पूरे ब्रिटेन में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें स्थानीय लोग फ़िलिस्तीनी लोगों पर इज़राइल के नरसंहारी युद्ध का विरोध कर रहे हैं। हम स्नेयर्सब्रुक, इलफ़र्ड और टूटिंग में हुए विरोध प्रदर्शनों पर रिपोर्ट कर रहे हैं।
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पूरे ब्रिटेन में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें स्थानीय लोग फ़िलिस्तीनी लोगों पर इज़राइल के नरसंहारी युद्ध का विरोध कर रहे हैं। हम स्नेयर्सब्रुक, इलफ़र्ड और टूटिंग में हुए विरोध प्रदर्शनों पर रिपोर्ट कर रहे हैं।
आगे पढ़ेंमज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग रविवार, 12 नवंबर को ढह गई, जिससे 40 मज़दूर सुरंग के अंदर फंस गए। सुरंग को बनाने का काम नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड नामक एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा था।
आगे पढ़ेंजबकि दुनिया भर के देशों के लोग फ़िलिस्तीन के लोगों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए हज़ारों की संख्या में सड़कों पर उतर रहे हैं, कई देशों ने इज़राइल के अपराधों की निंदा करने के लिए आधिकारिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। दक्षिण अफ्रीका और बोलीविया ने इज़राइल के साथ संबंध तोड़ दिए हैं और कई अन्य देश
आगे पढ़ेंसभा में फ़िलिस्तीनी लोगों को एक सदी से भी अधिक समय से उनकी मातृभूमि से वंचित करने में बरतानवी-अमरीकी साम्राज्यवाद की अपराधी भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
आगे पढ़ेंमहिलाओं और मेहनतकश लोगों को अपने हाथों में राजनीतिक सत्ता लेने की ज़रूरत है, ताकि वे देश का एजेंडा निर्धारित कर सकें, अपने जीवन पर असर डालने वाले महत्वपूर्ण फै़सले ले सकें और अपने जीवन की हालतों को बदल सकें।
आगे पढ़ें7 नवंबर को फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ इज़रायल द्वारा जारी जनसंहारक युद्ध की निंदा करने के लिए दिल्ली में एक जनसभा आयोजित की गई थी।
आगे पढ़ेंइंडियन वर्कर्स एसोसिएशन (ग्रेट-ब्रिटेन) का बयान, 11 नवंबर, 2023
7 अक्तूबर से लेकर अब पांच हफ़्ते हो गए हैं, जबसे इज़रायली क़ब्जे़ वाली सेना गाज़ा में नागरिक आवासों, अस्पतालों और यहां तक कि शरणार्थी शिविरों पर भी लगातार बमबारी कर रही है। उत्तरी गाज़ा से दक्षिण की ओर जाने वाले सड़कों पर भी लोगों को बख्शा नहीं जा रहा है।
आगे पढ़ेंमहिला निर्माण मज़दूरों ने अपनी मांगों का एक राष्ट्रीय चार्टर पेश किया है। इसमें न्यूनतम मासिक वेतन 26,000 रुपये और समान काम के लिए समान वेतन की मांग की गई है।
आगे पढ़ें30 अक्तूबर से 1 नवम्बर तक पंजाब के जलंधर शहर में, देश भगत यादगार हॉल में, देश भगत यादगार कमेटी ने 32वां ग़दरी मेला का आयोजन किया। मेला ग़दरी बाबाओं की साम्राज्यवाद विरोधी परंपरा को आगे ले जाते हुये, लोगों के स्राम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष को समर्पित था। फ़िलिस्तीन के लोगों के संघर्ष को कुचलने के लिये इज़रायल द्वारा उनका जनसंहार किया जा रहा है। मणिपुर के लोग राज्य द्वारा आयोजित आतंक के शिकार हुये हैं। इन विषयों पर मेले में सभायें हुईं।
आगे पढ़ेंचेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आई.सी.एफ.) के मज़दूर अक्तूबर के अंत से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे 200 वंदे भारत स्लीपर एक्सप्रेस ट्रेनों के निर्माण के लिए दो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ भारतीय रेल द्वारा किए गए समझौते का विरोध कर रहे हैं। अपने राजनीतिक संबंधों को एक तरफ़ करते हुये, सभी ट्रेड यूनियनें निजीकरण के समझौते का विरोध करने के लिए एक साथ आई हैं, जिसमें भाजपा की भारतीय मजदूर संघ (बी.एम.एस.) भी शामिल है।
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