हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 21 जनवरी 2025
इस वर्ष 26 जनवरी को हिन्दोस्तान को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किये जाने की 75वीं सालगिरह है। हमारे देश के हुक्मरानों का दावा है कि इस गणराज्य ने सभी हिन्दोस्तानी लोगों की बहुत अच्छी सेवा की है। लेकिन, पूरे देश में मज़दूरों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के बड़े-बड़े विरोध प्रदर्शनों से पता चलता है कि हिन्दोस्तानी गणराज्य अपने सभी नागरिकों को सुख और सुरक्षा नहीं प्रदान कर रहा है। यह केवल एक धनी अल्पसंख्यक वर्ग के हितों की सेवा कर रहा है – यानि पूंजीपति वर्ग, जिसकी अगुवाई इजारेदार पूंजीवादी घरानों द्वारा किया जाता है।
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छत्तीसगढ़ में बर्ख़ास्त सहायक शिक्षकों का आंदोलन
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में 2900 सहायक शिक्षक अपनी नौकरियों को बचाने के लिये संघर्षरत हैं। 12 जनवरी, 2024 को शिक्षकों ने करीब 5 किलोमीटर दंडवत होकर यात्रा निकाली। इससे पहले 10 जनवरी को एन.सी.ई.टी. (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन) की शव यात्रा निकाली और पुतला दहन किया। 3 जनवरी से शिक्षक सामूहिक अनशन पर थे। शिक्षक अपनी बर्ख़ास्तगी को समाप्त करने की मांग को लेकर सरकार के खि़लाफ़ विरोध प्रकट करने के लिये अनेक तरीके़ अपनाये हैं।
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पंजाब रोडवेज़ के मज़दूरों की हड़ताल
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
पंजाब में बस सेवा के 8000 कांट्रेक्ट और आउटसोर्स के मज़दूरों ने 6 जनवरी, 2025 से तीन दिवसीय हड़ताल की थी। इस हड़ताल में पंजाब रोडवेज, पीआरटीसी और पनबस के चालक, कंडेक्टर और अन्य कर्मचारी शामिल थे। परिवहन सेवा के स्थाई कर्मचारियों ने भी इन्हें समर्थन दिया।
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शिमला में सरकारी अस्पताल में ठेका मज़दूरों की हड़ताल
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
3 जनवरी, 2025 से हिमाचल के शिमला में स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवम अस्पताल (आई.जी.एस.सी.) के 500 से ज्यादा ठेका मज़दूरों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू की। मज़दूरों ने अपनी यह हड़ताल तब शुरू की थी जब अस्पताल प्रशासन ने कोराना काल के दौरान रखे गये 132 ठेका मज़दूरों को बर्ख़ास्त कर दिया था।
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भारतीय रेल के सिग्नलिंग और टेलिकॉम मज़दूरों की दयनीय स्थिति
भारतीय रेल को देश की जीवन रेखा कहा जाता है। यह देश के एक कोने से दूसरे कोने तक लोगों और वस्तुओं को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दुर्भाग्य से, इस आवश्यक सेवा को लगातार धन की कमी का सामना करना पड़ा है और विभिन्न सरकारों द्वारा इसकी उपेक्षा की गई है। नतीजतन, भारतीय रेल अपने बहुत से मज़दूरों और यात्रियों के लिए मौत का जाल बन गया है।
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किसान अपनी जायज़ मांग पर डटे हुए हैं
सभी कृषि उत्पादों के लिए क़ानूनी तौर पर गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) उन प्रमुख मांगों में से एक है जिसके लिए किसान यूनियनें पिछले कई सालों से आंदोलन कर रही हैं। वे कई तरह से आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें उनके एक नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अनशन भी शामिल है।
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सीरिया में अमरीका द्वारा समर्थित शासन-परिवर्तन
सीरिया में असद सरकार का पतन किसी जन-विद्रोह का नतीजा नहीं है, जैसा कि पश्चिमी साम्राज्यवादी मीडिया में दिखाया जा रहा है। यह शासन-परिवर्तन, अमरीकी साम्राज्यवादियों द्वारा समर्थित सशस्त्र-गिरोहों द्वारा लाया गया है।
आगे पढ़ेंब्रेटन वुड्स सम्मेलन के 80 साल बाद :
विश्व बैंक और आईएमएफ साम्राज्यवादी वर्चस्व क़ायम रखने के साधन हैं
22 जुलाई, 2024 को ब्रेटन वुड्स सम्मेलन की 80वीं वर्षगांठ, उन संस्थाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते विरोध के रूप में चिह्नित की गई थी, जिनको उस सम्मेलन ने जन्म दिया था – अर्थात, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)। लोगों ने वाशिंगटन डीसी और दुनिया के कई हिस्सों में इन संस्थाओं के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए। सैकड़ों संगठनों ने इन संस्थाओं को ख़त्म करने की मांग वाली याचिकाओं पर अपने हस्ताक्षर किए।
आगे पढ़ेंबीपीएससी परीक्षा प्रश्नपत्र लीक :
प्रदर्शनकारी युवाओं पर लाठीचार्ज और आंसू गैस
बिहार लोक सेवा आयोग (बी.पी.एस.सी.) संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा (सी.सी.ई.) को रद्द करने की मांग कर रहे युवाओं पर, रविवार 29 दिसंबर, 2024 को बिहार पुलिस ने लाठीचार्ज किया। पुलिस ने पटना में प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल भी किया।
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दुनियाभर में मेहनतकश लोगों के संघर्ष
2024 के साल में दुनियाभर के मेहनतकश लोगों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए और साम्राज्यवादियों द्वारा आयोजित युद्धों के खि़लाफ़ बड़े पैमाने पर संघर्ष किए।
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