पाकिस्तान पर भारी अमरीकी साम्राज्यवादी दबाव और ब्लैकमेल

आज पाकिस्तान के राज्य और लोगों को सबतरफा अमरीकी साम्राज्यवादी दबाव और ब्लैकमेल का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उस देश के अस्तित्व को ही खतरा है। यह दबाव और ब्लैकमेल बहुत बढ़ गया है, क्योंकि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान और सीमावर्ती इलाकों में अमरीका के ''आतंकवाद पर जंग'' में सहयोग करने से इंकार किया है।

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ईरान के खिलाफ़ अमरीका-नीत साम्राज्यवादी ब्लैकमेल और प्रतिबंध मुर्दाबाद!

अमरीकी साम्राज्यवादी ईरान पर ब्लैकमेल और प्रतिबंधों की नीति को और तेज़ी से लागू कर रहे हैं। खास तौर पर, ईरान राष्ट्र और उसके लोगों के अपना नागरिक परमाणु कार्यक्रम चलाने के अधिकार को ''मानवता के लिये खतरा'' बताकर निशाना बनाया जा रहा है।

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एयर इंडिया : निजीकरण की मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीति का पर्दाफाश और जमकर विरोध करना होगा

वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुवाई में मंत्री समूह ने पिछले वर्ष ''एयर इंडिया की हालत को वापस मोड़ने के लिए एक योजना पेश करने'' के इरादे से एक पैनल गठित किया था। 23 जनवरी को इस पैनल ने मंत्री समूह को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट की मुख्य बातें ये हैं कि (1) एयर इंडिया के संवर्धन को उपयुक्त स्तर तक लाने के लिए सरकार को एयर इंडिया में पर्याप्त धन डालना चाहिए और (2) एयर इंडिय

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रेल इंजन चालक : एकजुट संघर्ष की योजना निर्धारित

12 जनवरी, 2012 को ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) ने विचार-विमर्श के लिए रेल इंजन चालकों का प्रतिनिधित्व करने वाले सब संगठनों की सभा, मुम्बई के पास, कल्याण में आयोजित की। अलग-अलग संगठनों के सभासद लड़ाकू इंजन चालकों से सभागृह भरा हुआ था। कई बहुत दूर से आये थे।

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अनियमित मज़दूरों द्वारा आंदोलन तेज करने की योजना

21 जनवरी 2012 को चेन्नई के मीनमबक्कम हवाई अड्डे के कारगो दफ्तर के सामने एयर इंडिया कैजुअल वर्कर्स यूनियन (ए.आई.सी.डब्ल्यू.यू.) ने अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिये एक परामर्शक सभा की। यूनियन के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने काम के बुरे हालातों और इन हाला

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आर्थिक संकट

संपादक महोदय,

मजदूर एकता लहर के अंक 1-15 जनवरी, 2012 में 'पूंजीवादी सरकारों के पास गहराते आर्थिक संकट का कोई समाधान नहीं है', इस लेख का अध्ययन हमने पार्टी के अपने एक बुनियादी संगठन में किया और चर्चा की, इसके बाद हम अपनी समझ के अनुसार यह पत्र आपको लिख रहे हैं।

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भ्रष्टाचार मिटाने का संसदीय पार्टियों का नाटक

संपादक महोदय,

मैंने मजदूर एकता लहर के 16-31 जनवरी के अंक में छपे लेख 'लोक पाल बिल पर संसदीय वाद-विवाद का नाटक' को पढ़ा। इस लेख में इस संसदीय व्यवस्था की सच्चाई को साफ-साफ बताया गया है। इस लेख को प्रकाशित करने के लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूं।

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पार्टी की निडरता के लिए धन्यवाद!

संपादक महोदय,

मैंने जनवरी 16-31 अंक 2में प्रकाशित लेख, 'पूंजीपतियों के संकट-ग्रस्त गणतंत्र की जगह पर मजदूरों और किसानों का गणतंत्र स्थापित करना होगा!' को पढ़ा। इस अंक में प्रकाशित लेख से पूरी तरह सहमत हूं।

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भ्रम पैदा करने वाला गणतंत्र

संपादक महोदय,

मैंने मजदूर एकता लहर के अंक जनवरी 16-31, 2012 में आपके अखबार में प्रकाशित लेख ''पूंजीपतियों के संकट-ग्रस्त गणतंत्र की जगह पर मजदूरों और किसानों का गणतंत्र स्थापित करना होगा'' को बड़े ध्यान से पढ़ा।

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