मार्ग्रेट थैचर : मज़दूर-विरोधी, समाज-विरोधी पूंजीवादी हमले की निर्माता

8 अप्रैल, 2013 को मार्ग्रेट थैचर का देहांत हुआ। 1979 से लेकर 1990 तक वे ब्रिटेन की प्रधान मंत्री थीं। प्रधान मंत्री बतौर, उन्होंने ब्रिटेन के सबसे बड़ी इजारेदार पूंजीपतियों की तरफ से, मज़दूर वर्ग व मेहनतकश लोगों के अधिकारों पर एक घमासान हमला किया जिससे ब्रिटेन में बेरोज़गारी, गरीबी व असमानतायें इतनी ज्यादा बढ़ीं, जितनी पिछले कई दशकों में नहीं देखी गयी थीं। अमरीकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन के साथ, उसे

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हिमाचल प्रदेश : अपने घरों की तोड़-फोड़ के खिलाफ़ गांव के लोगों ने प्रदर्शन किया

हिमाचल प्रदेश की सरकार ने भूमिहीन व गरीब लोगों, जो जंगल की ज़मीन पर रहते हैं (आम तौर पर गांव की सामूहिक ज़मीन, जिसे वन विभाग को पेड़ लगाने के लिये दिया था), उनके घरों की तोड़-फोड़ का अभियान शुरू किया है। वन विभाग उपनिवेशवादी अतीत व दासता का एक साधन है। उसने लोगों की सांझी ज़मीन पर दावा किया है और बहुत ही तानाशाही व फासीवादी तरीके से उन बेगुनाह किसानों का दमन, शोषण और यहां तक कि बलात्कार करता है, जिनक

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हिन्दोस्तानी राज्य का चरित्र स्पष्ट हुआ!

संपादक महोदय,

मेरा पत्र आपके “पूंजीपति निगमों के लिये अधिकतम मुनाफा और मज़दूरों व किसानों के लिये कड़वा घूंट” शीर्षक के लेख के बारे में है जो मज़दूर एकता लहर के 1-15 अप्रैल 2013 अंक में छापा गया था।

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साक्षात्कार

मई दिवस के अवसर पर मजदूर एकता कमेटी के वक्ता, संतोष कुमार से मजदूर एकता लहर ने साक्षात्कार किया, जो पेश है:मई दिवस के अवसर पर आप क्या संदेश देना चाहते हैं?

मैं कहना चाहता हूं कि मजदूर वर्ग और पूंजीपतियों के बीच तीखा संघर्ष चल रहा है। इतिहास में मजदूर वर्ग ने अपने अधिकारों को पाने के लिये कई संघर्ष किये और अपने लिये दुनिया भर में कुछ अधिकारों को जीता, जिसमें महत्वपूर्ण जीत थी आठ घंटे का

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निजीकरण व उदारीकरण के ज़रिये वैश्वीकरण के कार्यक्रम को पराजित करने के लिये संगठित हों!

मज़दूर-किसान राज स्थापित करने के लिये संगठित हों और संघर्ष करें!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्र्रीय समिति का आह्वान, 10 अप्रैल 2013

पिछले 120 से भी ज्यादा वर्षों से, 1 मई को उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब दुनिया के मजदूर अपनी मांगों का दावा करते हैं। पूंजीवादी वेतन-गुलामी तथा सभी तरह के शोषण व दमन को खत्म करने के संघर्ष में यह दिन पारस्परिक भाईचारे का दिन है।

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हिन्द नौजवान एकता सभा का अधिवेशन :

नौजवानों को समाज को बदलने के लिये संगठित होने का आह्वान

7 अप्रैल, 2013 को नई दिल्ली में हुये हिन्द नौजवान एकता सभा के अधिवेशन का मुख्य नारा था – ‘संगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!’, इस नारे को संगठन ने अपनी स्थापना के समय अपनाया था और आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। जहां इस अधिवेशन का आयोजन किया गया था, उस स्थान को लाल-ला

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श्री लंका पर संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रस्ताव:

बर्तानवी-अमरीकी साम्राज्यवादियों की साज़िश में लोगों को नहीं फंसना चाहिये

संयुक्त राष्ट्र संघ मानव अधिकार परिषद (यू.एन.एच.आर.सी.) ने 21 मार्च, 2013 को, जेनिवा में हुये अपने 22वें सत्र में श्री लंका के खिलाफ़ एक अमरीका-समर्थित प्रस्ताव पास किया। 47 सदस्यीय यू.एन.एच.आर.सी.

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उत्तरी कोरिया के खिलाफ़ अमरीकी साम्राज्यवादियों की जंगखोरी मुर्दाबाद!

25 मार्च, 2013 को अमरीकी सेना के बी-52 बमवर्षक युद्धनीतिक विमानों ने कोरियाई प्रायद्वीप के आकाश में उड़ानें भरीं और उत्तरी कोरिया के खिलाफ़ परमाणु प्रक्षेपास्त्रों के हमलों के दिखावटी अभ्यास किये।

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मजदूर कौन है?

“मध्यम वर्ग” के बारे में पूंजीवादी प्रचार मजदूर वर्ग की पहचान पर हमला है

हिदोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के अंदर और मजदूर वर्ग आन्दोलन में, हाल के दिनों में, यह एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय रहा है। इस विषय पर कई लेखों की श्रृंखला में यह प्रथम लेख है।

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लेनिन के मूल सबक आज भी सही और बहुत ही महत्वपूर्ण हैं!

श्रमजीवी वर्ग के महान क्रांतिकारी नेता और शिक्षक, वी.आई. लेनिन के जन्म की 143वीं सालगिरह 22 अप्रैल को है। रूस के मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को संगठित करके पूंजीपतियों का तख्तापलट करने, और मानव इतिहास में पहली बार मजदूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित व मजबूत करने में लेनिन ने बोल्शेविक पार्टी को अगुवाई दी।

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