पी.पी.पी., आर.टी.आई. के दायरे से बाहर

माननीय संपादक महोदय,

मजदूर एकता लहर के 16-31 अक्तूबर के अंक में एक लेख में “निजीकरण के अप्रत्यक्ष तरीकों” के बारे में आपने कई उदाहरण दिए थे। मैं कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण जोड़ना चाहूँगा।

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अभियान द्वारा प्रधानमंत्री को दिया गया ज्ञापन

माननीय प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह

महोदय,

विषय: नवम्बर 1984 का नरसंहार-गुनहगारों को सजा मिले ताकि सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लगे एवं भविष्य सुरक्षित हो

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1984 के लिये इंसाफ अभियान : गुनहगारों को सज़ा दो! पीडि़तों को बदनाम करना बंद करो!

1984 में सिखों के कत्लेआम के पीडि़तों के लिये इंसाफ की मांग करते हुये, एक गंभीर व जोशपूर्ण अभियान 21 अक्तूबर, 2012 को अमृतसर में जलियांवाला बाग से, एक दिल दहलाने वाली चित्र प्रदर्शनी के साथ शुरू हुआ।


1984 के जन संहार, जिसके दौरान दिल्ली, कानपुर और अन्य जगहों पर 7000 से अधिक लोग मारे गये थे, उसके पीडि़तों के लिये इंसाफ की मांग करने वाले इस अभियान के संदर्भ में, कई संगठनों और व्यक्तियों न

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मज़दूर एकता कमेटी द्वारा आयोजित सम्मेलन : पूंजीपतियों का अजेंडा बनाम लोगों का अजेंडा

“एक के बाद एक सरकारें जो अजेंडा लागू कर रही हैं, वह टाटा, अंबानी, बिड़ला और अन्य बड़े इजारेदार घरानों के नेतृत्व में पूंजीपतियों का अजेंडा है। …लोगों का अजेंडा है एक नयी राजनीतिक नींव रखना, फैसले लेने वाला बनना और अर्थव्यवस्था की दिशा बदलना, ताकि सभी की समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके! ”

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पेंशन और बीमा “सुधारों” के ज़रिये जनता के पैसे के साथ खिलवाड़

उदारीकरण कदमों का दूसरा दौर 4 अक्तूबर, 2012 को लागू हुआ, जब संप्रग सरकार ने यह घोषणा की कि बीमा क्षेत्र में विदेशी वित्त मालिकी की सीमा 26 प्रतिशत से 49 प्रतिशत तक बढ़ायी जायेगी और पेंशन फंड में शून्य प्रतिशत से 49 प्रतिशत तक बढ़ायी जायेगी। बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश में सीमा की बढ़ोतरी के साथ-साथ कुछ और “बीमा सुधार” भी किये जायेंगे, जिनसे सार्वजनिक क्षेत्र का जनरल इंश्योरें

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हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव : लोग विकल्प तलाश रहे हैं

हिमाचल प्रदेश में 4 नवम्बर, 2012 को चुनाव होने वाला है। देखने में लगता है कि पूंजीपतियों की दो मुख्य पार्टियों, कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच यह स्पर्धा है। सुचारू चुनाव मशीनरी, धनबल, इजारेदार पूंजीपतियों द्वारा नियंत्रित मीडिया के समर्थन के साथ तथा मतदाताओं को लुभाने वाले तमाम वादों के साथ, ये दोनों पार्टियां अभियान में लगी हुई हैं। ये दोनों पार्टियां हिमाचल प्रदेश के चुनावों को, लोक सभा के

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यू.के. में सरकार के मितव्ययिता के कदमों के खिलाफ़ बड़े-बड़े प्रदर्शन

सरकार द्वारा कल्याणकारी कार्यक्रमों के खर्च में कटौती और मितव्ययिता के कदमों के खिलाफ़, लंदन, ग्लासगो और बेलफास्ट में 150,000 से अधिक लोगों ने प्रदर्शन किये। वे यू.के.

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क्रूर ओडिशा औद्योगिक सुरक्षा बल विधेयक 2012 की निंदा करें!

ओडिशा के मानव अधिकार संगठनों, ट्रेड यूनियनों, वकीलों, पत्रकारों और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं का एक गठबंधन ओडिशा सरकार द्वारा पारित एक क्रूर विधेयक के विरोध में लड़ रहा है। वे राज्यपाल पर दबाव डाल रहे हैं कि वह इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इनकार करे।

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1984 के जनसंहार की 28वीं बरसी पर इंसाफ के लिए अभियान

‘1984 के इंसाफ के लिए अभियान’ ने सिख नरसंहार के आयोजकों को सज़ा दिलाने के लिए चलाये जा रहे अभियान के बारे में प्रेस को अवगत कराने के लिए 19 अक्तूबर, 2012 को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस वार्ता रखी।

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