मेस्मा के पीछे सरकार की चाल

प्रिय संपादक महोदय,

आपके अखबार में मैंने “मेस्मा” कानून के बारे में पढ़ा। तब मुझे लगा कि शायद आप सरकार पर बेबुनियादी इल्जाम लगा रहे हैं कि सरकार इस कानून का गलत इस्तेमाल कर्मचारियों के खिलाफ़ करेगी। मगर मुंबई के डॉक्टरों के साथ हाल ही में जो किया गया उससे मेरा संदेह दूर हो गया।

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पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की असुरक्षा के लिये केन्द्रीय राज्य और उसकी आतंकवादी नीति दोषी है!

बीते कुछ दिनों में, पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के खिलाफ़ नस्लवादी हमलों और प्रचार फैलाये जाने के बाद, असम, नगालैंड, मणिपुर और दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों के हजारों मजदूर और छात्र टेªनों पर चढ़कर अपने चिंतित परिवारों के पास, वापस घर भाग रहे हैं। इन लोगों की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिये तुरंत ठोस कदम लेने की बजाय, केन्द्रीय अधिकारी बैंगलोर, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद तथा अन्य शहर

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गुड़गांव के मजदूरों की विशाल रैली :

मजदूरों और उनके अधिकारों पर हरियाणा सरकार के हमलों की निंदा करें!

19 अगस्त, 2012 को गुड़गांव औद्योगिक क्षेत्र के हजारों मजदूरों ने शहर की सड़कों पर जुझारू विरोध प्रदर्शन किया। दोपहर 3बजे जब शिफ्ट खत्म हुई तब मजदूर अपनी

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किसानों ने संघर्ष का बिगुल बजाया!

राष्ट्रीय ग्रमीण सम्मेलन 28 अगस्त, 2012 को, स्पीकर हाल कान्स्टीयूशन क्लब, नई दिल्ली में अखिल भारतीय किसान सभा और भारतीय खेत मजदूर यूनियन के तत्वाधान में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में मजदूर एकता लहर के संवाददाता ने शिरकत की। अधिवेशन में 16 राज्यों से आये सैकड़ों किसान नेताओं ने हिस्सा लिया।

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पेंशन फंड का चोरी-छिपे निजीकरण का विरोध करो!

पेंशन फंड रेग्यूलेटरी एण्ड डेवलपमेंट अथारिटी (पी.एफ.आर.डी.ए.) विधेयक के ज़रिये पेंशन “सुधार“ हिन्दोस्तानी बड़े पूंजीपतियों के तात्कालिक वैधानिक एजेंडा के लिये एक अहम विषय है।

पी.एफ.आर.डी.ए. विधेयक के मूल लक्षण इस प्रकार हैं:

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परमाणु परियोजनाओं का विरोध

22 अगस्त को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में परमाणु ऊर्जा के बारे में जनसुनवाई आयोजित की गयी थी। कुडनकुलम (तमिलनाडु), जैतापुर (महाराष्ट्र), चुटका (मध्य प्रदेश), गोरखपुर (हरियाणा), बांसवाड़ा (राजस्थान), हरिपुर (पश्चिम बंगाल), मीठी विरदी ( गुजरात), कोव

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भूमि कानून के पीछे सरकार के असली उद्देश्य का पर्दाफाश

भूमि अधिग्रहण तथा पुनर्वास एवं पुनःस्थापन (एल.ए.आर.आर.) विधेयक 2011, को मंत्रीमंडल द्वारा स्वीकृति अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह में अपेक्षित है। इसके नये अवतार को भूमि अधिग्रहण उचित भरपाई अधिकार, पुनर्वास एवं पुनःस्थापन तथा पारदर्षिता (आर.सी.आर.आर.टी.एल.ए.) विधेयक 2012 का नाम दिया गया है। अभी के लिये, मंत्रीमंडल के सदस्यों द्वारा इस विधेयक की समीक्षा करने के लिये इसे संसद में पेश करने से टाला

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भूमि उपलब्ध

मुंबई में मोटरमैन तथा यात्री संगठनों ने मिलकर एक सभा आयोजित की। इस तरह की सभा पहली बार आयोजित की गयी और मजदूर एकता लहर के संवाददाता को शामिल होने का मौका मिला। 28 जुलाई की यह सभा 5 घंटे से ज्यादा समय चली। हमारे संवाददाता ने यह रिपोर्ट पेश की।

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मुंबई के बिजली क्षेत्र कर्मचारी बने “मेस्मा” के शिकार!

मुंबई इलेक्ट्रिक कर्मचारी यूनियन के मजदूरों पर महाराष्ट्र सरकार की सक्रिय मदद से मैनेजमेंट ने “मेस्मा” का उपयोग करके हमला किया। हमारे संवाददाता ने यूनियन नेता श्री. शंकर से वार्तालाप किया, उसके कुछ अंश …

म.ए.ल.: आप हमें अपनी यूनियन के बारे में कुछ बताइये।

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बैंकिंग सुधारों के खिलाफ़ बैंककर्मी व अधिकारी आगे आये

बैंकिंग क्षेत्र में पूंजीपतियों के हितों में किये जा रहे सुधारों, खंडेलवाल समिति की सिफारिशों के एकतरफा कार्यान्वयन करने, बैंक नौकरियों की आउटसोर्सिंग करने, मानव संसाधन के मुद्दों पर मनमाना दिशा-निर्देशों के लागू करने, ग्रामीण शाखाओं को  बंद करने, आदि के खिलाफ़ देशभर के बैंक कर्मचारी 22-23 अगस्त को हड़ताल पर उतरे। 27 सरकारी बैंकों की 87,000 शाखाओं, निजी क्षेत्र के 12 बैंकों तथा 8 विदेशी

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