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23 मार्च शहीद भगत सिंह और उनके साथियों, राजगुरु और सुखदेव की शहीदी की 82वीं सालगिरह है। बर्तानवी उपनिवेशवादी राज की फांसी को चूमते हुये उनकी मौत को चुनौती – देने वाली हिम्मत, उनका अडिग विश्वास कि मुट्ठीभर शोषकों द्वारा जनसमुदाय के शोषण को खत्म करने का एकमात्र रास्ता इंकलाब है – ये हमारे देश की कई पीढ़ियों के नौजवानों को सभी प्रकार के अन्याय के
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