बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 30 वीं बरसी पर :
साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ और ज़मीर के अधिकार की हिफ़ाज़त के लिए अपनी राजनीतिक एकता को और मजबूत करें!


जब हुक्मरान वर्ग मज़हब के आधार पर जनता के किसी विशेष तबके को निशाना बनाता है, तो यह वास्तव में पूरी जनता पर हमला है। यह लोगों की एकता और भाईचारे पर हमला है।

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दिल्ली की सरहदों पर चले किसानों के विरोध धरने की दूसरी वर्षगांठ


दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसानों के धरने को शुरू करने के पूरे दो साल हो गये हैं। देशभर के किसानों ने राजधानी दिल्ली के आसपास 26 नवंबर, 2020 को शुरू किये गये अपने ऐतिहासिक विरोध की दूसरी वर्षगांठ के अवसर को चिन्हित करने का फ़ैसला किया है। इस दिन हर राज्य की किसान यूनियनें राजभवन के सामने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगी। राज्य के राज्यपाल का ऐसा पद होता है जो केंद्र सरकार के आदेश का पालन करता है।

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मुंबई में 26 नवंबर के आतंकी हमले की 14वीं बरसी पर :
मक़सद क्या था और असली मास्टरमाइंड कौन था?


26 नवंबर, 2022 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की 14वीं बरसी है। भारी हथियारों से लैस दस आतंकवादियों ने लगातार तीन रात और दिन तक शहर में जबरदस्त तबाही मचाई। उनके निशाने पर थे – छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताज होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस और मेट्रो सिनेमा। इस हमले में 25 विदेशियों सहित 168 लोगों की जानें चली गईं।

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एक पैशाचिक अपराध की 38वीं बरसी पर :
1984 के जनसंहार के सबक


राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंक को हमेशा के लिए तभी समाप्त किया जा सकता है, जब सरमायदारों की हुकूमत को मज़दूरों और किसानों की हुकूमत में बदल दिया जाएगा। वर्तमान राज्य की जगह पर एक ऐसे नए राज्य की स्थापना करनी होगी, जो सभी नागरिकों को जीने का अधिकार, ज़मीर का अधिकार और अन्य सभी मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी देगा।

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राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की 47वीं बरसी पर:
जब हिन्दोस्तान के लोकतंत्र का असली चेहरा सामने आया

26 जून, 1975 वह दिन था जब देश के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी। वह घोषणा “अंदरूनी अशांति” पर काबू पाने के नाम पर, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के उपदेश के अनुसार की गयी थी।

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पूंजीवादी लालच बनाम सामाजिक आवश्यकता


सभी मज़दूर, राष्ट्रीय संपत्ति और सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह समाज के सामूहिक हितों के खि़लाफ़ है। निजीकरण का यह कार्यक्रम लोगों की सामाजिक ज़रूरतों को पूरा करने के बजाय, इजारेदार पूंजीपतियों के अधिकतम मुनाफ़े बनाने के सभी उपायों को सुनिश्चित करने के लिए, उनके संकीर्ण हितों की सेवा करता है।

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ऑपरेशन ब्लूस्टार की 38वीं बरसी पर:
स्वर्ण मंदिर पर सैनिक हमले से सबक


हुक्मरान वर्ग को बहुत डर है कि हिन्दोस्तान के लोग अपने धार्मिक और अन्य भेदभावों को एक तरफ करके, अपने सांझे दुश्मन के खि़लाफ़, अपने सांझे लक्ष्य के लिए, एकजुट हो जाएंगे। इसे रोकने के लिए हुक्मरान वर्ग ने राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद को फैलाने के तौर-तरीक़ों में कुशलता हासिल कर ली है। अलग-अलग समय पर राज्य अलग-अलग समुदायों को निशाना बनाता है। पहले तो निशाना बनाए गए समुदाय के खि़लाफ़ राज्य बहुत ही जहरीला प्रचार फैलाता है और उसके बाद, बड़े सुनियोजित तरीक़े से उस समुदाय पर हमले करवाता है। उसके बाद राज्य यह झूठा प्रचार फैलाता है कि अलग-अलग धर्मों के लोग एक दूसरे का क़त्ल कर रहे हैं।

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नाज़ी जर्मनी की पराजय की 77वीं वर्षगाँठ के अवसर पर :
दूसरे विश्व युद्ध से सबक


स्थायी शांति क़ायम करने के लिए साम्राज्यवादी जंग के स्रोत, साम्राज्यवादी व्यवस्था, को उखाड़ फेंकना होगा और उसकी जगह पर समाजवाद की स्थापना करनी होगी
77 वर्ष पहले, 9 मई, 1945 को नाज़ी जर्मनी ने जर्मनी की राजधानी, बर्लिन में सोवियत संघ की लाल सेना के प्रतिनिधियों के सामने, आत्म-समर्पण किया था। इसके साथ, यूरोप में दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ।

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हिन्दोस्तान की आज़ादी का महान युद्ध – 1857 के ग़दर की 165वीं सालगिरह के अवसर पर


हमें बांटने वालों और हमारी ज़मीन व श्रम का शोषण और लूट करने वालों के खि़लाफ़ संघर्ष आज भी जारी है

आज से 165 वर्ष पहले, 10 मई को मेरठ में तैनात किये गये ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाहियों ने दिल्ली पर कब्ज़ा करने के लिए कूच किया था। वह महान ग़दर की शुरुआत थी। वह हिन्दोस्तान की आज़ादी का जंग था, हिन्दोस्तानी उपमहाद्वीप के व्यापक क्षेत्र पर कब्ज़ा किये हुए, उस अंग्रेज़ व्यापारी कंपनी के अन्यायपूर्ण, दमनकारी और खुदगर्ज़ शासन से आज़ादी के लिए जंग था।

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मई दिवस 2022 :
मज़दूरों और किसानों के शोषण को ख़त्म करने के लिए संघर्ष को आगे बढाएं!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, मई दिवस, 2022

आज मई दिवस है, सभी देशों के मज़दूरों के लिए जश्न मनाने का दिवस है। हमारे देश के कोने-कोने में मज़दूर जुझारू रैलियों, मीटिगों और जुलूसों में हिस्सा ले रहे हैं। हम अब तक हासिल हुई जीतों पर खुशियां मना रहे हैं और अपनी असफलताओं से सबक लेकर, उन पर चर्चा कर रहे हैं।

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