गाज़ा पर इस्राईल के आक्रमण की भत्र्सना करो!

 


फिलिस्तीनी लोगों का बहादुर संघर्ष जिंदाबाद


 14 नवम्बर, 2012 से गाज़ा इलाके पर इस्राईल लगातार हवाई जहाज तथा समुन्दर से बमबारी कर रहा है। अपनी फौजी शक्ति का इस्तेमाल करके हमास के नेताओं का खात्मा करना तथा फिलिस्तीनी लोगों को दबाकर रखना यही उसका उद्देश्य है। यह समाचार छपते-छपते ऐसी खबरें हैं कि इस्राईल बड़े पैमाने पर सैनिकी शक्ति को इकट्ठा कर रहा है औ

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सीरिया में बर्तानवी साम्राज्यवादी दखलंदाजी बढ़ा रहे हैं!

8 नवम्बर को, कतर में सीरिया के विरोधी दलों की एक बैठक हुई थी जिसमें अमरीका, फ्रांस, तथा तुर्की के साथ-साथ ब्रिटेन ने भी भाग लिया था। उसके बाद 19 नवम्बर को ब्रिटेन की सरकार ने, सीरिया के विरोधी दलों को सीरिया के प्रतिनिधि बतौर मान्यता देने की घोषणा की। सीरिया में दखलंदाजी तथा आक्रामक रुख बर्तानवी साम्राज्यवादी बढ़ा रहे हैं इसी का यह निर्देश है।


बशर अल अस्साद की सरकार को किसी भी तरह सीरिय

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मुस्लिम नौजवानों पर राजकीय आतंक के खिलाफ़ प्रदर्शन

22 नवम्बर, 2012 को ‘आंतकवाद के खिलाफ़ जंग’ के नाम पर, देश भर में मुस्लिम नौजवानों को राज्य के द्वारा गैर-कानूनी तरीके से गिरफ्तार करके पीडि़त करने और उनके भविष्य को बर्बाद करने के खिलाफ़ संसद पर जमात-ए-इस्लामी हिंद की अगुवाई में एक संयुक्त रैली आयोजित की गई।


इस रैली में, जामिया मिलिया, हमदर्द यूनिवर्सिटी, दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू और एएमयू सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में

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1984 के जनसंहार के गुनहगारों को सज़ा दिलाने का संघर्ष आगे बढ़ायें!

इंसाफ पाने के लिये वर्तमान व्यवस्था को ठुकराकर, एक नयी दुनिया को जन्म दें!


हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी नवंबर 1984 में सिखों के जनसंहार के गुनहगारों को सज़ा दिलाने के लिये अनेक इंसाफ पसंद लोगों तथा उनके संगठनों द्वारा तीन हफ्तों तक चलाये गये प्रबल जन अभियान की सराहना करती है। दिल्ली में 10 नवम्बर को की गयी जन सुनवाई में यह फैसला लिया गया कि 1984 के जनसंहार के ग

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गुनहगारों को सज़ा दिलाने और साम्प्रदायिक हिंसा रोकने का संघर्ष हिन्दोस्तान के नवनिर्माण के संघर्ष का हिस्सा है

4 नवंबर, 2012 की विचार गोष्ठी में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के प्रवक्ता का भाषण:

साथियों और दोस्तों!

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“पूंजी की कमी” का हौवा

खुदरा व्यापार और अन्य क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश के द्वार खोलने की कोशिश की सफाई में, प्रधान मंत्री व तथाकथित अर्थशास्त्री तर्क देते हैं कि अगर अपनी अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाना है तो अधिक मात्रा में विदेशी पूंजी जरूरी है। वे ऐसी धारणा बनाते हैं मानो हिन्दोस्तानी अर्थव्यवस्था और उसकी वृद्धि की संभावनाओं में “पूंजी की कमी”  की गंभीर समस्या है।


इस तर्क का प्रभावशाली

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मेहनतकश लोगों के ऊपर बढ़ता बोझ

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जी.एस.टी.)


हिन्दोस्तान के पूंजीपतियों ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जी.एस.टी.) के लगाने के प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया है। सी.आई.आई., एफ.आई.सी.सी.आई. (फिक्की), एसोचैम, इत्यादि बड़े पूंजीपतियों के संगठनों ने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के संवर्धन में मंदी को खत्म करने के लिये, जी.एस.टी.

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मारुति-सुजुकी के मजदूरों की भूख हड़ताल

8 तथा 9 नवम्बर, 2012 को गुड़गांव के मानेसर स्थित मारुति-सुजुकी के मजदूरों ने बर्खास्त मजदूरों को काम पर वापस लेने व जेल में बंद मजदूरों को अविलंब रिहा करने की मांग को लेकर, मारुति-सुजुकी वर्कर्स यूनियन की अगुवाई में, जिला श्रम आयुक्त कार्यालय के बाहर दो दिवसीय भूख हड़ताल की।

इस भूख हड़ताल में पीडि़त परिवारों के सदस्यों के अलावा, विभिन्न ट्रेड यूनियनों व मजदूर संगठनों ने भाग लिया।

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रेलवे गार्ड के मुखिया से साक्षात्कार

कॉमरेड ए. के. श्रीवास्तव, ऑल इंडिया गार्ड्स काऊंसिल (ए.आई.जी.सी.) के महासचिव हैं। हमारे संवाददाता ने पिछले 20 वर्षों की आर्थिक सुधार नीति और रेलवे के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में काम की परिस्थिति के बारे में सूचना लेने के लिये उनसे साक्षात्कार किया।

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सुधार कार्यक्रम का बढ़ता विरोध

माननीय संपादक महोदय,

मजदूर एकता लहर का 16-31 अक्तूबर का अंक इंटरनेट पर पढ़ा। उसमें सभी महत्वपूर्ण खबरें हैं। पूंजीवादी-साम्राज्यवादी सुधार कार्यक्रम का बढ़ता विरोध इस लेख पर मैं कुछ टिप्पणी करना चाहूँगा।

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