मजदूर वर्ग की राजनीतिक एकता मजबूत करने का अभियान

दिल्ली में मजदूर वर्ग की राजनीतिक एकता मजबूत करने के लिए मजदूर एकता कमेटी मजदूरों में एक अभियान चला रही है। यह अभियान मजदूर वर्ग के अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ़, उनको एकजुट करने, उन्हें मजदूर वर्ग बतौर राजनीतिक ताकत में संगठित करने और राज्य सत्ता पर अपना दावा ठोकने के काबिल बनाने के महान उद्देश्य के साथ किया जा रहा है।

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कर्नाटक में चुनाव

संपादक महोदय,

मजदूर एकता लहर के 1-15 जून, 2013 के अंक में छपे लेख “कर्नाटक विधान सभा चुनाव और उसके नतीजों से सबक” में कई अहम मुद्दों पर ध्यान दिलाया गया है:

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हिन्दोस्तान, चीन और जापान

चीन के नये प्रधान मंत्री ने 19-22 मई, 2013 के दौरान हिन्दोस्तान की यात्रा की, जिसके तुरंत बाद, हिन्दोस्तान के प्रधान मंत्री ने 27-30 मई, 2013 के दौरान जापान की यात्रा की। इन दोनों यात्राओं के इतनी जल्दी, एक के बाद दूसरी, होने से सारी दुनिया में काफी चर्चा चली कि इन तीनों सबसे शक्तिशाली एशियाई ताकतों के बीच कैसे संबंध हैं।

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सीरिया में अमरीकी साम्राज्यवाद नीत दखलंदाजी को और तीव्र बनाने की निंदा करें

सीरिया में सत्ता परिवर्तन की योजना को पूरा करने के मकसद से अमरीकी साम्राज्यवादियों व उसके सहयोगियों ने अपना हस्तक्षेप और तीव्र कर दिया है।

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ईरान पर नये अमरीकी प्रतिबंधों की निंदा

इस वर्ष मई-जून में अमरीका और उसके सहयोगियों ने ईरान पर अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाये हैं। इनका मकसद ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने के लिये मज़बूर करना, और उसे इस इलाके में अमरीका व दूसरे पश्चिमी साम्राज्यवादी देशों के भू-राजनीतिक इरादों के सामने घुटने टेंकने को बाध्य करना है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तथा क्षेत्रीय या राष्ट्रीय प्राधिकारियों के ज़रिये अमरीका, यूरोपीय संघ के सदस्य राज्य, जा

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तुर्की की सरकार द्वारा मेहनतकशों पर फासीवादी दमन की निंदा करें!

तुर्की के मेहनतकश लोग अपनी सरकार की जन विरोधी नीतियों और अपने ट्रेड यूनियन अधिकारों व अन्य अधिकारों पर हमलों के खिलाफ़ विरोध कर रहे हैं। पड़ोसी देश सीरिया में अमरीका नीत जंग को तुर्की की सरकार द्वारा सक्रिय समर्थन के खिलाफ़ भी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

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अमरीकी सरकार सभी देशों के लोगों पर जासूसी करती है

दो बहुत ही अहम खबरों – पहली गारडियन समाचार पत्र द्वारा और दूसरी वाशिंगटन पोस्ट समाचार पत्र द्वारा – से वही साबित होता है जिसका बहुत से लोगों को पहले से ही शक था: कि अमरीकी खुफिया एजेंसी एफ.बी.आई.

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स्वीडन में अप्रवासी नौजवानों पर पुलिस के हमलों का विरोध

मई के तीसरे सप्ताह में स्वीडन के स्टॉकहॉम शहर से अप्रवासी नौजवानों द्वारा विशाल विरोध-प्रदर्शनों की खबरें मिली हैं। विरोध-प्रदर्शन तब शुरू हुये जब ह्युस्बी में पुलिस की गोली से एक 69 वर्ष का आदमी मारा गया था। ज्ञात रहे कि ह्युस्बी के अधिकांश निवासी तुर्की, इराक, सीरिया, सोमालिया और पश्चिम एशिया व अफ्रीका के अन्य देशों से आये अप्रवासी हैं। शहर के अनेक दूसरे इलाकों में जहां बड़ी संख्या में अप्रवास

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यूके में नस्लवादी हमले राज्य द्वारा आयोजित

मुस्वेल हिल, उत्तरी लंदन में एक सोमाली सामुदायिक केंद्र, अल-रहमा इस्लामिक सेंटर को 5 जून, 2013 को तड़के सुबह आग लगा दी गयी। इसे व्यापक रूप से एक नस्ली हमला माना जा रहा है। तहक़ीकात करने वाले पुलिस अफसरों ने बताया है कि इस दो मंजिली इमारत पर कई जगह रोगन की फुहार से “ई.डी.एल.”  लिखा पाया गया था। इसका मतलब है कि यह करतूत इंगलिश डिफेंस लीग की है जो राज्य द्वारा आयोजित नस्लवादी गुट है। आगज़नी से इ

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