सरमायदार शासक वर्गों का दावा है कि बहुपार्टीवादी प्रतिनिधित्ववादी लोकतंत्र से बेहतर कोई विकल्प नहीं है
18 मार्च, 1871 को स्थापित हुए पेरिस कम्यून ने दिखाया था कि उससे बेहतर एक विकल्प है – श्रमजीवी लोकतंत्र

For posts with podcast
सरमायदार शासक वर्गों का दावा है कि बहुपार्टीवादी प्रतिनिधित्ववादी लोकतंत्र से बेहतर कोई विकल्प नहीं है
18 मार्च, 1871 को स्थापित हुए पेरिस कम्यून ने दिखाया था कि उससे बेहतर एक विकल्प है – श्रमजीवी लोकतंत्र
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 8 मार्च, 2023
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, 2023 के अवसर पर लाखों-लाखों संघर्षरत महिलाओं को सलाम करती है। हम उन मेहनतकश महिलाओं को सलाम करते हैं जो हमारे देश में निजीकरण और उदारीकरण के ख़िलाफ़ लड़ाई में सबसे आगे हैं। हम उन सभी को सलाम करते हैं जो राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा, राजकीय आतंकवाद और महिलाओं के खि़लाफ़ सभी प्रकार की हिंसा के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं।
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 18 जनवरी, 2023
लोगों को क़ानूनों को प्रस्तावित करने और क़ानूनों को ख़ारिज करने का अधिकार होना चाहिए। उन्हें संविधान में संशोधन करने या उसे दोबारा लिखने का अधिकार होना चाहिए। हमें चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन करने, चुने गए लोगों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें किसी भी समय वापस बुलाने और क़ानून प्रस्तावित करने का अधिकार होना चाहिए। लोगों के नाम पर फै़सले लेने के बजाय, राजनीतिक पार्टियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध होना चाहिए, कि फ़ैसले लेने की शक्ति लोगों के हाथों में रहे।
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 42वीं सालगिरह के अवसर पर, केंद्रीय समिति की ओर से पार्टी के महासचिव कॉमरेड लाल सिंह का भाषण
“हम कम्युनिस्टों का काम है करोड़ों शोषितों और उत्पीड़ितों को एकजुट करना और लाखों शोषकों को हराना।”
“मज़दूरों और किसानों की हुकूमत को स्थापित करने और समाज को संकट से बाहर निकालने के कार्यक्रम के इर्द-गिर्द लोगों की क्रांतिकारी राजनीतिक एकता बनाते हुए, हमें कम्युनिस्ट आंदोलन की एकता को पुनः स्थापित करने की ज़रूरत है।”
आगे पढ़ें26 जून, 1975 वह दिन था जब देश के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी। वह घोषणा “अंदरूनी अशांति” पर काबू पाने के नाम पर, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के उपदेश के अनुसार की गयी थी।
आगे पढ़ें