्यवस्था अभी तक 2007के दिसम्बर से शुरू हुई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से सम्भल नहीं पायी है।
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22 सितम्बर, 2011 को मारूती-सुजुकी के मजदूरों के संघर्ष के समर्थन में मजदूर एकता कमेटी, लोक राज संगठन सहित कई अन्य संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से दिल्ली स्थित मंडी हाऊस से लेकर हरियाणा भवन तक जोरदार रैली निकाली और प्रदर्शन किय
वोल्टास लि.एयर कंडीशनिंग और इंजीनियरिंग सेवाओं के लिए टाटा समूह की जानी-मानी कंपनी है। इसमें पिछले 15 वर्षों से स्थायी श्रमिकों की भर्ती बंद है। यहां के श्रमिक अपनी मांगों को लेकर कंपनी के मुंबई स्थित चिंचपोकली कार्यालय पर पिछले 142 दिनों से लगातार क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। इसी बीच प्रबंधन ने पुलिस के द्वारा उन्हें धमकाने, हटाने और शारीरिक चोट पहुंचाने की कई बार असफल कोशिश की है। नेतृत्वकारी श्रमिकों को निलंबित भी कर दिया गया था।
अगस्त में नाटो के हथियारों के सहारे से लिबिया की बाग़ी ताक़तों ने राजधानी त्रिपोली पर कब्ज़ा जमाया। इसके पहले यही संकेत मिल रहे थे कि अमरीका, बर्तानिया तथा और देशों के लोग तेजी से लिबिया में दखलंदाज़ी का विरोध कर रहे थे और उन सरकारों पर दबाव बढ़ रहा था। अब जब अभूतपूर्व बमबारी के सहारे सेनायें त्रिपोली में घुस गयीं, तब लिबिया में नाटो के खूनी और बर्बर हस्तक्षेप को तुरंत “कामयाब” घ
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