संपादक महोदय, हिन्दोस्तान कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं वर्षगांठ पर मुझे भी शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं जब से इस पार्टी में आई हूं, मेरा यह अनुभव रहा है कि यह पार्टी हमेशा मेहतनकश लोगों की आवाज़ को बुलंद करने का काम करती आई है। यह सरमायदारी व्यवस्था के खि़लाफ़ लोगों की आवाज़ को बुलंद करने का काम
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एकजुट संघर्ष ही हमें इंसाफ दिला सकता है
संपादक महोदय, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में पेश किए गए पार्टी महासचिव के भाषण पर अपने कुछ विचार देना चाहती हूं। मेरे विचार विशेषकर महिलाओं की स्थिति पर हैं। आज हर एक स्तर पर चाहे वह कार्यस्थल पर हो या सार्वजनिक स्थल पर हों या कहीं पर भी हों, महिलाओं को दोहरे शोषण
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कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के अंदर सबको समान अधिकार
संपादक महोदय, मैंने हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं सालगिरह के कार्यक्रम में भाग लिया। इसमें मुझे बहुत-सी चीज़ों की जानकारी मिली। इसमें पार्टी के महासचिव का भाषण पढ़ा गया। उसमें देश-विदेश की सारी जानकारियां निहित हैं। हमारे देश में लोगों की हालत बद से बदतर क्यों होती जा रही है, इसके बारे में बहुत ही अच्छे से जानकारी
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कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं वर्षगांठ
संपादक महोदय, मुझे हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं वर्षगांठ में हिस्सा लेने का मौका मिला। मुझे नौजवानों की संख्या को देखकर आपार प्रसन्नता हुई, जिसमें लड़के-लड़कियां पूरी आजादी के साथ अपने दिल की बातों को सभा में रख रहे थे। वे नौजवान बखूबी तौर पर पार्टी के लाईन को समझ रहे हैं। मार्क्सवाद-लेनिनवाद के आधार पर विचार भी
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सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी हो
संपादक महोदय, किसानों और मज़दूरों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना सरकार की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी के लिए किसानों ने लम्बा संघर्ष किया है। कृषि उत्पादों को एम.एस.पी. पर ख़रीदने के लिये बनाये गये तंत्रों को सरकार को पूरी तरह से पारदर्शी बनाना होगा। केवल 23 फ़सलों पर ही
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न्यूनतम समर्थन मूल्य देना संभव है
संपादक महोदय, मैंने मज़दूर एकता लहर में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर छपे पार्टी के लेख को पढ़ा। लेख बहुत ही अच्छा लगा। मैं इस पर कहना चाहता हूं कि पूंजीपतियों के शुभचिंतकों का कहना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जा सकता है। उनका मानना है कि अगर ऐसा किया गया तो सरकार को 10 लाख करोड़
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फ़सलों के लिये एम.एस.पी. की मांग
संपादक महोदय, मज़दूर एकता लहर के अंक मार्च 16-31 में छपा लेख – कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आवश्यक है – को पढ़ने के बाद एक बात समझ में आयी कि दो साल पहले किसानों ने सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन क्यों चलाया था, जिसमें अपनी फ़सलों के लिये एम.एस.पी. की मांग की थी और तीन कृषि
आगे पढ़ेंयह गणतंत्र बुर्जुआ शासन का एक उपकरण है
प्रिय संपादक, मुझे इस वर्ष 23 जनवरी को सीजीपीआई द्वारा जारी किया गया बयान बहुत पसंद आया, जिसका शीर्षक था, ”यह गणतंत्र बुर्जुआ शासन का एक साधन है।“ इसमें बहुत तीखेपन से बताया गया है कि ”पिछले 74 वर्षों के जीवन के अनुभव से पता चलता है कि भारतीय गणराज्य सभी पहलुओं में संविधान की घोषणाओं के बिल्कुल विपरीत है“।
आगे पढ़ेंबहादुर रैट माइनरों को सम्मान
संपादक महोदय,
दिल्ली के श्रमिक संगठनों द्वारा उन बहादुर रैट माइनरों को सम्मानित करने की रिपोर्ट पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई। इन मज़दूरों ने अपनी जान को जोखि़म में डालकर अपने साथी श्रमिकों को बचाया।
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पार्टी की स्थापना की 43वीं वर्षगांठ
प्रिय संपादक महोदय,
पार्टी की 43वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिए गए लेख के बारे में, मैं अपने विचार प्रकट करना चाहती हूं। हर साल की तरह इस साल भी पार्टी के लेख के द्वारा अलग-अलग पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।
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